RANCHI : हम आपको इसलिए आगाह कर रहे हैं क्योंकि सुपर स्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल के गेट पर गंभीर हाल में पहुंचने वाले मरीजों के लिए न तो ट्रॉली है और न ही ट्रॉली मैन का कोई इंतजाम है। ऐसे में आपको खुद ही ट्रॉली ढूंढनी होगी और मरीज को लादकर ऑपरेशन थिएटर तक ले जाना होगा। इस बीच अगर मरीज की हालत और बिगड़ी तो फिर भगवान ही उसका मालिक है।

ढूंढने से भी नहीं मिलेगा व्हीलचेयर

यह हाल तब है जबकि इमरजेंसी के मरीजों के लिए हॉस्पिटल के गेट पर ट्रॉली और व्हीलचेयर रखने का आदेश है। इसके लिए जगह भी तय है। इसके बाद भी अब तक न तो ट्रॉली रखी जाती है और न ही व्हील चेयर। वहीं इंट्रेंस गेट से लेकर वार्ड तक में भी कहीं ट्रॉली ढूंढने पर भी नहीं मिलेगी। ऐसे में डिलीवरी के लिए अगर किसी महिला को सदर लाया गया तो लेबर रूम पहुंचने से पहले ही डिलीवरी होने की पूरी आशंका बनी हुई है।

फैसिलिटी जीरो

सुपरस्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल में 200 बेड का मैटरनिटी और चाइल्ड वार्ड चल रहा है। जिसमें महिलाओं के लिए 150 बेड का मैटरनिटी और 50 बेड का चाइल्ड वार्ड है। लेकिन इस सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में इमरजेंसी आने पर तत्काल मरीज का इलाज शुरू किये जाने की कोई व्यवस्था नहीं है। दो साल बीत जाने के बाद भी यहां एक भी इमरजेंसी वार्ड का निर्माण प्रबंधन नहीं करा पाया है।

डिलीवरी के लिए महिला को ले गए लादकर

शनिवार को मैटरनिटी एंड चाइल्ड वार्ड में इमरजेंसी में न कोई स्टाफ तैनात था और न ही मरीजों के लिए वहां व्हीलचेयर और ट्रॉली थी। ऐसे में डिलीवरी के लिए आई महिला को रैंप के सहारे पैदल ही हॉस्पिटल में लाया गया। इसके बाद परिजन खुद महिला को ट्रॉली में लादकर लेबर रूम तक ले गए।

Posted By: Inextlive