- सभी दुकानदार सड़कों पर सजाते हैं अपना सामान

- रिक्शा और ठेले वाले सड़क पर करते हैं एंक्रोचमेंट

- प्रशासन कुछ कदम उठाकर खत्म कर सकता है समस्या

Meeurt : कैंट बोर्ड अपने क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त कराने की मुहिम चला रहा है। अगर बात पूरे शहर की जाए तो अधिकतर लोगों ने सड़क को घेरा हुआ है। व्यापारियों से लेकर रिक्शा चालकों तक और ठेले वालों से लेकर आम लोगों तक सभी अतिक्रमण करने में कम नहीं है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या जिला प्रशासन इतना कमजोर है कि वो अतिक्रमण हटाने में अक्षम है? दूसरा ये कि अतिक्रमण के लिए हम क्यों नहीं हैं जिम्मेदार? अगर हम खुद को थोड़ा ठीक लें तो सिटी की आधी परेशानी दूर सकते हैं।

सड़क पर सजा सामान

वैली बाजार, घंटाघर, खैरनगर, कोटला, नगर निगम रोड नील गली, हापुड़ रोड, गढ़ रोड ये कुछ ऐसी जगहें हैं, जहां पर व्यापारी अपने सामान की नुमाइश करने के लिए सड़क का इस्तेमाल करते हैं। ब्0 फुट की रोड ख्0 फट से भी कम रह जाती है। इस कारण ट्रैफिक जाम होता है। साथ में पैदल चलने वाले लोगों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, लेकिन इन्हें हटाने को कोई प्रयास नहीं कि जाता है। अगर प्रशासन प्रयास करता भी है तो व्यापारी वर्ग एकजुट होकर आंदोलन शुरू करता है। ऐसे में प्रशासन को अपने पांव पीछे हटाने पड़ते हैं।

ठेले भी कम नहीं

सिटी में अतिक्रमण करने के मामले रिक्शा और ठेले वाले भी कम नहीं है। हापुड़ अड्डा चौराहा, बेगमपुल, कोटला बाजार, इंद्रा चौक ऐसे कई बाजार है, जहां रिक्शा और ठेले वालों का अतिक्रमण हो रखा है। कई बार प्रयास करने के बाद भी वो वहीं जमा हो जाते हैं। इसका सबसे बड़ा रीजन ये है कि निरंतर फॉलोअप न होना। एक दिन कार्रवाई करने बाद कोई भी अधिकारी वहां दोबारा निरीक्षण को नहीं जाता है। दूसरी बात ये इन ठेले वालों को पीछे की दुकानों के व्यापारियों का संरक्षण प्राप्त होता है। जब भी उन्हें हटाने का प्रयास होता है तभी व्यापारी उन्हें बचाने को पहुंच जाते हैं।

मनमर्जी से पार्किंग

शहर में एक अतिक्रमण वाहनों का भी है। ये एक ऐसा अतिक्रमण है जिससे लोगों की जान भी जा सकती है। सिटी में अधिकतर ट्रैफिक जाम इसी तरह के अतिक्रमण से लगता है। सिटी के कई मार्केट ऐसे हैं जहां पार्किंग की सुविधा होने के बाद पब्लिक रोड साइड या दुकानों के बाहर अपने वाहनों को पार्क करते हैं। दोनों ओर वाहनों के पार्क होने से पैदल पब्लिक और व्हीकल के निकलने के लिए जगह मिलती ही नहीं है। अगर बात बुढ़ाना गेट मार्केट की बात की जाए तो आपको इसका सटीक उदाहरण मिल जाएगी। वहीं बेगमब्रिज रोड पर भी इसी तरह से देखने को मिल जाएगी।

वाहनों की भीड़

अगर आपका बैंक दिल्ली रोड स्थित प्राइवेट बैंक में है और कोई ट्रांसजेक्शन करने के लिए जा रहे हैं तो आप अपनी गाड़ी को सड़क पर ही पार्क करेंगे। ऐसी कोई और जगह तलाश नहीं करेंगे जहां ट्रैफिक न चल रहा और आम पब्लिक को कोई दिक्कत न हो। उसके बाद एक-एक करके उसी गाड़ी के पीछे तमाम लोग अपनी गाड़ी पार्क करने लगेंगे। जिससे पूरा रोड जाम होने की स्थिति में आ जाएगा। ताज्जुब की बात तो ये है कि बैंक के लोग इसे बुरा नहीं समझते हैं। सिटी के तमाम बैंक इसी रूल को फॉलो करते हुए अतिक्रमण कर रहे हैं, जिन्हें रोकने वाला कोई नहीं। जिसमें गवर्नमेंट सेक्टर के भी बैंक शामिल हो।

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क्या हो सकता है उपाय?

अगर प्रशासन चाहे तो दो सालों का एक्शन प्लान तैयार कर सिटी के प्रमुख सड़कों से अतिक्रमण हटाया जा सकता है। एक्सपर्ट की माने तो दिल्ली रोड क्भ् किलोमीटर, हापुड़ रोड क्0 किलोमीटर, गढ़ रोड क्0 किलोमीटर, ओडियन रोड, शारदा रोड, पीएल शर्मा रोड, अहमद रोड आदि तकरीबन मिलाकर 7ख् किलोमीटर के आसपास है। अगर इन्हें हर महीने फ् किलोमीटर से अतिक्रमण को हटाकर व्यवस्थित किया जाए तो करीब दो सालों में सिटी की प्रमुख सड़कों से अतिक्रमण हट जाएगा। साथ ही काफी समस्याओं का हल दिखाई देगा।

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प्रशासन क्यों नहीं उठाता कदम?

जब कैंट बोर्ड अपने इलाके में कदम उठा सकता है तो प्रशासन कदम क्यों नहीं सकता है। जिला प्रशासन और पुलिस मेहताब एरिया को अतिसंवेदनशील मानता है। जब कैंट बोर्ड वहां से अतिक्रमण हटा सकता है तो सिटी में शायद ही मेहताब से ज्यादा संवेदनशील इलाका हो। इससे एक बात साबित होती है कि प्रशासन की उदासीनता के कारण ही अतिक्रमण नहीं हट रहा है। इसके विपरीत लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

Posted By: Inextlive