-चार माह पहले मरे हाथी के मामले की फिर से हेागी जांच

- शव मिलने के बावजूद तब जांच के लिए अवशेष तक नहीं उठाए

- तस्करों ने कबूला तो वन विभाग के अफसर संदेह के घेरे में

देहरादून

देहरादून से सटे कालूवाला के जंगल में कुछ माह पहले भी तस्करों ने जहर देकर हाथी मारा था। तब तस्कर उसके दांत 80 हजार रुपए में बेचने में कामयाब हो गए थे। वन विभाग की टीम को हाथी के दांत बेचने वाले तस्करी ईनाम की तलाश है। ईनाम के मिलने पर उस केस की परतें भी खुलेंगी। वन विभाग की स्थानीय टीम पर उस हाथी के मामले को दबा देने के आरोप लगे हैं। फिमेल हाथी की नेचुरल डेथ बता कर सड़ी गली लाश मिलने का हवाला देकर वन विभाग की टीम ने तब मामले को रफा-दफा कर दिया था। 3000 किलो से अधिक वजन के हाथी लाश का वन विभाग विसरा और डीएनए के लिए सैंपल तक नहीं बटोर पाया। अब दूसरे हाथी को मार कर दांत उखाड़ने का मामला खुला तो गढे मुर्दे उखनड़े लगे हैं। इधर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जयराज ने चार माह पहले मरे हाथी के केस को रिओपन करने के निर्देश दिए हैं।

3000 किलो के हाथी को ऐसे डकार गया वन विभाग:

हाथियों को जहर देकर मारने वाले गिरोह की पहली करतूत पर वन विभाग की टीम ही पर्दा डालती रही। दून से सटे कालूवाला के जंगल में चार माह पहले स्थानीय गश्ती दल को करीब एक माह पुरानी डेड बॉडी मिली थी। । 3000 हजार किलो से अधिक वेट वाले उस हाथी के मामले में वन विभाग ने अपने रिकार्ड में लिखा है कि शव पूरी तरह सड़-गल चुका था। अवशेष भी उठाने लायक भी नहीं था। मौके पर ही महिला वेटरनरी डॉक्टर को बुलाकर पोस्टमार्टम कराया गया और शव फिमेल हाथी का था। वहीं दफन कर दिया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि जंगल में हाथी की मौत हो गई। पोस्टमार्टम भी कराया लेकिन मामला दर्ज नहीं किया। फॉरेस्ट एक्ट में वन्य जीव की संदिग्ध मौत मामले में एच-2 के तहत केस रजिस्टर करना होता है। केस रजिस्टर होता तो पूरे मामले की कलई खुलती। पोल खुलने और लापरवाही उजागर होने के डर रिकार्ड में फिमेल हाथी की नेचुरल डेथ लिख फाइल बंद कर दी गई थी.अब सवाल यह है कि हाथी की लाश पूरी तरह सड़ी गली थी, लाश का न विसरा लिया गया, न डीएनए कराया फिर वन विभाग की टीम को यह कैसे दावा कर दिया कि मरने वाली फिमेल हाथी थी। यह सब वन विभाग के सीनियर अधिकारियों एसडीओ और डीएफओ की मौजूदगी में हुआ। ऐसे में वन विभाग के अधिकारी और उनके स्टाफ की भूमिका संदिग्ध है।

जंगल में प्लांटेशन करने वालों ने मारे हाथी:

हाथी को जहर देकर मारने के आरोप में पकड़े गए सुलेमान और नूरूद्दीन वन गुज्जर हैं वे जंगल में ही बसे थे। पिछले दिनों वन विभाग ने थानों रेंज में प्लांटेशन कराया था। इसमें दोनों शामिल थे। कुछ माह पहले राजाजी पार्क से भटककर राजाजी नेशनल पार्क के कई हाथी थानों रेंज में आ गए थे। इनमें वन विभाग की टीम ने भी कई बार देखा था। प्लांटेशन के दौरान जंगल में घूम कर सुलेमान और नूरुद्दीन ने दांत वाले हाथियों को देखा था.इसके बाद ही वे हाथी मारकर दांत बेचने की साजिश में जुट गए।

पहली बार नहीं पकड़े गए तो दूसरा हाथी मारा:

तस्करों ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने पहले भी एक हाथी मारा था। उसके दांत काटे और 80 हजार रुपए में बेच दिए। करीब तीन माह तक किसी को पता नहीं चला। वन विभाग की टीम को भी मृत हाथी के अवशेष मिले फिर भी मामला हथिनी की सामान्य मौत का बताकर दबा दिया तो उनकी हिमाकत बढ़ गई। दूसरी बार फिर हाथी को जहर दिया। पहले मारे गए हाथी के दांत देहरादून में ही 80 हजार रूपए में बेचे गए थे। वन विभाग अब पहले मारे गए हाथी की गुत्थी सुलझाने में लगा है।

Posted By: Inextlive