पूर्वाचल के कुख्यात माफिया मुन्ना बजरंगी को कई राजनेताओं का खुला संरक्षण प्राप्त था.

- बड़े माफिया को खल रहा था कोयले के कारोबार में दखल

- सुल्तानपुर का नेता रियल एस्टेट में लगाता था वसूली की रकम

- कृष्णानंद राय की हत्या के मुकदमे को लेकर कई करीबियों से हो गया था मनमुटाव

विधायक बनने को बेताब नजर आता
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LUCKNOW : पूर्वाचल के कुख्यात माफिया मुन्ना बजरंगी को कई राजनेताओं का खुला संरक्षण प्राप्त था। यही वजह थी कि वह किसी भी सूरत में राजनीति में आकर विधायक बनने को बेताब नजर आता था। इसमें उसकी मदद ये राजनेता कर रहे थे। मुन्ना की हरकतों को लेकर एसटीएफ द्वारा शासन को भेजी गयी गोपनीय रिपोर्ट में इसका साफतौर पर उल्लेख किया गया है कि उसके कई दलों के नेताओं से प्रगाढ़ संबंध थे। इनमें सुल्तानपुर के आरी से विधायक रहे दीपक यादव, बसपा सरकार में मंत्री रहे विनोद सिंह, पारस यादव, कैलाश चौरसिया शामिल थे। इतना ही नहीं, सुल्तानपुर में जिला पंचायत अध्यक्ष शिवकुमार सिंह से भी मुन्ना के इतने करीबी रिश्ते बन गये थे कि वह राजनीति में उसकी मदद के साथ वसूली की रकम को रियल एस्टेट के कारोबार में लगाने लगा था। यह रकम ज्यादातर लखनऊ, बनारस, जौनपुर और सुल्तानपुर में निवेश की गयी थी।

कोयले के कारोबार से बढ़ी रार
वहीं हाल के दिनों में मुन्ना की सूबे के बाकी माफिया से कोयले के कारोबार को लेकर रार बढ़ती जा रही थी। मुन्ना के साले पुष्पजीत की हत्या के बाद जब एसटीएफ ने तहकीकात शुरू की तो एक बाहुबली सांसद से कोयले के कारोबार को लेकर हुए झगड़े की बात भी सामने आई थी। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि मुन्ना ने रानीगंज कोयलरी से रैक लाने की व्यवस्था की थी। इस संबंध में उसकी मुंबई के एक बड़े कोयला व्यापारी रमेश भार्मा से बातचीत भी हुई थी। तय हुआ था कि बिहार में मदद के लिए राजन तिवारी को पार्टनर बनाया जाएगा। इसके बाद रमेश ने दिल्ली में सुशील सिंह के साथ मीटिंग की, इसमें समझौता हुआ कि वाराणसी के आसपास रैक नहीं उतारी जाएगी। वही जब इलाहाबाद में यह काम कर रहे बाबा दुबे को जब इसका पता चला तो वह मुन्ना से मिलने झांसी जेल चला गया और जहां उसने 50 फीसद की हिस्सेदारी मांगी।

अफसर ने कराया समझौता
एसटीएफ की रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली में राजन तिवारी के आदमियों के साथ हुई बैठक में सुशील सिंह यूपी में किसी को कोयले का कारोबार न करने देने पर अड़ गया था। तब राहुल भार्मा ने मुंबई क्राइम ब्रांच के अफसर प्रदीप भार्मा से माफिया ब्रजेश सिंह (वर्तमान में एमएलसी) से बात कराई। ब्रजेश ने सुशील से कहा कि बनारस के अलावा ये लोग जहां काम करना चाहते हैं, इन्हें करने दो। साथ ही काम शुरू करने की तारीख भी तय कर ली गयी। वर्तमान में मुन्ना के लिए भदोही निवासी विनय सिंह, नंद सिंह इत्यादि यह काम देख रहे थे।

मुन्ना बजरंगी के खास शूटर

- आलम सिंह, वर्तमान में बिजनौर जेल में

- अजीत सिंह, पुराना मर्चेट नेवी ऑफिसर

- मनोज उर्फ छोटू, वाराणसी जेल में बंद

- अमित सिंह, रंगदारी वसूलने का काम

- अनिल सिंह, फिलहाल जेल से बाहर

- विश्वास शर्मा उर्फ नेपाली, फिलहाल नेपाल में

- मेराज अहमद, फिलहाल मुन्ना से मनमुटाव था

- इफ्तेखार अहमद शेख, वर्तमान में तिहाड़ जेल में

- परवेज, मेराज का भांजा, वसूली का काम करता है

- विमल तिवारी उर्फ मुन्नू, वर्तमान मे मुन्ना से मनमुटाव था

- संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा, मुकदमे को लेकर मनमुटाव हुआ

- भुआल सिंह, मुन्ना का छोटा भाई, जमानत पर बाहर है

- अंशुमान सिंह उर्फ यशवंत सिंह, पीडब्ल्यूडी इंजीनियर की हत्या में शामिल

सूबे के तमाम माफिया के बारे में ऐसी रिपोर्ट डीजीपी मुख्यालय भेजते हैं जिसके बाद संबंधित जिलों को भी इस बाबत आगाह किया जाता है। इसका उद्देश्य अपराध होने से रोकना है। इसकी मदद से पुलिस ऐसे माफिया और उनके करीबियों पर कार्रवाई भी करती रहती है।
अभिषेक सिंह, एसएसपी एसटीएफ

Posted By: Inextlive