- सफाई व टैक्स प्रभारी ने ली थी 23 क्लर्को की परीक्षा

GORAKHPUR: नगर निगम में कंप्यूटर ऑपरेटर के पोस्ट पर 'जुगाड़' से तैनात हुए कर्मचारियों की पोल परीक्षा के दौरान खुल गई। टाइपिंग टेस्ट में 23 में से केवल 7 ही पास हो सके। इनमें से कम स्पीड में टाइप करने वाले कर्मचारियों को चेतावनी देकर 10 दिनों के बाद एक बार फिर से परीक्षा के लिए बुलाया गया है। जबकि चार कर्मचारी फेल हो गए हैं जिन्हें तत्काल प्रभाव से बाहर कर दिया गया है। 23 में से 7 ही पास हो सके हैं जबकि 16 पद के मानकों के अनुरूप काम नहीं कर सके। 12 ऑपरेटर्स को स्पीड बेहतर करने का एक मौका जरूर दिया गया है। इन कर्मचारियों की 16 जनवरी को फिर से एग्जाम होगा। सवाल उठता है कि बिना काम जाने आखिर यह कर्मचारी वर्षो से नगर निगम क्या कर रहे थे और किस बात की तनख्वाह ले रहे थे।

कार्रवाई पर उठ रहे सवाल

टाइपिंग टेस्ट में फेल हुए कर्मचारियों की नौकरी समाप्त करने पर अब सवाल उठ रहे हैं। एक कर्मचारी ने बताया कि नौकरी से निकाले गए ऑपरेटर्स को 90 से अधिक नंबर पाने के बावजूद बाहर कर दिया गया है। जबकि 30 नंबर से भी कम अंक पाने वालों को दोबारा मौका दिया गया है। उक्त कर्मचारी की अगले महीने शादी है, नौकरी चले जाने से उसकी समस्याएं बढ़ गई हैं। कर्मचारी का कहना है कि टेस्ट में फेल हुए कर्मचारियों की नौकरी तो चली गई या उन्हें वार्निग दी गई है। अगर कर्मचारी काम नहीं कर पाने के दोषी हैं तो उक्त कंपनी के खिलाफ भी क्या कार्रवाई की जाएगी जिसके जरिए इनकी तैनाती की गई थी।

रिश्तेदारों का था 'आशीर्वाद'

निगम में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कर्मचारियों की तैनाती आउट सोर्सिग के जरिए गई थी। निगम में तैनात कई कर्मचारियों ने जुगाड़ के जरिए अपने बेटे, भतीजे व रिश्तेदारों को काम पर लगा दिया था। नौकरी से हटाए जाने के बाद चर्चा हो रही है कि आखिर किस आधार पर कर्मचारियों की तैनाती की गई थी। हालांकि यह बात भी सामने आ रही है कि टाइपिंग के अलावा कंप्यूटर ऑपरेटर से और भी कई तरह के काम लिए जाते हैं। जिसके तहत कर्मचारी काम कर रहे थे। ऐसे में केवल टाइपिंग के आधार पर बर्खास्तगी उचित नहीं।

Posted By: Inextlive