- इलेक्ट्रिसिटी कॉर्पोरेशन के आंकड़ों की माने तो इतने की हुई चोरी

- इतने की बिजली से एक सप्ताह तक दो घंटा अधिक मिल सकती बिजली

GORAKHPUR : गोरखपुर सिटी में हर रोज क्8.भ्0 परसेंट बिजली चोरी होती है। यह हम नहींइलेक्ट्रिसिटी कॉर्पोरेशन के आंकडे़ बता रहे हैं। अगर यह चोरी रुक जाए तो सिटी को हर रोज दो घंटे अतिरिक्त बिजली मिल सकती है और कटौती की समस्या हल हो सकती है। साथ ही बिजली विभाग का राजस्व भी बढ़ता। ऐसा नहींहै कि चोरी रोकने के लिए विभाग के पास कोई अधिकार नहींहै। इसके लिए उनके पास मैनपावर से लेकर गिरफ्तारी तक के अधिकार हैं, लेकिन अफसरों की लापरवाही, मैनेज प्रणाली और राजनीतिक दबाव के चलते न तो चोरी रुक रही है और न राजस्व बढ़ रहा है।

भ्फ्भ् चोरी के मामले

आंकड़ों की माने तो फरवरी ख्0क्फ् से लेकर फरवरी ख्0क्ब् तक इलेक्ट्रिसिटी कॉर्पोरेशन की जांच में भ्फ्भ् बिजली चोरी के मामले सामने आये। कार्रवाई की बात करे तो मात्र भ्म् पर एफआईआर दर्ज कराई गई। बाकी से जुर्माना लेकर छोड़ लेकर छोड़ दिया गया। एक जेई का कहना है कि जितनी चोरी होती है। उससे अगर उसके एवज में बिल मिलता तो कॉर्पोरेशन को हर माह ख् करोड़ रुपए मिलते। जबकि एक साल में जुर्माने के रूप में विभाग को क् करोड़ क्ब् लाख 8ख् हजार रुपए ही मिले हैं।

जेल भेजने का भी है अधिकार

इलेक्ट्रिसिटी कॉर्पोरेशन के पास बिजली चोरों को जेल भेजने और शमन शुल्क भेजने का अधिकार है। बिजली चोरी इलेक्ट्रिसिटी एक्ट ख्00फ् के तहत क्रिमिनल केस के दायरे में आती है।

अधिकतर केस हो जाते हैं मैनेज

बिजली की चोरी करने वाले और कॉर्पोरेशन के लोग ही मैनेज प्रणाली में विश्वास करते हैं। इसलिए तो विजिलेंस टीम के आंकड़ों की बात करें तो एक साल में क् हजार से अधिक जगहों पर छापे मारे गए, लेकिन सिर्फ भ्00 मामलों में कार्रवाई की गई।

क्भ् हजार की जांच में भ्म् पर ही एफआईआर

आंकड़ों की माने तो अफसरों ने एक साल में क्भ् हजार भ्77 चोरी के मामलों की जांच की। इसमें मात्र भ्म् मामले दर्ज किए गए। ब्7म् मामलों मेंसम्मन जारी किया गया है। एक जेई का कहना है कि जांच तो होती है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं होता है।

राजनीतिक दबाव के कारण नहीं हो पाती कार्रवाई

कॉर्पोरेशन चोरी तो बहुत पकड़ता है, लेकिन कार्रवाई की बात आते ही तो राजनीतिक दबाव के चलते हाथ खींचना पड़ता है। कई बार तो ट्रांसफर कराने तक कि धमकी दी जाती है।

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बिजली चोरी क्रिमिनल केस है। इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट को यह अधिकार दिया गया है कि वह कंज्यूमर्स से शमन शुल्क लेकर क्रिमिनल केस न दर्ज करे, लेकिन बिजली चोरी के लिए तो मुकदमा चलेगा ही।

बिजेंद्र दूबे, एडवोकेट, इलेक्ट्रिसिटी कॉर्पोरेशन

लाइनलॉस और चोरी दोनों चिन्हित हो जाएंगे। इन दोनों को रोकने के लिए ट्रांसफार्मर पर मीटर लगाने के साथ ही साथ तारों के रखरखाव पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

एसपी पांडेय, एसई महानगर विद्युत वितरण निगम

Posted By: Inextlive