हर जांच से बचे अनिल यादव, ईडी ने कसा शिकंजा
ashok.mishra@inext.co.inLUCKNOW: इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट ने गुरुवार को गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में जिन तीन इंजीनियरों की संपत्तियों को अटैच किया है उनमें अनिल यादव का नाम चौंकाने वाला है। दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गोमती रिवरफ्रंट की दो बार उच्चस्तरीय जांच हुई और इसके बाद सिंचाई विभाग द्वारा गोमतीनगर के विभूति खंड थाने में आरोपित इंजीनियरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी गयी। तीनों बाद सिंचाई विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर जांच अधिकारियों की नजर से बचते रहे लिहाजा एफआईआर में उनका नाम शामिल नहीं किया गया। ईडी ने जब अपनी जांच की तो पता चला कि अनिल यादव का रसूख चीफ इंजीनियर रूप सिंह यादव से कमतर नहीं था हालांकि उसने रिश्वत लेते वक्त ऐसी गलतियां की जिससे ईडी के हाथ कई पुख्ता सुराग लग गये।पत्नी और भाई के नाम लिया चेक
ईडी की जांच में सामने आया कि जेई से असिस्टेंट इंजीनियर बने अनिल यादव का गोमती रिवरफ्रंट निर्माण कार्य में अहम भूमिका थी। अपने सियासी रसूख के बल पर उसने ठेकेदारों के बीच भी प्रभाव स्थापित कर लिया और उनसे बतौर रिश्वत लाखों रुपये वसूले। ईडी को जब ठेकेदारों से पूछताछ में अनिल यादव का नाम मालूम पड़ा तो उनको तलब करने के बाद उनके बैंक खातों की पड़ताल की गयी। अनिल यादव के साथ उनकी पत्नी और भाई के बैंक खातों की भी जांच हुई तो ईडी के अफसर भी हैरान रह गये। पता चला कि अनिल यादव अपनी पत्नी और भाई के नाम से ठेकेदारों से रिश्वत की रकम चेक से लेते थे और उससे प्रॉपर्टी खरीदते थे। इस तरह उन्होंने ठेकेदारों से करीब 45 लाख रुपये जमा कराए। इतना ही नहीं, वे कई महीनों तक अपनी तनख्वाह भी बैंक से नहीं निकालते थे और बाद में उसे अपने एक दूसरे खाते में ट्रांसफर करके प्रॉपर्टी खरीद लेते थे। ईडी ने रिश्वत की रकम से गोमतीनगर एक्सटेंशन और सुल्तानपुर रोड पर खरीदे गये तीन प्लॉट को अटैच किया है।ये इंजीनियर थे एफआईआर में नामजदतत्कालीन मुख्य अभियंता गोलेश चंद्र (रिटायर्ड), एसएन शर्मा, काजिम अली और अधीक्षण अभियंता शिवमंगल यादव (रिटायर्ड), अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह (रिटायर्ड) और अधिशासी अभियंता सुरेश यादव।