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PATNA : पुलिस के लिए सिर दर्द बनी मंजू वर्मा की गिरफ्तार करने के लिए राज्य के कोने-कोने से लेकर अन्य राज्यों हाथ पैर मार रही थी। जबकि मंजू अपने आवास से महज 10 किलोमीटर दूर आराम फरमा रही थी। सूत्रों के अनुसार मंजू अपने ससुर पूर्व विधायक स्व सुखदेव महतो के ननिहाल अनुमंडल क्षेत्र के महेशबाड़ा पंचायत के नौलखा गांव में पनाह ली थी। अपने रिश्तेदार राजेन्द्र महतो के आवास पर सरेंडर से एक दिन पहले रात में पहुंचीं थी। लगतार पुलिस को चकमा देना में कामयाब रही।

पुलिस को भनक तक नहीं लगी

सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा डीजीपी को सम्मन जारी करने के बाद से पुलिस पूर्व मंत्री की गिरफ्तारी के प्रतिबद्ध हो गई थी। अधिकारी चार दल का गठन किया था। चारों दल संभावित ठिकानों पर अलग-अलग छापेमारी कर रही थी। पुलिस की दलों ने झाड़खंड में रांची, हजारीबाग के साथ बिहारशरीफ, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, खगडिया जिले के अलौली से लेकर पसराहा के आलावे चेरिया बरियारपुर थाना के अर्जूनटोल से लेकर सकरौली तक छापेमारी की थी। लेकिन पूर्व मंत्री जब न्यायालय पहुंची तब भी पुलिस के अधिकारी को भनक तक नहीं लगी।

सरेंडर से डीजीपी को मिली राहत

पूर्व मंत्री मंजू वर्मा की सरेंडर से परिवार के साथ बिहार सरकार को भी राहत मिली है। अब पुलिस महानिदेशक केएस द्विवेदी को सुप्रीम कोर्ट में 27 नवंबर को जवाब देने नहीं जाना पड़ेगा। पुलिस मुख्यालय ने वकील के माध्यम से जवाब भेज दिया है। दरअसल, 12 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मिुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक पर नाराजगी जताई थी। चेतावनी दी थी अगर गिरफ्तारी नहीं होती है तो पुलिस महानिदेशक स्वयं उपस्थित होकर जवाब दें। कोर्ट ने कहा-'हम बहुत हैरान हैं कि पुलिस एक पूर्व कैबिनेट मंत्री का महीने भर में सुराग तक नहीं लगा पाई है। इस बारे में पूरी जानकारी डीजीपी कोर्ट में आकर दें.' यही नहीं, बालिका गृह में कुप्रबंधन की शिकायत पर राज्य के मुख्य सचिव को भी तलब किया गया है। ज्ञात हो कि बालिका गृह कांड और घर से 50 गोलियां मिलने पर पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

पुलिस मुख्यालय ने वकील के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट को पूर्व मंत्री मंजू वर्मा की गिरफ्तारी से संबंधित जानकारी भेज दी है। कोर्ट ने 27 नवंबर तक मंजू की गिरफ्तारी नहीं होने पर जवाब देने के लिए बुलाया था।

-केएस द्विवेदी, डीजीपी, बिहार

Posted By: Inextlive