देहरादून। पावर कॉर्पोरेशन के प्रीपेड मीटर कारगर साबित नहीं हो रहे। लोड बढ़ने पर ये लॉक हो जाते हैं और इन्हें अनलॉक कराने के लिए विभागीय कर्मचारियों को बुलाना पड़ता है। ऐसे में बिजली विभाग अब रूरल एरियाज में प्रीपेड मीटर लगाने से बच रहा है।

अस्थाई कनेक्शन पर ट्रायल

करीब 4 साल पहले शहर में अस्थाई बिजली कनेक्शंस के लिए प्रीपेड मीटर लगाए जाने की कवायद शुरू की गई थी। प्रीपेड मीटर्स की ट्रायल के लिए ऐसा किया गया। कंस्ट्रक्शन वर्क के लिए दिए जाने वाले अस्थाई कनेक्शंस पर ये मीटर लगाए जा रहे हैं। परमानेंट घरेलू कनेक्शनों में इनका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। शादी-समारोह जैसे आयोजनों के लिए भी ये मीटर लगाए जाने की व्यवस्था थी, लेकिन प्रीपेड मीटर्स कारगर साबित नहीं हो रहे, ऐसे में ये व्यवस्था शुरू नहीं की गई।

किलोवाट के हिसाब से रिचार्ज

प्रीपेड मीटर्स में लोड के हिसाब से रीचार्ज किया जाता है। इसी बेस पर रजिस्ट्रेशन फीस, सिक्योरिटी जमा होती है और महीने के हिसाब से दो हजार से लेकर पांच हजार, सात हजार, दस हजार तक के अलग-अलग वाउचर्स रीचार्ज के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं।

मीटर लॉक होने से दिक्कत

ट्रायल में इन मीटर्स का सबसे बड़ा ड्रॉ-बैक यह है कि ये लोड बढ़ने पर लॉक हो जाते हैं और फिर इनको खोलने के लिए बिजली विभाग से कर्मचारी बुलाने पड़ते हैं। यदि किसी ने एक किलोवाट लोड के हिसाब से रीचार्ज कराया है और मीटर पर इससे ज्यादा लोड आता है तो ये बंद हो जाते हैं और कंज्यूमर को दिक्कत होती है। अगर ऐसा छुट्टी के दिन हो जाए तो फिर मीटर खोलने के लिए वर्किग डे का इंतजार करना पड़ता है।

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ग्रामीणों के लिए लाए, नहीं लगाए

ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी प्रीपेड मीटर लाए गए हैं लेकिन ये यूं ही पड़े हैं। हर बिजली घर को 30 से लेकर 40 तक प्रीपेड मीटर दिए गए हैं। लेकिन शहरी क्षेत्रों में दिक्कत आने के बाद इन्हें ग्रामीण इलाकों में लगाने से बचा जा रहा है।

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प्रीपेड मीटर तो पिछले कई सालों से लगाए जा रहे हैं। इसको लेकर यदि कोई शिकायत आती है तो उसका तुरंत निस्तारण किया जाता है।

- राहुल जैन, अधीक्षण अभियंता, यूपीसीएल

Posted By: Inextlive