-महीनों से बिना काम के ही सैलरी ले रहे हैं 5 फार्मासिस्ट

- हैलट प्रशासन ने इमरजेंसी में डयूटी तो लगा दी, लेकिन काम नहीं दिया

- दवा मंगाने व बांटने का था काम, लेकिन महीनों गुजरने के बाद भी कोई काम शुरू नहीं हुआ

- अगर फार्मासिस्ट दवा बांटते तो बाहर से कम मंगाई जाती दवा

KANPUR: एक तरफ तो हैलट हॉस्पिटल प्रशासन मिलने वाले कम बजट का रोना रोता रहता है। वहीं दूसरी तरफ इतने कम बजट में भी अधिकारी खर्चा बचाने की बजाय फालतू में बढ़ाने पर ही जोर दे रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी मिसाल तो हैलट इमरजेंसी में ही मिल जाती है। जहां पांच फार्मासिस्टों की तैनाती तो जुलाई से कर दी गई, लेकिन आज तक उन्हें कोई काम करने को नहीं दिया गया। नतीजा ये है कि सभी लोग म् महीने से अभी तक मुफ्त की पगार ले रहे हैं। हैलट के अधिकारी चाहते तो उनके काम की व्यवस्था कर सकते थे, जिससे मरीजों को भी काफी राहत मिलती और काफी दवा भी बचती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

दवा मंगाने-बांटने का है काम

जुलाई महीने में जब तीन फार्मासिस्टों की इमरजेंसी में ड्यूटी लगाई गई थी तो उसके पीछे मंशा थी कि पेशेंट्स को दवा का सही डोज मिले। इसके अलावा दवा मंगाने और बांटने का हिसाब भी ठीक से हो, लेकिन म् महीने गुजरने के बाद भी ऐसा कुछ नहीं हुआ है। अभी भी डॉक्टर्स ही स्टॉफ नर्स के जरिए दवाओं का इंडेंट मंगाते हैं और वही सारी दवाओं और इंजेक्शन का यूज करते हैं या फिर अपने प्राइवेट कारीगरों से कराते हैं। जोकि जाते समय अपने बैग को दवाईयों से भरकर ले जाते हैं।

हर महीने दो लाख रुपए बेकार

हैलट इमरजेंसी में हर दिन की तीन शिफ्टों में कुल भ् फार्मासिस्टों की डयूटी लगाई गई है। जिसमें से एक चीफ फार्मासिस्ट और बाकी फार्मासिस्ट हैं। इनकी सैलरी पर हर महीने ख् लाख रुपए तक सरकार खर्चा करती है, लेकिन यह इमरजेंसी में गप्पे लड़ाने के अलावा और कुछ करते नजर नहीं आते हैं। कुछ दिनों तक उनके बैठने की जगह की समस्या रही, लेकिन बाद में उनके लिए सीनियर रेजीडेंट्स का केबिन खाली करा दिया गया, लेकिन वहां पर भी कुंडी लगी रहती है।

.तो बाहर से दवा नहीं मंगवा पाएंगे

दरअसल अभी जिन दवाओं का इंडेंट मंगाया जाता है, उसे मरीज को कैसे दिया जाना है। यह जूनियर डॉक्टर्स ही डिसाइड करते हैं, लेकिन फार्मासिस्टों को जिम्मेदारी मिलने के बाद दवा से जुड़ा सारा काम उन्हें ही करना था। यह व्यवस्था पहले लागू भी थी। यह व्यवस्था फिर से लागू होने के बाद हर भर्ती होने वाले पेशेंट को दवा से लेकर वीगो और अन्य चीजें फार्मासिस्टों के जरिए ही मिलती, जिससे बाहर से दवा मंगाए जाने पर भी काफी रोक लग जाती।

मैंने आज ही इमरजेंसी का दौरा किया था। फार्मासिस्टों के बैठने की जगह फाइनल हो गई है और जल्द ही दवाओं का सारा जिम्मा उन्हीं का होगा।

- डॉ। आरसी गुप्ता, एसआईसी, एलएलआर हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive