Meerut : सडक़ के आसपास फुटपाथ क्यों बनाए जाते हैं? सीधा-सा जवाब है ‘ताकि पैदल चलने वाले इन पर चल सकें और ट्रैफिक का कबाड़ा न हो.’ मगर शायद मेरठ में फुटपाथ की परिभाषा दूसरी है.


यहां तो फुटपाथ का मतलब है दुकान लगाने के लिए एक्स्ट्रा स्पेस। दुकानदार की प्राइवेट प्रॉपर्टी। जहां सरकार ने बाकायदा ब्लॉक टाइल्स लगाकर दी हैं। अपने शहर में फुटपाथ का क्या हाल हो रहा है, ये आप खुद ही देख लीजिएकहां चलें हम जो सुविधाएं शहरवासियों के लिए निहायत जरूरी होती हैं, उन्हें भी कैसे हथिया लिया जाता है, इसके सबसे अच्छे उदाहरण मेरठ के फुटपाथ हैं। शहर की एक भी सडक़ ऐसी नहीं बची है, जहां फुटपाथ पर स्थाई या अस्थाई कब्जा न हुआ हो। कहीं फुटपाथ पर दुकानें लगी हैं तो कहीं कब्जे के लिए मूर्तियां रख दी गई हैं। कहीं-कहीं तो ‘कब्जा बहादुरों’ ने ब्लॉक उखाडक़र घर में लगा लिए गए हैं। और दुकान के प्लेटफॉर्म के रूप में फुटपाथ का इस्तेमाल तो अब किसी भी तरह से नई बात नहीं रही।फुटपाथ हैं पर नहीं हैं


मेरठ के सिटी और कैंट के क्षेत्रों में कुछ ऐसी ही स्थिति है। शारदा रोड, वेस्टर्न कचहरी रोड, मेरठ कॉलेज रोड, आबूलेन, बांबे बाजार, अहमद रोड, सत्यम सिनेमा रोड आदि कई ऐसी मार्केट हैं, जहां लोगों के पैदल चलने के लिए बनाई गई रोड दुकानदारों के कब्जे में है।जूस बार से ब्यूटी पार्लर तक

मेरठ के फुटपाथों पर जूस बार से लेकर ब्यूटी पार्लर तक खुल चुके हैं। ये आपको आबूलेन और अहमद रोड पर साफ दिख जाएंगे। इसके अलावा दुकानों के बाहर पुतले सजाकर फुटपाथों को घेर रखा है, लेकिन उन पर कार्रवाई करने वाला कोई नहीं है। वहीं फुटपाथ पर छोले-भटूरे, आइसक्रीम्स, गोल गप्पे बेचने वाले भी कम नहीं हैैं। तीज और रक्षाबंधन के समय मेहंदी लगाने वाले फुटपाथ को ही अपनी प्रॉपर्टी समझने लगते हैं। नेताओं का संरक्षणशहर में अतिक्रमण की जानकारी नगर निगम को भी होती है और ट्रैफिक पुलिस को भी मगर छुटभैये से लेकर ‘बड़े भैये’ तक के दबाव के चलते ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती। जब भी पैदल चलने वालों के हक की जगह को अपने कब्जे में लेने वाले दुकानदारों पर कार्रवाई की शुरुआत होती है क्षेत्रीय नेता दखल देने पहुंच जाते हैं। शिकायत करने वाले और कब्जा धारक दोनों ही पक्षों को ‘कुछ दिन और’ का आश्वासन दे दिया जाता है और समस्या बरकरार रहती है। कोई फायदा नहीं हुआ

अगर कैंट एरिया की बात करें तो कई बार फुटपाथ को क्लीन करने की कोशिश की जा चुकी है। उसके बाद भी वो ही हाल है। यहां तक सब एरिया कमांडर भी इस पर कोशिश कर चुके हैं। इसके लिए कमांडर ने व्यापारियों के साथ कई बार मीटिंग भी। कुछ दिनों तक व्यापारियों ने फुटपाथ को क्लीन भी किया। थोड़े दिनों के बाद स्थिति पैदा हो गई। इसके अलावा कैंट बोर्ड का डंडा भी ऑकेजनली ही चलता है। जिदंगी का सवाल फुटपाथ क्लीन न होने से पब्लिक को सडक़ पर चलना पड़ता है। इस कारण पैदल चलने वालों को एक्सीडेंट का खतरा रहता है। कुछ दुकानदार ऐसे भी हैं, जिन्होंने फुटपाथ जगह अपनी शॉप के आगे छोड़ी हुई है, वे चाहते हैं कि बाकी दुकानदार भी ऐसा करें। आबूलेन पर फोटो स्टूडियो के मालिक नितिन वाधवा कहना है कि मैं रोज लोगों को सडक़ पर चलते देखता हूं। कई बार वे कार या बाइक से टकरा जाते हैैं। अगर फुटपाथ खाली हो तो लोगों को मार्केट में चलने में काफी सहुलियत होगी और वो सेफ भी रहेंगे।"ये भी एक तरह का एंक्रोचमेंट है, जो सिटी की एक बहुत बड़ी समस्या है। इस समस्या को निपटाने के लिए मार्केट टू मार्केट व्यापारियों से बात की जाएगी। ताकि वो फुटपाथ को क्लीन करें और पब्लिक को चलने के लिए जगह मिल सकें." - हरिकांत आहलुवालिया, मेयर, नगर निगम
"आजकल पैदल चल कौन रहा है। सब अपनी स्कूटी और कार लेकर आ रहे हैं। सब जगह व्यापारियों की ही गलती नहीं होती है। अगर प्रशासन में इच्छा शक्ति है और पब्लिक के लिए कोई कदम उठाना चाहता है तो व्यापारी उसका पूरा सहयोग करेंगे."- अरुण वशिष्ठ, अध्यक्ष, संयुक्त व्यापार संघ

Posted By: Inextlive