Patna: बच्चों को हम बड़े होते तो देखते हैं पर उनके अंदर हो रहे डेवलपमेंट से रूबरू नहीं होते. बच्चों पर अपना डिसिप्लीन थोप देते हैं पर उनके दिल व दिमाग में चल रहे सवालों का जवाब देना मुनासिब नहीं समझते.


बच्चों को उनकी चीजों से अवगत करवाएंएक्सपट्र्स की मानें, तो बड़े होने के साथ ही बच्चों को उनकी चीजों से अवगत करवाएं। उन्हें उन सारी चीजों की जानकारी दें, जो उन्हें किसी तरह की गलती करने से बचाएं। अचानक से आपका बच्चा चुप हो जाए, कुछ ऐसा करने लगे जो उसने कभी नहीं किया हो, तो समझ लें कि आपका बच्चा डेंजर जोन को फेस कर रहा है। उसे कोई न कोई प्रॉब्लम जरूर है। झिझकिए नहीं, दोस्त बनिए


 बच्चे बड़े हो रहे हैं, यह बातें बच्चे को खुद बताना पड़ता है। उनके अंदर कई तरह के क्वेश्चंस होते हैं, जिसे पूछने से वे झिझकते हैं। इन चीजों को गार्जियंस को समझना चाहिए। इस संबंध में पटना वीमेंस कॉलेज की चाइल्ड साइकोलॉजी की एक्सपर्ट प्रो। पुष्पा सिंह ने बताया कि जब बच्चा बड़ा होने लगता है, तो उसके अंदर एक झिझक होने लगती है। बच्चे ऐसा सेफ जोन खोजते हैं, जहां वे फ्री से अपनी बातें बोल सकें। ऐसे में अगर गार्जियन उसके साथ फ्रेंडली नहीं होते हैं, तो अपना दोस्त बाहर ढूंढ़ते हैं। ऐसे में उसकी हेल्प आज के टेक्नोलॉजी से होती है। सेक्स आदि के बारे में भी बच्चे को इंटरनेट आदि से ही अपडेट्स मिलती है। पुष्पा ने बताया कि बच्चों की इस स्थिति को गार्जियन अगर समझें और सही रास्ता बताएं, तो ऐसे हादसों से बचा जा सकता है। Behavior पर रखें ध्यानजब बच्चे बड़े होने लगते हैं, तो उनके रूटीन में चेंजेज आने लगते हैं। वो घर से बाहर भी निकलने लगते हैं। पेरेंट्स के अलावा उन्हें लाइफ की दूसरी चीजों के बारे में जानकारी मिलने लगती है। बच्चों के अंदर कई तरह के चेंजेज होने से उनके बिहेवियर भी चेंज होने लगते हैं। यह वो समय है, जब बच्चों पर पूरा ध्यान देने की जरूरत है। इस संबंध में एक्सपर्ट अर्चना कटियार का कहना है कि बच्चों के बिहेवियर चेंज होने लगते हैं। ऐसे में गार्जियन को इस पर ध्यान देने की जरूरत है। Child group बनाइए

अक्सर देखा जाता है कि बच्चे अपने एज ग्रुप के साथ अधिक सेफ और फ्री रहते हैं। ऐसे में बच्चों का चाइल्ड ग्रुप बनाया जाए, तो काफी हद तक चाइल्ड एब्यूज को रोका जा सकता है। इस संबंध में सेव द चिल्डे्रन के स्टेट प्रोग्राम मैनेजर एजाज हुसैन ने बताया कि स्कूल में अगर बच्चों का चाइल्ड ग्रुप बनाया जाए, तो बच्चे एक-दूसरे से अपनी फीलिंग्स शेयर करेंगे। स्कूल या स्कूल के बाहर उनके साथ अगर कुछ गलत होगा, तो वे अपनी प्रॉब्लम शेयर करेंगे। इस कदम से काफी हद तक चाइल्ड एबयूज के इंसिडेंट को कंट्रोल किया जा सकता है।  तब आप हो जाएं अलर्ट- अचानक से बच्चे चुप रहने लगें। - उनके बिहेवियर चेंज होने लगे।- किसी विशेष व्यक्ति के घर आने पर इरिटेट हों।- कुछ छिपा रहे हों।- अचानक से अपना कोई फेवरेट काम करना बंद कर दें।- स्कूल जाना बंद कर दें या स्कूल जाने से कतराने लगें।गार्जियंस दें इन पर ध्यान- बच्चों पर तब तक ध्यान देने की जरूरत है, जब तक उसके अंदर सही गलत की समझ न आ जाए।- आपके बच्चे आपसे कितनी बातें शेयर करते हैं। स्कूल से आकर वे आपसे बातें करते भी हैं या नहीं।- बच्चों को उनके डेवलपमेंट के अनुसार तैयार करें।- कोई उन्हें टच करता हो। बच्चे को वहां टच करता है, जहां अन ईजी फील करते हों।सबक लेने की जरूरत है.

Posted By: Inextlive