-नियामक आयोग में बिजली दरों पर सुनवाई में हंगामा

-रेगुलेटरी और फिक्स सरचार्ज से बिजली दरें बढ़ाने की तैयारी

-आयोग ने उपभोक्ताओं के सुझावों पर विचार का दिया आश्वासन

LUCKNOW प्रदेश में बिजली दरों के लिए शुक्रवार को विद्युत नियामक आयोग में हुई जनसुनवाई में खूब हंगामा हुआ। उपभोक्ताओं ने बिजली कर्मियों के यहां बिजली मीटर न लगाए जाने पर जमकर हंगामा किया। उपभोक्ताओं ने इस दौरान इंजीनियरों और बिजली कर्मियों के यहां बिजली मीटर न लगाने सहित अन्य मामले रखकर पावर कारपोरेशन को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। साथ ही फिक्स चार्ज व रेगुलेटरी सरचार्ज भी खत्म करने की मांग रखी। रेगुलेटरी सरचार्ज आदि से चुनाव बाद बिजली महंगी हो सकती है।

पावर कारपोरेशन ने रखी दरें

आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह तथा सदस्य एसके अग्रवाल व केके शर्मा की मौजूदगी में पावर कारपोरेशन की ओर से बिजली दरों पर प्रस्तुतिकरण दिए जाने के बाद शुरू हुई सुनवाई में उपभोक्ताओं ने एक-एक कर विभाग की खामियां और सुधार की दिशा दिखाई। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं का फिक्स चार्ज समाप्त करने, ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में कमी लाने, रेगुलेटरी सरचार्ज को पूरी तरह खत्म करने और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं का मिनिमम गारंटी चार्ज समाप्त करने की मांग रखी।

इसी तरह अन्य उपभोक्ताओं में पीएन कल्कि, राकेश गोयल व बीएन गुप्ता ने बिजली कार्मिकों के घरों में बिजली मीटर लगाने की मांग उठाते हुए कहा कि जब तक मीटर नहीं लगेगा तब तक एनर्जी एकाउंटिंग नहीं हो सकेगी। घरेलू उपभोक्ता शिवाकांत त्रिपाठी ने बिजली चोरी पर रोक लगाने व बिजली बचाने पर जोर दिया, जबकि रमाशंकर अवस्थी ने पारेषण की लाइन हानि पर चिंता जताई। अवधेश अग्रवाल ने रेगुलेटरी सरचार्ज को तुरंत समाप्त करने के साथ उद्योगों की बिजली दरों में कमी लाने की जरूरत बताई।

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सुधार की बहुत गुंजाइश

विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह ने जनसुनवाई में उपभोक्ताओं की समस्याएं व शिकायतें सुनने के बाद कहा कि प्रदेश में अभी भी सुधार की बहुत गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि जो बिजली उपभोक्ता लगातार भुगतान करते हैं, उन्हीं पर भार डाला जाता है, जबकि बिल जमा न करने वालों के प्रति विभाग उदासीन है। उन्होंने बिजली कंपनियों के लिए समय से ऑडिट कराने और सरकारी विभागों से बकाया वसूलने पर जोर देने को भी जरूरी बताया।

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निकाले गए ट्रांसमिशन इंजीनियर

जनसुनवाई के दौरान पावर ट्रांसमिशन कंपनी की ओर से निदेशक स्तर के अधिकारी की बजाय अधिशासी अभियंताओं की मौजूदगी देख विद्युत नियामक आयोग का पारा गरम हो गया। आयोग के सदस्य एसके अग्रवाल ने फटकार लगाते हुए इंजीनियरों को बैठक से बाहर जाने का हुक्म सुना दिया, जिससे सभी सकते में आ गए। हालांकि अधिशासी अभियंता उठकर बाद में पीछे की सीटों पर बैठे रहे।

Posted By: Inextlive