नंबर गेम

पांच दिन का वोटिंग का डाटा

26000

कुल ट्रेनिंग लेने वाले कर्मचारी

549

पहले दिन पड़े कुल वोट

629

दूसरे दिन पड़े कुल वोट

677

तीसरे दिन पड़े कुल वोट

702

चौथे दिन पड़े कुल वोट

769

पांचवें दिन पड़े वोट

3326

कुल वोटों की संख्या

-सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही, उसी बिल्डिंग में जाते हैं ट्रेनिंग लेने, लेकिन नहीं डालते वोट

-पांच दिन बीतने के बावजूद काफी नीचे है बैलेट पोस्टल वोटिंग का ग्राफ

vineet.tiwari@inext.co.in

PRAYAGRAJ: सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही चरम पर है. वह जान-बूझकर अपने कर्तव्यों का निर्वाह नहीं करना चाहते हैं. बात यहां पर पोस्टल बैलेट वोटिंग की हो रही है. जिन कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी लगी है वह ट्रेनिंग में तो पहुंच रहे हैं. लेकिन वोट डालने में उन्हें कोई इंट्रेस्ट नहीं है. हालात यह हैं कि इसी बिल्डिंग में ट्रेनिंग लेने के बाद वह सीधे घर चले जाते हैं और फैसिलिटेशन सेंटर की ओर पलटकर देखते भी नहीं.

दस फीसदी भी नहीं पहुंचा ग्राफ

लोकसभा चुनाव में कुल 26000 कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी लगी है. इनमें पीठासीन अधिकारी सहित मतदान कर्मी 1, 2 और 3 शामिल हैं. इन सभी को प्रयाग संगीत समिति में एक से छह मई के बीच ट्रेनिंग दी जा रही है. साथ ही फैसिलिटेशन सेंटर बनाकर पोस्टल बैलेट के जरिए वोटिंग की सुविधा भी दी जा रही है. आश्चर्य यह है कि यह लोग ट्रेनिंग तो ले रहे हैं लेकिन वोट नहीं डाल रहे हैं. इसको लेकर खुद अधिकारी भी सकते में आ गए हैं. रविवार को मिलाकर शुरुआती पांच दिनों में महज 3326 वोट ही पड़े थे जो चिंता का विषय बन चुका है. बता दें कि प्रतिदिन 4200 कर्मचारियों को दो पालियों में ट्रेनिंग पर बुलाया जा रहा है.

सभी को रहती है घर भागने की जल्दी

अधिकारियों का कहना है कि प्रयाग संगीत समिति में सुबह से शाम तक फैसिलिटेशन सेंटर के जरिए प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. कर्मचारियों को बताया जा रहा है कि किस प्रकार वोट कर सकते हैं. फिर भी पहली पाली समाप्त होते ही कर्मचारी सीधे घर निकल जाते हैं. शाम की पाली में यही हाल है.

प्रक्रिया लगती है उलझाऊ

मतदानकर्मियों से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा था कि भीषण गर्मी में ट्रेनिंग मुश्किल है. आयोग को वोटिंग प्रक्रिया सरल बनाना चाहिए. हमें फार्म-12 भरने के साथ ड्यूटी लेटर और वोटर आईडी की फोटो कॉपी लेकर आनी होती है. लेखपाल से भाग संख्या मिलानकर पर्ची लेकर पोस्टल बैलेट से वोट डालना होता है. यह काफी लंबी प्रक्रिया है और ट्रेनिंग लेने के बाद थकावट के चलते वोट देना संभव नहीं हो पाता.

बॉक्स

अधिकारियों पर है दबाव

अधिकारियों पर अगले दो दिन में अधिक से अधिक वोटिंग कराने का दबाव है. उनका कहना है कि सुबह से शाम तक माइक पर प्रचार किया जा रहा है. बाहर पोस्टर और बैनर भी लगवाए गए हैं. कर्मचारियों की सुविधा के लिए हेल्प डेस्क भी है. फिर भी कर्मचारी वोटिंग में रुचि नही दिखा रहे हैं.

वर्जन

हमारी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है. कर्मचारियों को अवेयर किया जा रहा है. उनको भी अपने लोकतंत्र के लिए ईमानदारी का परिचय देना चाहिए. थोड़ी देर की मशक्कत के बाद वह अपना वोट डाल सकते हैं.

-शिवानी सिंह,

अपर नगर मजिस्ट्रेट व प्रभारी फैसिलिटेशन सेंटर

चार दिन में दस फीसदी वोट भी नहीं पड़े हैं. कुछ कर्मचारियों का कहना है कि वह वोटर कार्ड की फोटोकापी नहीं लाए हैं या फार्म 12 नहीं भरा है. कई तर्क देकर वह वोटिंग से बचने की कोशिश करते हैं.

-अजय चौरसिया,

उपायुक्त उद्योग व सहायक प्रभारी फैसिलिटेशन सेंटर

Posted By: Vijay Pandey