- क्राइम ब्रांच की स्वाट टीम ने छापा मारकर आरोपी को दबोचा

- मौके से सात यूनिट खून, ब्लड बैग्स व जांच मशीनें बरामद

LUCKNOW:

ठाकुरगंज के एक मकान में खून का काला का कारोबार चल रहा था। क्राइम ब्रांच की स्वाट टीम ने देर रात ठाकुरगंज स्थित मकान में छापामार कर फर्जी ब्लड बैंक संचालक को गिरफ्तार कर कर काले कारोबार का भंडाफोड़ किया। आरोपी मो। आरिफ ने कबूल किया है वह शहर की नामी गिरामी ब्लड बैंक और हॉस्पिटल्स में ब्लड की सप्लाई कर रहा था।

मुखबिर की सूचना पर मारा छापा

क्राइम ब्रांच के सूत्रों के मुताबिक हुसैनाबाद पुरानी चौकी निवासी मो। आरिफ उफ शीबू पुत्र आफाक अहमद ठाकुरगंज के एक मकान में फर्जी ब्लड बैंक चला रहा था। आरिफ मूलत: टिकैतनगर बाराबंकी का रहने वाला है। मुखबिर की सटीक सूचना पर क्राइम ब्रांच की स्वाट टीम प्रभारी फजल रहमान के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच की टीम और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एक साथ ठाकुरगंज स्थित मकान में छापेमार कर आरिफ को रंगे हाथों अरेस्ट कर लिया। मौके से सात यूनिट खून, प्लाज्मा और बड़ी संख्या में खाली ब्लड बैग, ब्लड को कंपोनेंट में बदलने वाली मशीनें सहित अन्य सामान बरामद हुआ है। वह वहीं पर ब्लड ग्रुप की जांच करता था।

पहले बेचता था खुद का खून

सूत्रों के मुताबिक आरिफ पहले खुद ब्लड डोनर था और रुपयों के बदले अपना खून बेचता था। धीरे-धीरे उसने खून निकालना भी सीख लिया और बड़े मुनाफे के चक्कर में घर में ब्लड का कारोबार करने लगा। उसने अपने जानने वाले डोनर्स को घर पर ही बुलाकर खून निकालना शुरू कर दिया। जहां से वह शहर की कई नामी अस्पतालों, ब्लड बैंकों खून सप्लाई करता था।

बनवा रखी थी फर्जी मुहरें

क्राइम ब्रांच के सूत्रों के अनुसार मौके से बड़ी संख्या में डॉक्टर्स और अस्पतालों की फर्जी मोहरे प्राप्त हुई है। उसने दूसरे डॉक्टर्स की मोहरे स्कैन करके बनवा रखी थी। ब्लड बैग में ब्लड बैंक के नामों की मुहर लगाने केलिए इनका इस्तेमाल करता था। क्योंकि बिना मुहर और ब्लड बैंक के नाम के ब्लड नहीं दिया जा सकता।

आधा दर्जन से अधिक अस्पतालों में सप्लाई

क्राइम ब्रांच के सूत्रों के अनुसार आरिफ खून को जीवन हॉस्पिटल, एसएस हॉस्पिटल मडि़यांव, बालागंज का एक अस्पताल, कैरियर अस्पताल की ब्लड बैंक, फैमिली हॉस्पिटल, मीरान हॉस्पिटल सहित आधा दर्जन से अधिक अस्पतालों और ब्लड बैंकों में यह खून सप्लाई करता था।

800 का खून चार हजार में

आरिफ ने पुलिस को बताया है कि वह प्रोफेशनल डोनर्स से एक यूनिट निकालने के बदले में उन्हें 800 से 1,200 रुपए ब्लड ग्रुप के आधार पर देता था। इस एक यूनिट ब्लड को वह ब्लड बैंकों और अस्पतालों में बेचने के बदले 32 सौ से चार हजार रुपए में बेचता था। सूत्रों के अनुसार वह रोजाना इस धंधे से 10 से 30 हजार रुपए तक कमाता था। बता दें कि लखनऊ में इस समय 27 ब्लड बैंक हैं। जिनमें से 20 प्राइवेट ब्लड बैंक और सात सरकारी ब्लड बैंक हैं।

दो साल से चल रहा था धंधा

आरोपी आरिफ ने पुलिस को बताया है कि वह यह धंधा पिछले दो वर्षो से कर रहा था। लेकिन स्वास्थ्य विभाग, एफएसडीए अधिकारियों सहित पुलिस तंत्र को भी इसकी भनक न लगी। जबकि यह बहुत बड़ा क्राइम है। ब्लड बैंकों की जांच की जिम्मेदारी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की है। लेकिन लखनऊ में इस समय सिर्फ एक ही ड्रग इंस्पेक्टर रमा शंकर तैनात हैं। इतने बड़े शहर में अभी तक दो ड्रग इंस्पेक्टर थे, लेकिन वर्तमान सरकार ने एक अन्य ड्रग इंस्पेक्टर संजय का पिछले माह ही अन्यत्र ट्रांसफर हो गया।

Posted By: Inextlive