Jamshexpur : सिटी में चल रहे 19वें रेयर क्वाइन एग्जीबिशन जैमक्वाइन-2014 का ट्यूजडे को समापन हुआ. इस दौरान एग्जीबिशन में पार्टिसिपेट करने वाले सभी एग्जिबिटर्स और डीलर्स को जुस्को के एमडी आशीष माथुर और वंदना माथुर ने सर्टिफिकेट प्रदान किया साथ ही डिफरेंट कैटेगरीज में बेस्ट एग्जीबिटर्स को प्राइज भी दिया गया.

बच्चों ने मारी बाजी
 यूं तो क्वाइन कलेक्टर्स क्लब द्वारा हर साल जैमक्वाइन का आयोजन किया जाता रहा है, लेकिन इस साल का क्वाइन एग्जीबिशन कई मायनों में खास रहा। मोहन आहूजा स्टेडियम में तीन दिनों तक चले इस एग्जीबिशन में इस साल बच्चों का पार्टिसिपेशन भी सबसे ज्यादा रहा। एग्जिबिशन में पार्टिसिपेट कर रहे 27 एग्जीबिटर्स में 14 बच्चे थे, जबकि दो फीमेल और 11 मेल थे।

नहीं है किसी से कम
13 साल की हर्षिता नायडू के क्वाइन का कलेक्शन और उनके बारे में जानकारी देख कर नहीं लगता की वो किसी भी नूमिस्मेटिस्ट से किसी मामले में कम है। हर्षिता पिछले चार साल से जैमक्वाइन में पार्टिसिपेट कर रही है। इस नन्हें क्वाइन कलेक्टर के पास दूसरी कंट्रीज के मिंट में बने इंडियन क्वाइन्स का शानदार कलेक्शन है। लोयला स्कूल की क्लास फिफ्थ की स्टूडेंट हर्षिता ने बताया कि 1985 से लेकर 2001 तक कई इंडियन क्वाइन्स यूके, कोरिया, कनाडा, साउथ अफ्रीका सहित दूसरे देशों के मिंट में बनते थे। किसी माहिर क्वाइन कलेक्टर की तरह हर्षिता को देश-विदेश के हर मिंट के मार्क जैसी चीजों की भी अच्छी जानकारी है। श्रेयसी भी अपने शौक को काफी सीरियसली पूरा कर रही है। श्रेयसी के पास ट्री ऑन क्वाइन्स थीम पर आधारित क्वाइन्स का कलेक्शन है। इस कलेक्शन में देश-विदेश के ऐसे क्वाइन्स शामिल हैं जिन पर ट्री बना है।

Pocket money से पूरा होता है क्वाइन कलेक्शन  शौक
वैली व्यू स्कूल के आशीष को कोमेमोरेटिव क्वाइन्स कलेक्ट करने का शौक है। आशीष को यह शौक करीब दो साल पहले लगा। उसने बताया कि इतने दिनों में वह दो सौ क्वाइन्स कलेक्ट कर लिया है। इनमें से ज्यादातर क्वाइन्स उसने अपने पॉकेट मनी से खरीदे हैं। डीबीएमस स्कूल के 9 के स्टूडेंट फरजान को ये शौक अपने ट्यूशन टीचर के पास क्वाइन का कलेक्शन देखकर लगा। वह पिछले दो साल से क्वाइन कलेक्ट कर रहा है और
उसने इस शौक को आगे भी कंटीन्यू रखने की इच्छा जताई।

 

Parents सीखते हैं बच्चों से
हर्षिता की मां कल्पना नायडू को भी क्वाइन कलेक्शन का शौक है। उन्हें यह शौक लगा उनकी बेटी की वजह से। आमतौर पर बच्चे पैरेंट्स से सीखते हैं, लेकिन यहां क्वाइन कलेक्शन के मामले में सिटी के बच्चे पैरेंट्स के भी प्रेरणास्रोत बन रहे हैं। कल्पना नायडू ने कहा कि हर्षिता को क्वाइन कलेक्ट करता देख उन्हें भी ये अच्छा लगा और उन्होंने खुद भी क्वाइन कलेक्शन स्टार्ट कर दिया।

मैं पिछले दो सालों से क्वाइन कलेक्ट कर रहा हूं। पॉकेट मनी से ही अपना यह शौक पूरा करता हूं।  
आशीष, स्टूडेंट

 

Report by : jamshedpur@inext.co.in

Posted By: Inextlive