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KANPUR(31jan)।

मंडे रात क्ख् बजे बर्रा कर्रही में एक रोड एक्सीडेंट होता है। हादसे में बाइक सवार दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए। दोनों युवकों के सिर पर इंजरी आई थी। लेकिन उनमें से एक की हालत बहुत ज्यादा नाजुक थी। मौके पर पुलिस पहुंची और क्08 नंबर एम्बुलेंस के जरिए दोनों को उर्सला के लिए लेकर निकले। इसी दौरान एक युवक के मोबाइल पर उसके दोस्त का फोन आया तो फोन पुलिस वाले ने उठाया। उसने दोस्त को हादसे के बारे में बताया तो घायलों के दोस्त ने पुलिस और एम्बुलेंस वाले से रिक्वेस्ट की, अगर ज्यादा चोट हो तो पास के ही किसी अच्छे प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट करा दो, हम भी पहुंच रहे हैं। लेकिन एम्बुलेंस वाले ने बताया कि ये सरकारी एम्बुलेंस है और हमें उर्सला हॉस्पिटल ही ले जाने के निर्देश हैं। तब तक घायलों के दोस्त और घर वाले उर्सला हॉस्पिटल पहुंच गए और इमरजेंसी में मौजूद स्टॉफ से एक्सिडेंट की बात बताई।

एक बार तो टूट गई थी आस

एक्सिडेंट की बात सुनकर वहां पर ड्यूटी कर रहे एमओ और अन्य स्टॉफ ने पहले ही कह दिया कि अगर हेड इंजरी होगी तो आप उन्हें हैलट हॉस्पिटल ले जाइएगा, क्योंकि यहां पर इस वक्त एमआरआई या सीटी स्कैन नहीं हो पाएगा। इसके बाद वो लोग एम्बुलेंस के पहुंचने का इंतजार करने लगे, कि जल्दी से आए तो हैलट के लिए रेफर कराएं, क्योंकि वक्त तेजी से भाग रहा था। थोड़ी देर में एम्बुलेंस दोनों को लेकर उर्सला इमरजेंसी पहुंच गई। यहां पर डॉक्टरों ने बताया कि दोनों के हेड इंजरी है। उनका दर्द देखकर उन्हें इंजेक्शन लगाया गया और रेफर करने के कागज तैयार होने लगे। इधर डॉक्टर अपना फॉर्म भर रहे थे, तो दूसरी तरफ एम्बुलेंस वाला फोन पर अपनी ड्यूटी नोट कराके अपना फॉर्म भर रहा था। एक्सिडेंट को हुए एक घंटे से ज्यादा हो चुका था लेकिन घायल को अभी तक स्पेसिफिक इलाज नहीं मिला था और उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी। क्0 मिनट बाद एम्बुलेंस घायलों को लेकर हैलट इमरजेंसी पहुंची जहां पर डॉक्टरों ने पहले तो पेशेंट का प्राथमिक इलाज किया उसके बाद उसे एमआरआई और सीटी स्कैन कराने के लिए भेज दिया।

रात में बंद हो जाती है 'इमरजेंसी'

एमआरआई और सीटी स्कैन की सुविधा उर्सला में भी उपलब्ध है लेकिन रात को आमतौर पर सीटी स्कैन होते नहीं है। खैर भगवान की कृपा और हैलट इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों के इलाज के बाद हेडइंजरी के पेशेंट्स की जान बच गई, लेकिन सिटी में रोज होने वाले सड़क हादसों में ऐसा नहीं होता है। सड़क हादसों में होने वाली सबसे ज्यादा मौतें हेडइंजरी के कारण ही होती हैं, लेकिन डिस्ट्रीक्ट हॉस्पिटल में ऐसे पेशेंट्स को रेफर करने के अलावा दूसरा ऑप्शन नहीं है।

उर्सला में नही है न्यूरो सर्जन

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में वैसे तो मल्टी स्पेशिएलिटी वार्ड, स्पेशल बर्न वार्ड जैसी कई सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन एक भी न्यूरो सर्जन और सुपर स्पेशिएलिस्ट डॉक्टर नहीं है। दरअसल उर्सला हॉस्पिटल पिछले कई महीनों से सीनियर डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहा है। एक साल में क्0 से ज्यादा डॉक्टरों का ट्रांसफर हो चुका है। फ्राइडे को भी तीन डॉक्टर रिटायर हुए है।

