डॉ भीमराव अम्बेडकर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के student जय प्रकाश ने सख्त बीमार पिता की मदद के लिए गुहार नहीं लगाई तो क्या उसके साथियों को जैसे ही यह बात पता चली उन सबने मिलकर funds जमा किये. मदद के लिए यूनिवर्सिटी के teachers और employees भी आगे आए. BHU Hospital के doctors भी इलाज में help कर रहे हैं. आइए देखिए दोस्ती और इंसानियत की एक मिसाल

कहते हैं कि जो मुश्किल में काम आता है, वही सच्चा दोस्त होता है। मगर आप उन दोस्तों का क्या कहेंगे जो आप की मदद की गुहार लगाने से पहले ही आप तक मदद पहुंचा दें। डॉ भीमराव अम्बेडकर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के एमएससी फस्र्ट सेमेस्टर के स्टूडेंट जय प्रकाश के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है।
गरीब किसान के घर में जन्में जय प्रकाश के सिर पर एक महीने पहले ऐसी मुसीबत आई जिसकी वजह से उनको अपनी स्टडी तक छोडऩे की नौबत आ गई। पैसे से कमजोर जय प्रकाश के पिता लालता प्रसाद को हार्ट वॉल्व रप्चर हो गया। डाक्टर ने पेस मेकर लगाने के लिए दो लाख का खर्च बता दिया। अपनी फीस जमा करने के लिए टयूशन पढ़ाने वाला स्टूडेंट आखिर इतना पैसा कहां से लाता। 15 नवम्बर को उसने यह बात फोन पर अपने एक फ्रेंड से बताई और कहा कि चाहे हमें घर बेचना पड़े या जमीन, लेकिन पिताजी का आपरेशन जरूर कराऊंगा। एक दोस्त से यह बात दूसरे दोस्त तक पहुंची। सभी दोस्तों ने मिलकर कैम्पस के अंदर एक अभियान चलाया और दो दिन में 55 हजार रुपए उसके एकाउंट में डाल दिया। इस अभियान की खबर जय प्रकाश तक को नहीं लगी और जब उसे इस बात का पता चला तो उसकी आंखें दोस्तों के इस एहसान पर नम हो गईं और हो भी क्यों ना क्योंकि हर फ्रेंड जरूरी होता है यार यह कहना है जय प्रकाश के दोस्तों का 
सबने की मदद
जयप्रकाश के दोस्त अनंत बताते हैं कि जयप्रकाश एमएससी इंवॉयरमेंटल बायोटेक्नोलॉजी का स्टूडेंट है। उसकी फाइनेंशियल कंडीशन बहुत अच्छी नहीं है। इसकी वजह से उसने कुछ दिन पहले अपनी पढ़ाई छोडऩे की बात भी कही थी लेकिन दोस्तों के समझाने के बाद उसने टयूशन पढ़ाना शुरूकर दिया और अपनी स्टडी का खर्च निकालना शुरूकर दिया। जय प्रकाश के दोस्त बताते हैं कि चार दिन पहले जब जय प्रकाश ने अपने पिता की कंडीशन के बारे में बताया और कहा कि वह शायद इस बार के सेमेस्टर एग्जाम ना दे पाए। क्योंकि उसको पिता के इलाज के लिए पैसे जमा करना है और आपरेशन कराना है। इसके बाद दोस्तों ने जय प्रकाश की मदद करने की ठानी। पहले तो उन्होंने इस बारे में अपने टीचर्स से बात की। यूनिवर्सिटी ने आफिशियल किसी भी तरह की मदद करने से इंकार कर दिया। मगर अनआफशियल मदद कैसे हो सकती है इसका रास्ता भी दिखा दिया। सबसे पहले जय प्रकाश के क्लास में पढऩे वाले स्टूडेंट्स ने मदद के लिए पैसे जमा किए। फिर यह बात यूनिवर्सिटी के गल्र्स और ब्वायज हॉस्टल के स्टूडेंट्स के पास पहुंची और रातोंरात स्टूडेंट्स ने हजारों रुपए जमा कर लिये। उसके बाद फिर सुबह कैम्पस में सैकड़ों स्टूडेंट्स जय प्रकाश की मदद के लिए आगे आये। स्टूडेंट्स, टीचर्स और कर्मचारियों ने दिल खोलकर उसकी मदद करना शुरू कर दी और शाम तक 55 हजार रुपए स्टूडेंट्स ने जमा कर लिए।
बस यही हमारी दुआ है।
अब दोस्तों का कहना है कि जल्द ही से जय प्रकाश के पिता अच्छे हो जाएं और वह यहां आकर अपना एग्जाम दे सके , बस यही हम फ्रेंड्स की  दुआ है। वहीं जयप्रकाश का फस्र्ट सेमेस्टर का एग्जाम भी 28 नवंबर से है। जय प्रकाश कहते हैं कि वह हॉस्पिटल में अपने साथ बुक्स भी लेकर आये हैं। लेकिन समय नहीं मिल पा रहा है। उनका कहना है कि एग्जाम तो अगले साल भी दे सकता हूं। लेकिन पिता जी एक बार चले गये तो वापस नहीं आयेंगे। समय मिलेगा तो पढ़ लूंगा।

