-झारखंड में महिला अधिकारियों को काम के दौरान कई मुश्किलों का करना पड़ता है सामना

-कहीं बंधक बना लिया जाता है, तो कहीं असामाजिक तत्वों से निबटना हो जाता है मुश्किल

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RANCHI (19 May) : रविवार को पिठौरिया थाना क्षेत्र के सांगा सियारटोली में भरनो की बीडीओ श्वेता बेद को ग्रामीणों ने घंटों बंधक बनाए रखा। उन्हें ग्रामीणों ने पुलिस की दखलअंदाजी के बाद छोड़ा। इससे पहले क्7 अप्रैल को रांची लोकसभा सीट पर चुनाव के दिन रांची के खेलगांव के पास अनगड़ा की बीडीओ दीपमाला के साथ अभद्र व्यवहार हुआ था। इस बाबत दीपमाला ने सदर थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई थी। झारखंड के अलग-अलग ब्लॉक में तैनात बीडीओ और सीओ के रूप में कार्यरत महिलाओं पर हमले और उनके साथ बदसलूकी की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। ये घटनाएं जाहिर करती हैं कि यहां महिला अधिकारी ऑड सिचुएशन, चुनौतियों और असुरक्षा के बीच काम करने पर मजबूर हैं। काम के दौरान या राह में इन्हें किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है, यह आई नेक्स्ट ने रांची डिस्ट्रिक्ट के क्8 ब्लॉक में से तीन ब्लॉक अनगड़ा की सीओ कम बीडीओ दीपमाला गुप्ता, नामकुम की बीडीओ कुमुदिनी टूटी, चान्हो की सीओ एनी कुजूर से बात करके जाना।

आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं

क्7 अप्रैल को रांची लोकसभा सीट पर हुए चुनाव के दौरान जो घटना खेलगांव में मेरे साथ हुई थी, उसे याद कर आज भी मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मैं खाली ईवीएम लेकर लौट रही थी कि भीड़ ने मेरे ऊपर हमला बोल दिया। यह घटना मेरे अब तक के जीवन की सबसे दर्दनाक और अप्रत्याशित घटना है। मैं कॉरपोरेट व‌र्ल्ड की दुबई में बड़ी जॉब छोड़कर अपने लोगों के लिए काम करने के लिए एडमिनिस्ट्रेशन में आई हूं। लेकिन, कभी सोचा नहीं था कि मेरे साथ ऐसा होगा। बीडीओ और सीओ की पोस्टिंग सुदूर गांवों में होती है, जहां हमारी सुरक्षा के लिए न तो कोई पुलिस वाला होता है और न ही कोई सिक्योरिटी के दूसरे इंतजाम होते हैं। इसके साथ ही वहां पर असामाजिक तत्व भी सक्रिय रहते हैं। महिलाएं तो ऐसे लोगों के लिए आसान शिकार होती हैं। ऐसे में गवर्नमेंट को चाहिए कि वह महिला बीडीओ और सीओ को पर्याप्त सुविधा मुहैया कराए, जिससे महिलाएं बिना डरे ब्लॉक में डेवलपमेंट का काम अच्छे से कर सकें। यह कहना है रांची के अनगड़ा ब्लॉक की सीओ कम बीडीओ दीपमाला गुप्ता का। दीपमाला मूल रूप से डालटनगंज की रहने वाली हैं। बिशप वेस्टकॉट ग‌र्ल्स स्कूल, डोरंडा से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने बेंगलुरु से एमबीए किया। इसके बाद दुबई में सिटी बैंक में जॉब की। दीपमाला साल ख्008 में फोर्थ जेपीएससी में सेलेक्ट होकर अधिकारी बनी हैं।

दर्जनों बार लगा कि अब क्या होगा

बीडीओ के रूप में मैं झारखंड के कई डिस्ट्रिक्ट्स में रही। साल ख्008 में पाकुड़ में पहली पोस्टिंग थी, उस समय एक महिला अधिकारी होने के बाद भी रूरल एरिया में काम करना डर भरा रहा। कई बार असामाजिक तत्वों से सामाना हुआ। लगा कि पता नहीं अब क्या होगा, लेकिन हिम्मत से काम की। इसके बाद अब नामकुम में बीडीओ के पोस्ट पर काम कर रही हूं। इसलिए मेरा कहना है कि महिला बीडीओ और सीओ की सुरक्षा के लिए गवर्नमेंट गंभीर बने। क्योंकि, रूरल एरिया में काम करना महिला अधिकारियों के लिए चुनौती भरा है। वहां की मानसिकता अभी भी महिलाओं के खिलाफ है। इसको बदलने में वक्त लगेगा। यह कहना है नामकुम की बीडीओ कुमुदिनी टूटी का। दुमका की रहनेवाली कुमुदिनी ने दुमका में प्रारंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, कांके से ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद वह जेपीएससी द्वारा चुने जाने के बाद अधिकारी बनीं।

रूरल एरिया में काम करना चुनौती है

चान्हो सीओ एनी कुजूर कहती हैं- हमलोगों की पोस्टिंग देहात में होती है, जहां पर सुविधाएं बहुत कम होती हैं। महिला अधिकारी के रूप में रूरल एरिया में काम करना चुनौती है। प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर हमारी शुरुआती ट्रेनिंग ब्लॉक से ही होती है, लेकिन एक महिला अधिकारी के तौर पर मेरा मानना है कि रूरल एरिया में काम करते हुए हमें कई सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी तो सुरक्षा को लेकर होती है। कई बार ऐसे लोगों से पाला पड़ता है कि समझ में नहीं आता है कि ऐसे लोगों को कैसे समझाया जाए। लेकिन, अपने ऊपर विश्वास करके प्रॉब्लम को दूर किया जाता है। बीडीओ और सीओ को पुलिस गार्ड और सिक्योरिटी नहीं मिलती है, जिससे परेशानी होती है। लेकिन, चूंकि यह गवर्नमेंट का मामला है, इसलिए हमलोग कुछ नहीं कह सकते। हालांकि, चुनौतियां तो हैं।

Posted By: Inextlive