फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट की हलचल देश में दिखने लगी है इसके विरोध में जमकर आवाजें उठ रही है. सरकार रिटेल क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति देने के पीछे कई देशों की सफलता का हवाला दे रही है. वहीं बिजनेस मामलों के जानकारों का कहना है कि जिन-जिन मुल्कों में एफडीआई का खेल चल रहा है वहां के अनुभव खट्टे और मीठे दोनों रहे हैं. तो चलिए जानते हैं कुछ उन मुल्कों के बारे में जहां रिटेल क्षेत्र में एफडीआई का गणित चल रहा है.


कोरिया
कोरिया संगठित रिटेल के मामले में पहले से ही काफी आगे रहा है. 1999 और 2000 के बीच ही यहां 300 से ज्यादा रिटेल चेन खुल चुकी थी. स्‍थानीय कंपनियां पहले से ही कोरिया की प्रमुख लोकेशन में अपने स्टोर खोल चुकी थीं. कोरिया के कंज्‍यूमर प्राइस से ज्यादा क्वालिटी पर ध्यान देते हैं. वॉलमार्ट सिर्फ सस्ते उत्पादों पर फोकस करती रही. यहां भी वॉलमार्ट सही सप्लाई चेन मैनेजमेंट नहीं कर पाई. कोरिया में 2005 में वॉलमार्ट को 10 मिलियन डॉलर का घाटा हुआ.

चीन
यहां 1992 में एफडीआई को मंजूरी मिली थी, 6 राज्यों और स्‍पेशल इकोनॉमिक जोन में यह लागू किया गया. शुरुआत में विदेशी कंपनियों को केवल 49 फीसदी निवेश की ही इजाजत थी जिसे बाद में बढा दिया गया. उदारीकरण के बाद 600 से अधिक हाइपर मार्केट खुले. किराना दुकानें 19 लाख से बढ़कर 25 लाख हो गईं. 

चिली
यहां 1990 के दशक में कारफुर व एहोल्ड का प्रवेश हुआ. फिर 2002 तक इन कंपनियों ने देश की प्रमुख 8 रिटेल कंपनियों के 4.6 बिलियन यूएस डॉलर की बिक्री में 13 फीसदी की हिस्सेदारी प्राप्त कर ली. 2003 में चिली की दो कंपनियों ने इन दो मल्‍टीनेशनल कंपनियों की चिली इकाई खरीद ली. इस समय पूरे देश के रिटेल बिजनेस में इनकी हिस्सेदारी 65 फीसदी है.

थाईलैंड

यहां 1997 में रिटेल क्षेत्र में एफडीआई ने पांव पसारे. इस क्षेत्र में विदेशी निवेश 100 फीसदी है. इसका निगेटिव असर यह हुआ कि स्थानीय खुदरा व्यापारियों को दुकानें बंद करनी पड़ीं.
 
इंडोनेशिया
रिटेल की शुरुआत देश के व्यापारियों ने सन 90 में की. बाद में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश हुआ. फिलहाल प्रमुख देशी रिटेल चेन माताहारी है. कंपनी ने अपनी बिक्री को 2002 से 2006 के बीच दो गुना कर लिया था. चीन की तरह से यहां भी यह क्षेत्र अभी विभाजित है, जिससे विदेशी कंपनियों की हिस्सेदारी सिर्फ 20 फीसदी है.

रूस
यहां सुपरमार्केट 2000 में शुरू हुआ. विदेशी कंपनियों का वर्चस्व बढ़ा.  देश में प्रमुख 15 रिटेल चेन में विदेशी कंपनियों की आठ श्रृंखला चल रही है. प्रमुख दो बड़ी रिटेल कंपनियां रूस की हैं, लेकिन रूसी कंपनियों की ग्रोथ भी देशी व विदेशी कंपनियों के साथ ही हुआ है.

 जर्मनी
1996 में वॉलमार्ट ने जर्मनी के बाजार में प्रवेश किया. 2006 में उसे जर्मन मार्केट से बाहर जाना पड़ा. 95 स्टोर खोले थे। इस दौरान 1 बिलियन डॉलर का घाटा उसे उठाना पड़ा. 370 बिलियन डॉलर का बाजार है जर्मनी. लेकिन लोकल स्टोर्स के सामने नहीं टिक पाई वॉलमार्ट. जर्मनी का किराना बाजार पूरे यूरोप में सबसे सस्ता है. अमेरिकन उत्पादों में जर्मनी के लोगों की कम रूचि है. 

Posted By: Kushal Mishra