-सिर्फ 55 परसेंट बच्चों को मिली किताबें, 3 से 9 अक्टूबर तक चलेंगी परीक्षा

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क्कन्ञ्जहृन्: सरकारी स्कूलों में बुधवार से शुरू हो रही अ‌र्द्धवार्षिक मूल्यांकन परीक्षा में करीब 80-85 लाख ऐसे बच्चे शामिल होंगे, जिन्होंने अपनी कक्षा की किताब का एक पन्ना भी नहीं पढ़ा है। शिक्षा विभाग के तमाम दावों के बीच हकीकत यह है कि इस बार भी दो करोड़ में से 40-45 फीसद बच्चों को शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के बाद भी किताबें नहीं मिली।

रुपए देने का लिया था निर्णय

यह पहला मौका नहीं है, जब छात्र बगैर किताब पढ़े परीक्षा देंगे। इसके पूर्व के वर्षो में भी अमूमन बगैर किताब पढ़े ही छात्रों ने परीक्षा दी है। पिछले वर्ष शिक्षा परियोजना परिषद ने तकरीबन 35 प्रतिशत बच्चों के बीच पुरानी किताबों का वितरण मजबूरी में किया था। इस वर्ष समस्या को देखते हुए किताब के बदले छात्रों के बैंक एकाउंट में किताब का पैसा देने का नीतिगत फैसला हुआ था।

क्लास एक से 8वीं के बच्चे

सरकारी फैसले को अमल में लाने के लिए जिला स्तर पर कक्षा एक से आठ के विद्यार्थियों के बैंक एकाउंट में किताब की राशि ट्रांसफर करने का काम शुरू किया गया। छात्रों को किताबों के लिए डेढ़ सौ से साढ़े तीन सौ रुपये दिए जाने थे। तमाम कोशिशों के बाद भी सितंबर महीने के मध्य तक महज 55 फीसद बच्चों के बैंक एकाउंट में राशि गई।

45 फीसद किताबें खरीद का दावा

14 जनवरी को जिला अफसरों के साथ हुई बिहार टेक्स्ट बुक कॉरपोरेशन की वीडियो कांफ्रेंस में जिला अफसरों द्वारा दावा किया गया कि 55-60 फीसद बच्चों के एकाउंट में किताब के लिए पैसा जा चुका है। 45 फीसद बच्चों ने किताबें भी खरीदी हैं। 15-20 फीसद बच्चों को पुरानी किताबें दी गई है। इस पर निदेशक प्राथमिक शिक्षा सह प्रबंध निदेशक टेक्स्ट बुक कॉरपोरेशन अरविंद कुमार वर्मा ने सितंबर के अंत तक शत-प्रतिशत बच्चों के बैंक एकाउंट में राशि नहीं भेजने वाले अफसरों पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी। बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ।

आज भाषा विषय की परीक्षा

बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने तकरीबन महीना भर पहले ही कक्षा एक से आठ के विद्यार्थियों के अ‌र्द्धवार्षिक मूल्यांकन की तिथियां घोषित कर दी थी। शिड्यूल के मुताबिक परीक्षा तीन अक्टूबर से प्रारंभ होगी और नौ अक्टूबर तक चलेंगी। दो पाली में हो रही परीक्षा के पहले दिन विद्यार्थी भाषा (हिन्दी, उर्दू) की परीक्षा देंगे।

मैंने खुद 20 से 25 स्कूलों का निरीक्षण किया है। कुछ के पास पूरी किताब नहीं है।

-संजय सिंह, निदेशक बिहार शिक्षा परियोजना परिषद

Posted By: Inextlive