- 125 सबस्टेशन 33फ्/11 केवी

- 500 किमी के करीब अंडरगा्रउंड केबिल

- 2.50 करोड़ बताई जा रही मशीन की कीमत

- 4 से 5 इलाके में ज्यादा आते हैं अंडरग्राउंड फॉल्ट

- अंडरग्राउंड बिजली केबिल को आसानी से स्कैन किया जा सकेगा

- केबिल स्कैन होने से पहले ही मिल जाएगी फॉल्ट होने की जानकारी

abhishekmishra@inext.co.in

LUCKNOW : बस कुछ दिन का इंतजार फिर अंडरग्राउंड बिजली केबिल में होने वाले फॉल्ट से बिजली संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा. वजह यह है कि एक मशीन की मदद से आसान तरीके से केबिल में होने वाले फॉल्ट के बारे में पहले ही जानकारी हासिल की जा सकेगी. जिसके बाद विभाग की टीम मौके पर जाकर केबिल को दुरुस्त कर देगी, जिससे फॉल्ट नहीं होगा और लोगों को बिजली संकट से रूबरू नहीं होना होगा.

अभी आती है समस्या

आज की बात करें तो अंडरग्राउंड केबिल में फॉल्ट होने के बाद उसे ढूंढने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है. फॉल्ट मिलने के बाद उसे दुरुस्त किया जाता है. जब तक फॉल्ट दुरुस्त नहीं होता, तब तक बिजली संकट का सामना करना पड़ता है. अगर देर रात अंडरग्राउंड फॉल्ट होता है, तो स्थिति और भी खराब हो जाती है. कई बार तो लोगों को रात भर बिजली आने का इंतजार करना पड़ता है.

केबिल होंगी स्कैन

मध्यांचल डिस्कॉम की ओर से जर्मन टेक्नोलॉजी बेस्ड मशीन (वैन) लाने का प्रस्ताव तैयार कराया गया है. इस मशीन की मदद से उस स्थान की सभी अंडरग्राउंड केबिल को आसानी से स्कैन किया जा सकेगा, जहां ज्यादा फॉल्ट होने की समस्या आती है. इसके बाद अगर भविष्य में उस स्थान पर कहीं भी केबिल में फॉल्ट होने वाला होगा, तो इसकी जानकारी संबंधित सबस्टेशन में इस मशीन की मदद से पहुंच जाएगी. जिसके बाद विभाग की मेंटीनेंस टीम मौके पर जाकर मेजर फॉल्ट होने से पहले ही उसे ठीक कर देगी.

सेंसर की मदद से मैसेज

मशीन में हाईटेक सेंसर होंगे, जिनकी मदद से केबिल में होने वाले फॉल्ट के बारे में पहले ही जानकारी मिल सकेगी. इसके साथ ही जब किसी सबस्टेशन की ओर से केबिल को स्कैन किए जाने की मांग आएगी, तो उसके आधार पर ही मशीन को उस एरिया में भेजा जाएगा.

ढाई करोड़ कीमत

इस हाईटेक मशीन की कीमत करीब ढाई करोड़ है. इसकी वजह से इसको लेकर पहले हर बिंदु पर कार्ययोजना तैयार की जा रही है. इसके बाद इस प्रस्ताव को आला अधिकारियों के पास भेजा जाएगा. वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही अगले कदम उठाए जाएंगे.

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फॉल्ट होने पर भी राहत

एक तरफ जहां इस मशीन की मदद से फॉल्ट होने के पहले ही जानकारी मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ अगर कहीं अंडरग्राउंड फॉल्ट होता है तो भी इस मशीन की मदद से फॉल्ट वाले स्थान को आसानी से चिन्हित किया जा सकेगा. जिसके बाद बेहद कम समय में फॉल्ट को दूर कर दिया जाएगा.

वर्जन

बिजली संकट न हो, इसको ध्यान में रखते हुए इस दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं. हाईटेक मशीन से अंडरग्राउंड केबिल में होने वाले फॉल्ट के बारे में पहले ही जानकारी मिल जाएगी. इस संबंध में प्रोजेक्ट तैयार हो रहा है.

संजय गोयल, एमडी, मध्यांचल डिस्कॉम

Posted By: Kushal Mishra