RANCHI: झारखंड हाईकोर्ट में फर्जी तरीके से सरेंडर मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस व एचसी मिश्रा की अदालत में हुई। फर्जी तरीके से सरेंडर मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मामले को न्यायाधीश अपरेश सिंह की कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया। याचिकाकर्ता ने बताया कि मामले की सुनवाई पहले जस्टिस अपरेश सिंह की कोर्ट में हो चुकी है, इसलिए फिर से उसी कोर्ट में मामले को स्थानांतरित कर दिया गया है। याचिकाकर्ता ने शीर्ष अधिकारियों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरेंडर के समय जमा किए हथियार, पैसे समेत उनके रिकॉर्ड की जानकारी भी सार्वजनिक की जाए। गौरतलब हो कि साल 2014 में 514 मासूम आदिवासियों को फर्जी तरीके से नक्सली सरेंडर का लाभ दिलाने का लालच देकर उनसे पैसे की उगाही की गई थी और सरेंडर पॉलिसी का लाभ देते हुए सरेंडर कराया गया था। मामला बीच में ही उजागर होने पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता ने चार आईपीएस अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं और मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। अगली सुनवाई 22 फरवरी को होगी।

झारखंड अगेंस्ट करप्शन की याचिका पर सुनवाई

शुक्रवार को झारखंड अगेंस्ट करप्शन की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस और एचसी मिश्रा की खंडपीठ में सुनवाई हुई। झारखंड अगेंस्ट करप्शन याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य की अदालतों में जनप्रतिनिधियों के लंबित मामलों पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। झारखंड अगेंस्ट करप्शन की याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस अनिरुद्ध बोस और एचसी मिश्रा की खंडपीठ ने सीबीआई और ईडी को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है। गौरतलब हो कि 2014 के चुनाव के बाद राज्य के 81 विधायकों में से 55 विधायकों के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज होने का शपथ पत्र विधायकों ने दिया था। मामले की अगली सुनवाई 22 फरवरी को तय है। गौरतलब हो कि झारखंड अगेंस्ट करप्शन ने झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल होने के एक साल के अंदर मामले का निष्पादन करने का आदेश दिया है। इसी आदेश के आलोक में इस जनहित याचिका पर हाईकोर्ट इसकी मॉनिटरिंग कर रहा है।

Posted By: Inextlive