आगरा। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कार्बन उत्सर्जन घटाने की समग्र योजना मांगी है। श्मशान घाट से ताजमहल को हो रहे नुकसान से बचाने को यह कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह आधुनिक तकनीकि और वैज्ञानिक सोच का इस्तेमाल कर कार्बन उत्सर्जन रोकने के लिए छह सप्ताह में समग्र योजना पेश करे। साथ ही कोर्ट ने विद्युत शवदाह गृह निशुल्क करने के आदेश दिए हैं।

सरकार से मांगे थे सुझाव

कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि एक जनवरी से ताज के पास बने विद्युत शवदाह ग्रह का उपयोग नि:शुल्क किया जाए। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये निर्देश श्मशान घाट से ताजमहल को हो रहे नुकसान पर सुनवाई के दौरान दिए। सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर श्मशान घाट को कहीं और स्थानांतरित करने का आग्रह किया। कोर्ट ने पत्र पर प्रदेश सरकार का जवाब और सुझाव भी मांगे थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को श्मशान घाट स्थानांतरित करने में राजनीतिक मजबूरी जताते हुए घाट को स्थानांतरित करने के बजाय प्रदूषण घटाने के तरीके अपनाने की योजना पेश की। राज्य के एडवोकेट जनरल विजय बहादुर सिंह ने आगरा के कुछ संगठनों के नजरिए का हवाला देते हुए कहा कि यहां पर सन् 1885 से श्मशान घाट है। इस बात का कोई सुबूत नहीं है कि ताजमहल का रंग श्मशान घाट के धुएं से हो रहे प्रदूषण से बदल रहा है। श्मशान घाट की जगह बदलने से हिंदुओं की भावनाएं आहत होंगी। क्योंकि ऐसा इस्लामिक स्मारक को बचाने के लिए किया जाएगा। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के पास प्रदूषण कम करने के लिए उसके पास स्थित विद्युत शवदाह ग्रह को नि:शुल्क करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि एक जनवरी से इसके इस्तेमाल पर कोई शुल्क नहीं लगना चाहिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने ताज के आस-पास पेड़-पौधे लगाने और सौंदर्यीकरण बढ़ाने के निर्देश दिए।

Posted By: Inextlive