चार कमरों में पढ़ते हैं 1142 बच्चे
-कहने को स्कूल में 14 कमरे मगर चार कमरे ही हैं वर्ग संचालन के लायक
॥नर््ढ्ढक्कक्त्र/क्कन्ञ्जहृन्: एक ओर सरकारच् बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का दावा कर रही है, स्कूलों के संसाधनों के विकास के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं गोरौल प्रखंड केच्उच्च विद्यालय सोंधो की कहानी कुछ और ही है। यहां नामांकित 1142 स्टूडेंट्स के पढ़ने के लिए सिर्फ चार कमरे है। ऐसे में सवाल है कि एक कमरे में करीब 300 स्टूडेंट्स पढ़ाई कैसे करते हैं। इतना ही नहीं बैठने के लिए सिर्फ 52 जोड़ी बेंच ही है। अधिकतर बच्चे बैठते हैं जमीन परकमरों व संसाधनों के अभाव में यहाच् बच्चे किसी तरह अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। संसाधनों की कमी का आलम यह है कि आधे से ज्यादच् बच्चे फर्श पर बैठकर पढ़ाई करते हैं। यह स्थिति तब है जब विद्यालय में विकास सहित अन्य तरह के कोष भी हैं लेकिन विद्यालय प्रबंधन कमेटी की बैठक नहीं होने के कारण विद्यालय विकास ठप पड़ा हुआ है।
14 में से 10 कमरे जर्जरकहने को तो स्कूल में 14 कमरे, 6 शौचालय हैं। स्कूल के पास अपना बड़ा सा खेल मैदान भी है। पढ़ाने के लिए 14 शिक्षक और एक लाइब्रेरियन समेत एक अनुसेवी भी पदस्थापित हैं। लेकिन स्थित ऐसी है कि सिर्फ 4 कमरे ही वर्ग संचालन लायक है जबकि शेष 10 कमरे लगभग जर्जर हो चुके हैं। कुछ ऐसा ही हाल शौचालयों का भी है।
सभी बच्चों का वर्ग संचालन हो इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। वरीय पदाधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई है। परीक्षा केच्वक्त बच्चों को बैठाने में समस्या आती है। -डॉ ललिता कुमारी, प्रिंसिपल, हाईस्कूल, सोंधो