ऑनलाइन दिग्गज का दावा है कि उसकी डिजिटल करेंसी लिब्रा उन देशों में भी आसानी से चलेगी जहां क्रिप्टो करेंसी को मान्यता नहीं है। इसके लिए फेसबुक अपने प्लेटफार्म पर शाॅपिंग इकोसिस्टम डेवलप करेगा। यहां ऑनलाइन पेमेंट की बजाए लिब्रा से लेन-देन होगा। फेसबुक के इस कदम पर कई देशों ने चिंता जताई है।


नई दिल्ली (आईएएनएस)। फेसबुक की नजर अरबों डाॅलर के ऑनलाइन लेन-देन पर है। अगले साल डिजिटल क्वाइन लिब्रा लांच करके इसमें वह अपने लिए भी मोटी कमाई का मौके की ताक में है। कंपनी का दावा है कि फेसबुक की लांच होने वाली लिब्रा उन देशों में आसानी से लेन-देन कर सकेगी जहां क्रिप्टो करेंसी को सरकारी मान्यता नहीं है। ऐसे देशों की सूची में भारत भी शामिल है जहां डिजिटल करेंसी में कारोबार अवैध है। फेसबुक के इस कदम पर कई देशों ने चिंता जताई है। सरकारों का मानना है कि इससे काला धन और टैक्स चोरी को बढ़ावा मिलेगा। इधर फेसबुक यह कदम तब उठाने जा रहा है जब वह खुद डाटा चोरी के मामले में अमेरिका सहित कई देशों की सरकारों के निशाने पर है। फेसबुक पर यूजर्स की निजता और डाटा सिक्योरिटी को लेकर काफी दबाव बना हुआ है।
फेसबुक के बाजार में चलेगा लिब्रा का सिक्का


सीनियर फाॅरेस्टर एनालिस्ट ऑउरेली एल होस्टिस ने कहा कि फेसबुक वित्तीय संस्थानों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स से बातचीत करके लिब्रा लांच करने की तैयारी कर रहा है। फेसबुक क्रिप्टो करेंसी पर आधारित पेमेंट सिस्टम की सुविधा देना चाहता है। हम यह जानते हैं कि नियामक और सरकारें फेसबुक के इस कदम पर सवाल खड़े करेंगी। जाहिर है कि इस तरह के कारोबार में वित्तीय आंकड़ों को जुटाने और उनके प्रबंधन से जुड़ी चिंताएं शामिल हैं। एल होस्टिस ने आईएएनएस से कहा कि क्रिप्टो करेंसी लांच करने के साथ ही फेसबुक अपने प्लेटफार्म पर खुद का शाॅपिंग इको सिस्टम बनाएगा जहां उपभोक्ता उत्पादों की खरीद-फरोख्त कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें पेपाल जैसे पेमेंट सिस्टम का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा। हालांकि इस कदम में सुरक्षा संबंधी चिंताएं जरूर हैं जबकि डाटा लीक को लेकर पहले ही फेसबुक की साख गिर चुकी है।अगले 10 सालों में दिल्ली सहित सभी मेट्रो शहरों में खत्म हो जाएगा पीने का पानी : नीति आयोगअब DL बनवाने के लिए पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं, सरकार करेगी मोटर वीहिकल एक्ट में बदलावअमेरिका, फ्रांस और रूस ने जताई चिंता

लिब्रा को लेकर अमेरिका, फ्रांस और रूस ने चिंता जताई है। क्रिप्टो करेंसी पहले से ही गुप्त रूप से काम करती है और उपभोक्ता फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप पर इसके जरिए लेन-देन करेंगे। कैंब्रिज एनालिटिका कांड पहले ही फेसबुक की कमियों को उजागर कर चुका है। यूजर्स अब भी फेसबुक की लापरवाही को पूरी तरह से भूल नहीं पाए हैं। यूजर्स की निजता का हनन और डाटा लीक ने लोगों को सकते में डाल दिया था। हालांकि लिब्रा के डाॅक्युमेंटेशन से डाटा निजता और पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था दिख रही है। इसके बावजूद फेसबुक की क्षमता पर संदेह तो रहेगा ही कि वह सरकारों की इस चिंता को कैसे दूर सकेगा कि उसके प्लेटफार्म पर टैक्स चोरी और काले धन का लेन-देन नहीं होगा। सरकारों की ओर से निजता और सुरक्षा को लेकर कई सारी चिंताएं उठेंगीं।

Posted By: Vandana Sharma