क्कन्ञ्जहृन्: सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के इस युग में पूंजीवादी वैश्विक व्यवस्था महत्वपूर्ण क्रांति के दौर से गुजर रही है। उत्पादन प्रक्रिया में जैसे-जैसे मानव की जगह रोबोट लेंगे, वैसे-वैसे भविष्य में भारी बेरोजगारी पैदा होगी। जो मानव श्रम के लिए और बड़ा संकट होगा। ये बातें बुधवार को अमेरिका के पीपुल प्रोग्राम इंटरनेशनल और पॉमर इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष केविन एम सैंडर्स ने कहीं। वे कार्ल मा‌र्क्स की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में आद्री द्वारा आयोजित 5 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के अंतिम दिन बोल रहे थे। सैंडर्स ने कहा कि पूंजीवादी व्यवस्था के नए दौर में मशीनों ने तेजी से मानव श्रम की जगह ले ली है। फ्यूचर में रोबोट के चलन से बेरोजगारी विकराल रूप धारण करेगी।

कृषि योगदान घटना चिंताजनक

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिटायर्ड प्रोफेसर बारबरा हैरिस ने 'लघु उत्पादन और भारत का विकास' विषय पर विशेष व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि वस्तुओं का छोटे पैमाने पर उत्पादन उनके लिए सैद्धांतिक समस्या होती है जो पूंजीवादी विकास को सिद्धांत रूप देने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान विगत वर्षो में लगातार घटता गया है। यह भारत जैसे विकासशील देश के लिए चिंता की बात है। आद्री के नीरज कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

Posted By: Inextlive