-चलेगा मुकदमा, राज्यपाल ने विजिलेंस को दी कोर्ट जाने की अनुमति

आरोप

440 फीसद आय से अधिक खर्च

49.49 लाख कुल आय 2007 से 2011 में

2.67 करोड़ रुपये खर्च किये

LUCKNOW: बसपा सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे राकेशधर त्रिपाठी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में फंस गये हैं। विजिलेंस ने उनकी काली कमाई की जांच के बाद राज्य सरकार ने पूर्वमंत्री के खिलाफ अदालत में मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी। राज्य सरकार ने मंजूरी के लिए राजभवन भेजा, जिसके बाद राज्यपाल राम नाईक ने विजिलेंस को राकेशधर त्रिपाठी के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा चलाने की अनुमति प्रदान कर दी है। अब विजिलेंस पूर्व मंत्री के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल करके उन्हें सीखचों के पीछे भेजने की कवायद करेगी।

भ्रष्टाचार निवारण अधि। में चलेगा केस

राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद राकेशधर त्रिपाठी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मुकदमा चलेगा। मालूम हो कि राकेशधर त्रिपाठी विगत 13 मई 2007 से पांच अक्टूबर 2011 तक मायावती सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे। बसपा सरकार में ही उनके खिलाफ लोकायुक्त संगठन में आय से अधिक संपत्ति अर्जित किए जाने की शिकायत हुई। बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने राकेशधर त्रिपाठी समेत चार मंत्रियों को बर्खास्त भी कर दिया था। वहीं लोकायुक्त संगठन ने अपनी जांच में आरोपों को सही पाते हुए सपा सरकार से उनके खिलाफ सीबीआई अथवा ईडी जैसी विशेषज्ञ एजेंसी से उनकी संपत्तियों की विस्तृत जांच कराने की सिफारिश की थी। बाद में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह मामला विजिलेंस के सिपुर्द कर दिया था।

विजिलेंस ने दर्ज किया था मुकदमा

विजिलेंस ने मामले की खुली जांच के बाद 12 जून 2013 को राज्य सरकार से राकेशधर त्रिपाठी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। विजिलेंस जांच में सामने आया था कि राकेशधर त्रिपाठी ने अपनी आय से 440 फीसद अधिक खर्च किया। वर्ष 2007 से 2011 की अवधि के दौरान उनकी कुल आय 49.49 लाख रुपये थी जबकि उन्होंने 2.67 करोड़ रुपये व्यय किये। मुकदमा दर्ज होने के बाद विजिलेंस की विस्तृत जांच में खुलासा हुआ कि उक्त अवधि में राकेशधर त्रिपाठी की कुल आय 45.82 लाख रुपये रही जबकि उन्होंने एक करोड़ 81 लाख रुपये संपत्तियों में निवेश अथवा व्यय किए। इस तरह उन्होंने अपनी कुल आय से तीन सौ फीसद अधिक खर्च किया।

सात साल की हो सकती है सजा

राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद विजिलेंस राकेशधर त्रिपाठी के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल करके मुकदमा चलायेगी। ट्रायल के दौरान उनके ठिकानों में हुए छापेमारी के दौरान जुटाये गये सुबूतों को न्यायालय के सामने पेश किया जाएगा। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में चलने वाले इस मुकदमे में यदि वे दोषी पाये जाते हैं तो उन्हें अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है।

ईडी भी कर रही जांच

लोकायुक्त संगठन ने अपनी रिपोर्ट में राकेशधर त्रिपाठी के खिलाफ सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की थी। मुख्यमंत्री ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए यह मामला विजिलेंस के सिपुर्द कर दिया था। सीबीआई जांच के दायरे में आने से राकेशधर त्रिपाठी भले ही बच गये लेकिन लोकायुक्त की रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ ईडी ने जांच शुरू कर दी थी। ईडी ने उनके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस भी दर्ज किया था।

Posted By: Inextlive