BAREILLY: बहुत से लोग खाली वक्त में यूं ही आईने में खुद को निहारते रहते हैं. कुछ लोग ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वो अपने लुक को बदलना चाहते हैं. कारण चाहे जो भी हो आईने में खुद को देर तक निहारते रहना मेंटली हेल्थ के लिए ठीक नहीं है. साइकेट्रिस्ट की मानें तो अगर 10 मिनट से ज्यादा समय तक या बार-बार खुद को आईने में निहारना बॉडी डायस्मोरफिक डिसआर्डर के लक्षण हैं. व्यक्ति में अपने लुक को लेकर तनाव और निराशा पैदा हो जाती है. ये तनाव बिना किसी वजह के होता है. अधिकतर लोगों के लुक में ऐसी कोई प्रॉब्लम नहीं होती जिस पर परेशान हुआ जाए


Body Dysmorphic disorder बार-बार खुद को आईने में निहारने की आदत 'बॉडी डायस्मोरफिकÓ की प्रॉब्लम हो सकती है। यह एक मानसिक बीमारी है, जिसमें व्यक्ति अपने लुक को लेकर ज्यादा कॉन्शस होने लगता है। आईने में देखकर यह फील करता है कि उसके फेस की बनावट सही नहीं है। वह आईज, नोज, ईयर, लिप्स या अदर फेस पाट्र्स में कुछ न कुछ कमी महसूस करने लगता है। यही नहीं बार-बार आस-पास के लोगों से इसके बारे में इंक्वॉयरी करता है।Treatment के लिए हरदम रेडीसबसे अजीब बात यह है कि इस डिसऑर्डर से पीडि़त व्यक्ति हर पल ट्रीटमेंट कराने के लिए रेडी रहता है। जबकि उसकी बॉडी को ट्रीटमेंट की जरूरत ही नहीं होती। समझाने के बावजूद वह डिफरेंट मेडिसिंस यूज करने लगता है। यहां तक कि प्लास्टिक सर्जरी करने से भी नहीं हिचकता।काम में मन नहीं लगता


बॉडी डायस्मोरफिक डिसऑर्डर का विक्टिम डिप्रेशन का भी शिकार हो सकता है। दरअसल अपने अंदर कमी की बात सोचकर उसका कॉन्फिडेंस लेवल कम होने लगता है। आईना देखने के अलावा उसका किसी काम में मन ही नहीं लगता। साइकेट्रिस्ट की मानें तो इस सिचुएशन में उसे घबराहट होने लगती है। वह दूसरों को अट्रैक्ट करने के लिए अटेंशन सीकिंग बिहेवियर अपनाने लगता है। उसका बिहेवियर ही चेंज हो जाता है।

ऐसे होता है treatmentसाइकोथेरेपी के जरिए पेशेंट का भ्रम तोड़ा जाता है। उनके बिहेवियर को चेंज करने का प्रयास किया जाता है। लास्ट में साइकेट्रिस्ट मेडिसिन के जरिए इसका इलाज करते हैं।Some precautionsपेरेंट्स को रेग्युलरली बच्चों पर ध्यान देना चाहिए। कहीं उनमें ऐसी आदत तो डेवलप नहीं हो रही। बच्चे को सेल्फ एनालिसिस करने पर जोर डालें।Teenage में chances ज्यादायह प्रॉब्लम सबसे अधिक टीनेज में देखने को मिलती है। वे अपने लुक को लेकर ज्यादा कॉन्शस रहते हैं। इसलिए आईना देखने की आदत सी हो जाती है। जो धीरे-धीरे बॉडी डायस्मोरफिक का रूप ले लेती है। इस टाइम साइकेट्रिस्ट के पास मंथ में कई केस ऐसे आ रहे हैं, जो बॉडी डायस्मोरफिक डिसऑर्डर से पीडि़त हैं। बॉडी डायस्मोरफिक से पीडि़त व्यक्ति खुद अपनी बॉडी की बनावट को ठीक करने के लिए तरह-तरह की मेडिसिन यूज करने लगता है। जबकि उसकी बॉडी में कोई प्रॉब्लम नहीं होती। बस उसे यह भ्रम होता है कि शरीर की बनावट सही नहीं है।नवीन सहाय, साइकेट्रिस्ट

मेरे यहां मंथ में 10 से 12 केस इस तरह के आ रहे हैं, जो बॉडी डायस्मोरफिक से पीडि़त होते हैं। इस बीमारी में व्यक्ति अधिक से अधिक समय आईना देखने में बिताता है।डॉ। विजय सिंह, साइकेट्रिस्टऐसा व्यक्ति हर पल अपने शरीर को लेकर परेशान रहता है। आईने में अपना फिगर देखने के बाद दूसरे से सलाह लेता रहता है। हमेशा अपने मन की करता है। अगर समय रहते ध्यान दिया जाए तो इस प्रॉब्लम से बचा जा सकता है।डॉ। हेमा खन्ना, साइकोलॉजिस्ट

Posted By: Inextlive