- एक साल से अलमारी में बंद हैं पुरानी फाइलें, दवा काउंटर बंद कर फार्मासिस्ट गायब

- एसआईसी कर्मचारी की रार में मरीज बेहाल, दूसरी जगह से दी जा रहीं दवाएं

GORAKHPUR: जिला महिला अस्पताल आए दिन एक नए मामले के साथ चर्चा में बना रहता है। इस बार महिला अस्पताल में एक कर्मचारी की मनमानी का मामला सामने आया है। मनमानी करने वाला कर्मचारी शनिवार से ही दवा काउंटर बंद कर लापता है। जिसके कारण मरीजों को दूसरी जगह से दवा लेनी पड़ रही है। वहीं इस बारे में एसआईसी का कहना है कि आए दिन ये फार्मासिस्ट दवा काउंटर बंद कर चला जाता है, जिसकी शिकायत भी वे कर चुके हैं। जबकि सूत्रों का कहना है कि ऑडिट टीम के आने की वजह से कर्मचारी भागा हुआ है। उसके पास पुराने रिकॉर्ड की फाइलें भी मौजूद हैं जिनका हिसाब-खिताब देना न पड़े इसलिए वो गायब हुआ है।

दवा काउंटर बंद देख कंफ्यूज मरीज

तीन दिन से दवा काउंटर पर ताला लगा हुआ है। जिससे आने वाले कई मरीज कंफ्यूज होकर इधर-उधर भटक रहे हैं। हालांकि दवा काउंटर के बंद होने के बाद एसआईसी 10 नंबर कमरे से मरीजों को दवा वितरण करा रहे हैं। लेकिन अचानक से दवा काउंटर बंद होने के पीछे की वजह बताने से हर कोई कतरा रहा है।

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गणेश शर्मा के पास है अलमारी की चाबी

बताया जा रहा है कि महिला अस्पताल में एसआईसी डॉ। डीके सोनकर और फार्मासिस्ट गणेश शर्मा के बीच काफी दिनों से तकरार चल रही है। एसआईसी फार्मासिस्ट की मनमानी की शिकायत भी कई अधिकारियों से कर चुके हैं। बावजूद इसके अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं फार्मासिस्ट भी एसआईसी की जांच कराने में लगा रहता है। हाल ये है कि बीते एक साल से दो अलमारी जिनमें पुराने रिकॉर्ड की फाइलें रखी हुई हैं, उन्हें अपने कब्जे में रखते हुए फार्मासिस्ट ने ताला जड़ दिया है। जिसको हैंडओवर करने के लिए एसआईसी कई बार कर्मचारी से मिन्नत भी कर चुके हैं लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। जिसके बाद उन अलमारियों पर एसआईसी ने हाथ से लिखा कागज चस्पा किया है। जिसमें लिखा है कि इस अलमारी का समस्त चार्ज प्राप्त नहीं है एवं इसकी चाबी गणेश शर्मा फार्मासिस्ट के पास है। इस पर तीन अन्य स्टाफ का सिग्नेचर भी कराया गया है।

फाइलें खुली तो खुल सकता है राज

एसआईसी डॉ। डीके सोनकर ने बताया कि कई बार फार्मासिस्ट गणेश से चाबी हैंडओवर करने को कहा है, लेकिन वो चाबी नहीं दे रहा है। जिससे ऑडिट में परेशानी हो रही है। यही नहीं अगर पुरानी फाइलें खुलीं तो घोटाले का भी पता चल सकता है। इससे बचने के लिए ही फार्मासिस्ट भाग रहा है। वहीं रखरखाव के अभाव में फाइलों में दीमक भी लग सकता है।

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चार साल का रिकॉर्ड खंगालेगी ऑडिट टीम

एसआईसी डॉ। डीके सोनकर ने बताया कि ऑडिट टीम आई हुई है। ये टीम 2013 से लेकर 2017 तक के रिकॉर्ड चेक करेगी। जिसमें से कुछ रिकॉर्ड तो उनके पास मौजूद हैं जबकि बाकी का सारा रिकॉर्ड फार्मासिस्ट के पास ही है। जिससे ऑडिट में परेशानी हो रही है। इस बात की जानकारी ऑडिट टीम को भी दे दी गई है।

कोट्स

डॉक्टर को दिखाने के बाद दवा काउंटर के खुलने का इंतजार कर रहे थे। बाद में पता चला दवा दूसरी जगह मिलेगी।

गिरिराज, तीमारदार

काफी देर तक दवा के लिए परेशान थी। बाद में एक कर्मचारी ने बताया कि दवा दूसरे कमरे में मिलेगी।

- मीना, मरीज

वर्जन

कई बार से पुराने रिकॉर्डो की अलमारी की चाबी हैंडओवर करने को फार्मासिस्ट से कहा जा रहा है लेकिन वो चाबी नहीं दे रहा है।

- डॉ। डीके सोनकर, एसआईसी, महिला अस्पताल

Posted By: Inextlive