पितरों को तृप्ति और संतुष्टि के लिए करें तर्पण
- 7 से 20 सितंबर तक चलेंगे पितृ पक्ष
- 14 दिनों तक पितरों को किया जाएगा श्राद्ध - 6 बजकर 51 मिनट शाम बुधवार से पितरों के आगमन का समय -7 बजे शाम के बाद चन्द्र दर्शन के बाद होगा पितरों का स्वागत - 12:33 बजे दोपहर के बाद होगा पूर्णिमा का श्राद्ध - 2 बजे से 3 बजे दोपहर के बीच है श्राद्ध का सर्वश्रेष्ठ समय मेरठ। सनातन धर्म में पितृ पूजन का विशेष महत्व है। पौराणिक ग्रंथों और ज्योतिष में पितृ दोष को दूर करने को लेकर कई उपाय भी बताए गए है। अपने पितरों या पूर्वजों को नमन करने के लिए आज से पितृ पक्ष शुरू हो गए हैं। 6 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध के साथ पितृ पक्ष 7 से 20 सितंबर तक रहेंगे। इस दौरान 14 दिनों तक श्राद्ध किए जाएंगे। चंद्र दर्शन करेंज्योतिष वैज्ञानिक भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि पितरों के आगमन का समय बुधवार शाम 6 बजकर 51 मिनट से है। शाम 7 बजे के बाद चंद्र दर्शन के बाद पितरों का स्वागत होगा। पूर्णिमा का श्राद्ध दोपहर 12:33 बजे के बाद किया जाएगां। श्राद्ध का सर्वश्रेष्ठ समय दोपहर 2 व 3 के बीच है।
तर्पण अवश्य करेंतर्पण से पहले जल में गंगाजल डालकर उसमें तुलसी का पत्ता और काले तिल 4 चुटकी डालकर अपने समस्त पितरों का आवाहन करें, अपना नाम, दादा का नाम, गोत्र व पता बोल कर तथा अपने सीधे दायें हाथ के हथेली पर जल देते हुए दक्षिण की तरफ अंगूठा करके तिलांजलि अर्पित करते हुए अपने पितरों को तृप्त करें।
इन बातों का रखें ख्याल - किसी भी प्रकार का शोर ना हो रहा हो। - दक्षिण दिशा की ओर काले तिल चारों ओर बिखेर कर श्रद्धापूर्ण पवित्र मनुष्य को भोजन कराएं। - भोजन स्टील व मिट्टी के बर्तन में न करायें, अन्यथा पिशाच भोजन ग्रहण करते हैं। - श्रेष्ठ पात्र तांबा, चांदी व केले के पत्ते हैं। दोनें, पत्तल का भी प्रयोग किया जा सकता है। ये हैं पितरों का प्रिय फलों में अनार, अनाज में मूंग, गेहूं, चावल तथा सब्जी में घिया, लौकी, तुरई है। इन पदार्थो का ना करें प्रयोग - राजमा, अरहर, मसूर, चना, गाजर, कुम्हड़ा, भेलिया, गोल लौकी, शलगम, बैंगन, प्याज, लहसून, मांसाहार, हींग, काल नमक, काला जीरा का प्रयोग वर्जित है।