एक्सीडेंट में गोल्डन ऑवर्स की इम्पार्टेस

सीनियर डॉक्टर हेमंत मोहन बताते हैं कि हेडइंजरी के पेशेंट्स के लिए हादसे के बाद शुरुआती फ्0 मिनट गोल्डन पीरिएड होते हैं। इस दौरान अगर पेशेंट्स को इलाज मिल जाए तो उसकी जिंदगी बचने के चांस कई गुना बढ़ जाते हैं।

हर महीने रोड एक्सीडेंट में खत्म होती हैं क्00 जिंदगी

सिटी की रोड्स पर रोज आधा दर्जन से ज्यादा रोड एक्सिडेंट्स होते हैं, जिसमें औसतन दो लोगों की मौत हो जाती है। इसमें ज्यादातर मौत हादसे के एक घंटे के भीतर ही हो जाती हैं। इसके अलावा कई की मौत कुछ दिन इलाज के बाद हो जाती है। पुलिस से मिले डाटा के मुताबिक साल के पहले महीने में ही क्00 से ज्यादा लोगों की मौत रोड एक्सिडेंट्स में हुई। इसमें से ज्यादातर की मौत की वजह हेडइंजरी ही थी। इन मौतों का एक कारण लोगों का हेलमेट कम लगाना भी है।

एम्बुलेंस वालों की भी मजबूरी

क्08 नंबर एम्बुलेंस सुविधा शुरु होने से लोगों को काफी फायदा तो हुआ लेकिन रोड एक्सिडेंट्स में घायल पेशेंट्स उन्हें प्राथमिकता के आधार पर या तो डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल या फिर मेडिकल कॉलेज ले जाना पड़ता है। इसको इस तरह से समझे कि अगर किसी का कैंट एरिया में एक्सीडेंट होता है तो पहले क्08 एम्बुलेंस वाला उसे लेकर केपीएम हॉस्पिटल लेकर जाएगा, वहां डॉक्टर उसे उर्सला या फिर मेडिकल कालेज रेफर करेंगे। ऐसे में काफी समय बर्बाद हो जाता है। जिससे पेशेंट की जान को भी खतरा हो सकता है। लेकिन एम्बुलेंस वाले इस मामले में अपनी मजबूरी का हवाला देते हैं।

रेफर के चक्कर में हो चुकी हैं कई मौतें

-क्9 दिसंबर को सचेंडी में रोड एक्सीडेंट में इंजर्ड हुए युवक को सिपाही क्08 नंबर एबुलेंस से पहले उर्सला ले गए वहां पर इलाज देने की बजाय उसे हैलट रिफर कर दिया गया। वह हैलट पहुंचा लेकिन वहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत डिक्लेयर कर दिया।

- ख्फ् जनवरी को महाराजपुर में ट्रक की टक्कर से घायल युवक को पहले काशीराम अस्पताल लाया जाता है लेकिन डॉक्टर उसे हैलट रेफर कर देते हैं । हैलट पहुंचने में उसे तीन घंटे लग जाते हैं। इमरजेंसी में डॉक्टर उसका इलाज शुरु कर पाते उससे पहले ही उसकी मौत हो जाती है

- फ्0 जनवरी को चकेरी में डीसीएम की टक्कर से घायल युवक को क्08 एबुंलेंस से पहले उर्सला ले जाया जाता है। लेकिन डॉक्टर लेकिन हेड इंजरी के कारण डॉक्टर उसे हैलट रेफर कर देते हैं। लेकिन इलाज में देरी से उसकी मौत हो जाती है।

- क्0 जनवरी को बर्रा बाईपास में घायल रोड एक्सीडेंट में घायल युवक को इलाज के लिए उसे उर्सला जे जाया जाता है जहां से फिर उसे हैलट भेज दिया जाता है दो दिन बाद युवक की मौत हो जाती है।

पुलिस विभाग में साल ख्0क्फ् में दर्ज रोड एक्सीडेंट

रोड एक्सीडेंट-म्8भ्

मौतें- ब्क्भ्

गंभीर घायल- 9ख्ब्

'उर्सला में सीनियर डॉक्टरर्स की कमी तो है। लेकिन पेशेंट्स को हर संभव इलाज मुहैया कराया जाता है। केस सीरियस हो तभी हैलट रेफर किया जाता है.'

-डॉ। एनके गुप्ता, सीनियर डॉक्टर उर्सला

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