Account number बताओ, पैसे भेजने हैं
सचिन ने जय प्रकाश से उनके बैंक का एकाउंट नंबर मांगा। जय प्रकाश बताते हैं कि सचिन के एकाउंट नंबर मांगने पर मैं थोड़ा आश्चर्य में पड़ गया। मैंने पूछा क्यों? उधर से जवाब आया तू ज्यादा पूछताछ न कर बस नंबर पता। पैसे भेजने हैं। मेरे लिए बात और भी पेचीदा होती जा रही थी। मैंने तुरंत पूछा कैसे पैसे? सचिन का जवाब सुन कर मेरे आंखों में आंसू आ गये। सचिन ने कहा हम दोस्तों ने तेरे पापा के इलाज के लिए 50 हजार रुपये जुटाये हैं। उन्हीं पैसों को तेरे पास भेजना है। मैंने पूछा कि इतने सारे पैसे तुम लोगों ने जुटाये कैसे और मैं अगर इन्हें ले भी लूं तो चुकाऊंगा कैसे? मेरी तो दस रुपये की भी हैसियत नहीं है। सचिन ने बताया कि ये पैसे हम दोस्तों और फैकल्टी के टीचर्स ने मिल कर जुटाये हैं। जिन्हें तुम्हे चुकाने की जरूरत नहीं है। जय प्रकाश बताते हैं कि उनके दोस्तों ने पचास हजार रुपये भेजने की बात कह कर उसकी उम्मीदें जिंदा कर दीं। लगा कि पिता जी अब ठीक हो जायेंगे। दोस्तों की दुआएं और उनकी मदद जरूर रंग लायेगी। बड़ा भाई पैसे के इंतजाम में लगा है। जैसे भगवान ने इतनी मदद की वह आगे भी करेगा. 

