- अलीनगर के कृष्ण चंद्र रस्तोगी के पास है 185 देशों की माचिस

- 12,627, माचिस के कलेक्शन के साथ 15 जून 1992 को 'लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड' में दर्ज हुआ नाम

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GORAKHPUR: शौक बड़ी चीज है। किसी को सिक्के कलेक्ट करने का शौक होता तो किसी को डाक टिकट जमा करने का, लेकिन अलीनगर के 7ब् साल के कृष्ण चंद्र रस्तोगी का शौक निराला है। यह उनका शौक ही है कि आज उनके पास दुनिया के क्8भ् देशों के मैच बॉक्स (माचिस) हैं। उनके शौक को लिम्का बुक ऑफ रिकॉ‌र्ड्स ने भी मान्यता दी और उन्हें सर्टिफिकेट दिया है। आखिर कैसे जागा उन्हें शौक और कितने सालों में उन्होंने कलेक्ट किए क्8भ् देशों के मैच बॉक्स? यह जानने के लिए आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने उनके साथ कुछ वक्त बिताया। इस दौरान कृष्ण चंद्र रस्तोगी ने अपने क्8भ् देशों के इस अनोखे सफर से रूबरू कराया।

क्8भ् देशों से की दोस्ती

7ब् वर्षीय कृष्ण चंद्र रस्तोगी पेशे से बिजनेसमैन हैं। लोगों से दोस्ती करना उनकी हॉबी में से एक है। यह सिलसिला क्970 से शुरू हुआ। यह उनके मि लनसार व्यक्तिव का ही नतीजा है कि उनके विदेशी मित्रों की भी संख्या अच्छी खासी हच्। यह उनकी दोस्ती का नतीजा ही है कि उनके विदेशी मित्रों ने उन्हें अपने अपने देश की मैच बॉक्स दी। आज उनके पास क्8भ् देशों की माचिस है। उनके इस शौक को सलाम करते हुए क्भ् जून क्99ख् को लिम्का बुक ऑफ रिकॉड्स ने उन्हें नवाजा। लिम्का की बुक में उनके नाम से क्ख्,म्ख्7 माचिस दर्ज है। आज भी रस्तोगी के घर डाकिया किसी न किसी देश का मैच बॉक्स डिलीवर करता है।

दोस्ती में है ट्विस्ट

रस्तोगी बताते हैं कि आज लोग सोशल साइट्स पर दोस्ती करते हैं, लेकिन हमारे वक्त में ऐसा कुछ नहींथा। हम आमने सामने मिलते थे और दोस्ती करते थे। लोग एक दूसरे को लेटर लिखते थे। उस वक्त भारत सरकार की तरफ से पेन फ्रेंड्स लीग एसोसिएशन था। रस्तोगी उसके मेंबर थे। मेंबर बनने के बाद उन्होंने फ्रेंडशिप का सिलसिला शुरू किया। इंट्रेस्टिंग बात यह है कि उनकी फ्रेंड लिस्ट में मेल से ज्यादा फीमेल हैं। उनमें से अमेरिका की मिरना कर्टनी उनकी सबसे अच्छी फ्रेंड है। रस्तोगी का कहना है मिरना ने उनके कलेक्शन को काफी मजबूत किया है।

क्0 हजार में खरीदा था दुनिया की पहली माचिस

रस्तोगी बताते हैं कि बॉब जार्नस के पास दुनिया की पहली माचिस थी। उनकी डेथ होने के बाद इस माचिस की सन क्99म् में नीलामी हुई थी। इस मा िचस को प्राप्त करने के लिए मैंने काफी प्रयास किया, तभी मेरी फ्रेंड मिरना कर्टनी ने उसे क्म्0 डॉलर में खरीद लिया। बाद मैंने उसे उनसे खरीद लिया। रस्तोगी बताते हैं कि आज भी उनके पास वह माचिस है।

हर साइज की माचिस है

वे बताते हैं कि उनके पास ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, यूके, पोलैंड व साउथ अफ्रीका सहित क्8भ् देशों के मैच बॉक्स हैं। यह मैच बॉक्स डिफरेंट वेराइटी के हैं। मिनिमम साइज की माचिस ख् सेंटीमीटर की है। मैक्सिमम साइज की माचिस क्क् इंच की है। उनके पास आस्ट्रेलिया की ऐसी माचिस है जिस पर पार्वती शंकर की तस्वीर है।

इंडिया की पहली माचिस

इंडिया की पहली माचिस जॉन वॉकर ने सन क्8ख्म् में बनाई थी। 7 अप्रैल क्8ख्7 को उसे लांच किया गया था। उस वक्त से ही इंडिया में माचिस उत्पादन शुरू हुआ था। क् मई क्8भ्9 जॉन वॉकर की डेथ हो गई। इंडिया की पहली की माचिस की सबसे खासियत यह थी कि इसकी कीमत दो पैसे थे। इसके अलावा उनके पास ग्वालियर, मैसूर, कश्मीर, हैदराबाद और जामनगर की माचिस भी है।

Posted By: Inextlive