Bareilly : एक साल पहले कोतवाली लॉकअप में हुई दीपक की मौत केस में न्यायिक जांच पूरी हो गई है. इसमें तत्कालीन कोतवाल व दोनों सिपाहियों को दोषी पाया गया है. केस की जांच एसीजेएम 5 अजय कुमार दीक्षित कर रहे थे. जांच सीजीएम जिला जज और डीएम को सौंप दी गई है. इस जांच रिपोर्ट को सीबीसीआईडी की जांच में शामिल किया जाएगा. उसके आधार पर सीबीसीआईडी की जांच आगे बढ़ेगी.


घर से ले गई थी पुलिस28 सितंबर 2012 को कोतवाली में तैनात सिपाही मुकेश गिरी रेलवे कॉलोनी निवासी दीपक के घर गया था। उसने बताया कि कोतवाल वीरेंद्र सिंह यादव ने दीपक के बड़े भाई राजीव को बुलाया है। राजीव और उसके बहनोई उमेश थाने गए। कुछ देर बाद दीपक को भी फोन पर बुलाया गया लेकिन उसके पिता भगवान दास ने मना कर दिया। बाद में कोतवाल वीरेंद्र सिंह यादव, सिपाही मुकेश गिरी, सिपाही रुकम सिंह और अन्य जीप से पहुंचे और जबरन दीपक को उठाकर ले गए।

चेन छीनने का आरोप


पुलिस ने दीपक पर एक पुलिस अधिकारी के पीआरओ की भाभी की चेन लूटने का आरोप लगाया था। परिजनों का कहना था कि बार-बार कहने पर भी पुलिस ने दीपक को नहीं छोड़ा और उसकी पिटाई की, जिससे उसकी मौत हो गई। मौत के बाद परिजनों ने कोतवाली में तोडफ़ोड़ की। रेलवे का चक्का भी जाम किया था। पुलिस ने इसे छुपाने की काफी कोशिश की पर कोतवाली में तीनों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया। मामले के तूल पकडऩे पर कोतवाल और दोनों सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया गया। हालांकि कुछ महीने बाद वह फिर से बहाल हो गए और फिलहाल प्रेमनगर कोतवाली के इंचार्ज हैं। CBCID भी कर रही जांच

परिजनों के बार-बार हंगामा करने के बाद मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई थी। डीएम ने मामले में न्यायिक जांच का अनुरोध किया था। डीएम के अनुरोध पर जांच एसीजेएम 5 को सौंपी गई। जांच के दौरान 11 लोगों के बयान दर्ज किए गए। इसमें दीपक की फैमिली के सभी लोगों के बयान भी दर्ज हुए। इसके अलावा जांच में कोतवाल, दोनों सिपाहियों और कोतवाली में तैनात अन्य स्टाफ के भी बयान दर्ज किए गए। एसीजेएम ने जांच के दौरान पाया कि दीपक की मौत लॉकअप में पिटाई की वजह से ही हुई थी। जबकि कोतवाल व सिपाही मौत का कारण हार्ट अटैक बता रहे थे।

Posted By: Inextlive