बीएचयू में चल रहा है इलाज
बलिया के चौरा गांव के रहने वाले जय प्रकाश ने गत 15 नवंबर को अपने पिता को बीएचयू में एडमिट किया। जांच में पता चला कि उनके पिता के हार्ट के दोनो वाल्व खराब हो चुके हैं.  बीएचयू के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ धर्मेन्द्र जैन की देखरेख में उनका इलाज चल रहा है। डॉक्टर ने उन्हें डबल चेंबर पेसमेकर लगाने की सलाह दी है.  पेसमेकर ही जयप्रकाश के पिता का अंतिम इलाज है। जिसमें तकरीबन दो लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है। जयप्रकाश बताते हैं कि उनके पिता को पिछले एक साल से हार्ट की परेशानी थी। पिछले दिनों अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। छोटा भाई शिवानंद उन्हें तुरंत बलिया ले गया। जहां डॉक्टर ने जवाब दे दिया। उसके बाद भाई उन्हें लेकर बीएचयू आया। यहां पर मेरे पिता को अल्र्टनेट व्यवस्था पर रखा गया है। डॉक्टर्स का कहना है कि चार से पांच दिन तक जब तक पैसे का इंतजाम नहीं हो जाता उनके पिता को वो सेफ रखेंगे।
बहुत अच्छी नहीं माली हालत
चार भाइयों में दूसरे नंबर पर जय प्रकाश है। दो छोटे भाई रवि कुमार और रमेश गांव में पिता के साथ रहते हैं। पिता दूसरों की जमीन अधिया पर लेकर खेती करते हैं जिससे दो वक्त की रोटी बड़ी मुश्किल से मयस्सर होती है। रमेश गांव में ही ट्यूशन करता है और टीडी कालेज बलिया से बीएससी कर रहा है। वहीं रवि ने बीए करने के बाद पिता का हाथ बंटाने के लिए पढ़ाई छोड़ दी है। सबसे बड़ा भाई शिवानंद ललितपुर में सिपाही है। लेकिन उसकी भी आमदनी में सिर्फ गुजारा ही हो सकता है। मां पैर से लाचार है, चल नहीं सकती। इलाज के लिए पैसे नहीं है। किसी तरह जिंदगी की गाड़ी चल रही है। जय प्रकाश कहते हैं कि दुनिया में अगर बहुत से अच्छे दोस्त हैं तो कुछ दरिंदे इंसान के रूप में घूम रहे हैं। जिन्हें सिर्फ पैसे से मतलब है। इंसान की जान उनके लिए कोई मतलब नहीं रखती। जय प्रकाश ने कहा कि भाई जब बलिया से  पिताजी को लेकर बनारस आया तो उसे एक आटो वाला एक प्राइवेट नर्सिंग होम लेकर चला गया। जहां उनका एक दिन तक इलाज चला। भाई ने अपनी गरीबी का रोना रोया फिर भी नर्सिंग होम वालों ने उससे एक दिन में तकरीबन 15 हजार रुपये वसूल लिए। पिता जी को टेंपरेरी रिलीफ देने के लिए उन्होंने 20 हजार रुपये की एक मशीन लगाने की भी बात कही। वो तो शुक्र है कि हम बीएचयू आ गये। यहां पर वो मशीन सिर्फ पांच हजार रुपये में मिल गई।
बीएचयू ने बढ़ाया मदद का हाथ
जय प्रकाश के पिता के इलाज में बीएचयू ने हाथ आगे बढ़ाया है। आईएमएस डायरेक्टर प्रो टीएम महापात्रा ने उसे हर संभव मदद देने का भरोसा दिलाया है। प्रो टीएम महापात्रा का कहना है कि इस सोसाइटी में बहुत से लोग ऐसे हैं जो इस तरह के खर्चों को अफोर्ड नहीं कर सकते। लेकिन हम तो डॉक्टर हैं हमारा काम लोगों की जान बचाना है। हमसे नियमों के अंदर रहते हुए जो कुछ भी बन पड़ेगा हम करेंगे। हमारे पास ऐसे पेशेंट्स के लिए कोई अलग से फंड तो नहीं है लेकिन हम कहीं न कहीं से कुछ व्यवस्था करने की कोशिश करेंगे. 

अपील आई नेक्स्ट की तरफ से

जय प्रकाश ने किसी से किसी भी तरह की मदद की मांग नहीं की है। लेकिन इंसानियत के नाते हम उनकी तरफ से आपसे मदद की अपील करते हैं। आपकी छोटी मदद एक बेटे को यतीम और एक पत्नी को विधवा होने से बचा सकती है। अगर आप कुछ करना चाहते हैं तो जय प्रकाश से मोबाइल नंबर 09598821229 पर संपर्क कर इंसानियत की लाज रखने में अपना सहयोग दे सकते हैं।

Posted By: Inextlive