नाइजीरिया में कट्टरपंथी संगठन बोको हराम ने सिलसिलेवार बम धमाकों से अफ्रीका के सबसे घनी आबादी वाले देश में तबाही मचाई हुई है.

बोको हराम देश से मौजूदा सरकार का तख़्तापलट करना चाहता है और उसे एक इस्लामिक देश में तब्दील करना चाहता है। कहा जाता है कि बोको हराम के समर्थक कुरान की शब्दावली से प्रभावित हैं कि 'जो भी अल्लाह की कही गई बातों पर अमल नहीं करता है वो पापी है.'

बोको हराम इस्लाम के उस संस्करण को प्रचलित करता है जिसमें मुसलमानों को पश्चिमी समाज से संबंध रखने वाली किसी भी राजनीतिक या सामाजिक गतिविधि में भाग लेने से वर्जित किया जाता है।

इसमें चुनाव के दौरान मतदान में शामिल होना, टी शर्ट ,पैंट पहनना और धर्मनिरपेक्ष शिक्षा लेना शामिल है। नाइजीरिया में मुस्लिम राष्ट्रपति होने के बावजूद बोको हराम उसे एक ऐसा देश मानते है जिसे अल्लाह में विश्वास न करने वाले लोग चला रहे हैं।

आधिकारिक नाम

इस संगठन का आधिकारिक नाम जमाते एहली सुन्ना लिदावति वल जिहाद है जिसका अरबी में मतलब हुआ जो लोग पैगंबर मोहम्मद की शिक्षा और जिहाद को फैलान के लिए प्रतिबद्ध होते हैं।

उत्तर-पूर्वी शहर मैडुगुरीमें इस सगंठन का मुख्यालय था.और यहां रहने वाले लोगों ने इसे बोको हराम का नाम दिया। अगर स्थानीय होसा भाषा में इसका उच्चारण किया जाए तो इसका मतलब हुआ 'पश्चिमी शिक्षा लेना वर्जित है'।

बोको का मूल मतलब है फ़र्ज़ी या नकली लेकिन इसका मतलब पश्चिमी शिक्षा के संदर्भ में समझा जाने लगा। जबकि हराम का मतलब है वर्जित या वो चीज़ें जिनकी समाज में मनाही है।

जब से 1903 में उत्तरी नाइजीरिया, निजेर और दक्षिणी कैमरून के इलाक़े ब्रिटेन के नियंत्रण में चले गए, तब से वहां मुस्लिम आबादी वाले इलाक़ों में पश्चिमी शिक्षा का विरोध शुरु हो गया।

कई मुस्लिम परिवार अब भी अपने बच्चों को सरकारी के उन स्कूलों में नहीं भेजना चाहते है जहाँ पश्चिमी शिक्षा दी जाती है.ये समस्या इसलिए भी बढ़ी क्योंकि वहाँ के धनाढय वर्ग भी शिक्षा को प्राथमिकता नहीं देते है।

मक़सदइसी पृष्ठभूमि में करिश्माई मुस्लिम धर्मगुरू मोहम्मद युसूफ़ ने 2002 में बोको हराम का गठन किया.उन्होंने एक धार्मिक कॉम्पलेक्स बनाया जिसमें एक मस्जिद और इस्लामी स्कूल भी बनाया गया।

नाइजीरिया के कई ग़रीब मुस्लिम परिवारों के साथ-साथ पड़ोसी देशों के बच्चों ने भी इस स्कूलों में दाखिले लिए। लेकिन बोको हराम को केवल बच्चों को शिक्षा देने में ही दिलचस्पी नहीं थी.उसका राजनीतिक मक़सद एक इस्लामिक देश का गठन करना था और ये स्कूल जिहादियों को भर्ती करने का ज़रिया बन गए।

साल 2009 में बोको हराम ने माइडूगूरी स्थित पुलिस स्टेशनों और सरकारी इमारतों पर कई हमले किए। इसका नतीजा ये हुआ कि माइडूगूरी की सड़कों पर गोलीबारी हुई.बोको हराम के सैकड़ो की संख्या में समर्थक मारे गए और हज़ारों की संख्या में शहर छोड़कर भाग गए।

नाइजीरिया के सुरक्षाबलों ने संगठन के मुख्यालय पर कब्ज़ा कर लिया, उसके लड़ाकूओं को पकड़ा और युसूफ़ को मार दिया। मोहम्मद युसूफ़ के शव को सरकारी टेलीविज़न पर दिखाया गया और सुरक्षाबलों ने घोषणा की कि बोको हराम का ख़ात्मा कर दिया गया।

हमलेलेकिन ये सगंठन नए नेता के नेतृत्व में फिर से एकजुट हुआ और साल 2010 में उन्होंने माइडूगूरी स्थित एक जेल पर हमला किया और सैकड़ों की संख्या में संगठन का समर्थन करने वाले लोगों को आज़ाद करवाया।

बोको हराम का ट्रेड मार्क रहा है कि ये सगंठन हमलों के दौरान मोटरसाइकलों पर सवार बंदूकधारियों का इस्तेमाल करता है। पुलिस, राजनेताओं और जो भी उनके सगंठन की आलोचना करता है उन्हें मार देता है.इसमें अन्य मुस्लिम परंपरा का पालन करने वाले धर्मगुरू और इसाई उपदेशक भी शामिल है।

इसमें साल 2011 में क्रिसमस के दिन राजधानी आबुजा में चर्च में हुआ धमाका,साल 2010 में नव वर्ष की पूर्व संध्या पर सैन्य बैरक पर हमला और राष्ट्रपति गुडलक जॉनथन के लिए किए गए स्वागत समारोह के दौरान भी कई धमाके किए गए।

नवंबर 2011 में जारी की गई अमरीकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट के बाद इन हमलों की चर्चा वैश्विक स्तर पर होने लगी .इस रिपोर्ट में बोको हराम को अमरीका और उसके हितों के लिए उभरता हुआ ख़तरा बताया गया था।

इस रिपोर्ट में कहा गया था कि बोको हराम चरमपंथी सगंठन अल-क़ायदा के साथ संबंध जोड़ने की कोशिश कर रहा है.हालांकि सगंठन ने इस बात को ख़ारिज किया था। विश्लेषकों का कहना है कि उत्तरी नाइजीरिया में बोको हराम जैसे सगंठनों को पैदा करने का इतिहास है।

Posted By: Inextlive