- हिन्दी उर्दू साहित्य सम्मेलन में आयोजित की गई संगोष्ठी

- साहित्यकार और व्यंगकारों ने डॉ। अशोक चक्रधर को कहा इगो मैनेजमेंट में माहिर

LUCKNOW: वे नये शब्दों के शिल्पी है, हास्य-व्यंग्य के सशक्त कवि है, अतुलनीय क्षमताओं का धनी है। समग्र कवि, लेखक और प्रबंधन में माहिर हिन्दी सेवी है। यह विचार थे साहित्याकारों के हास्य और व्यंग कवि डॉ.अशोक चक्रधर के लिए। हिन्दी-उर्दू साहित्य अवार्ड कमेटी के तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्या सम्मेलन के अंतिम दिन डा.अशोक चक्रधर पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। कैसरबाग स्थित जयशंकर प्रसाद सभागार में गंगाप्रसाद विमल की अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इगो मैनेजमेंट में भी माहिर है

गंगाप्रसाद विमल ने डा.चक्रधर को अतुलनीय क्षमताओं का धनी बताते हुए कहा कि उनकी कविताओं के उद्धरण विद्वान अपने लेखों में देते है। इससे पहले व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय ने कहा कि मिली-जुली संस्कृति साहित्य का मूल है। के.कान्त अस्थाना ने उनकी तीन प्रतिनिधि रचनाओं- 'जंगल में चुनाव', 'तीन परखनलियां' व 'पोलखोलक यंत्र' को सफल साहित्य कहा। डा.सूर्यकुमार पाण्डेय ने उन्हें सच्चा व्यक्ति और समग्र कवि बताया। डा.चक्रधर की प्रबंधन कला को समेटते हुए दिल्ली की वर्तिका नन्दा ने कहा कि डा.चक्त्रधर न सिर्फ 'इगो मैनेजमेण्ट' में माहिर हैं अपितु नई से नई टेक्नालॉजी से अवगत, मीडिया, परिवार और कार्य-कार्यालय प्रबंधन में भी कुशल है। उनके चित्रकार भी होने की चर्चा करते हुए वर्तिका नन्दा ने उनके हिन्दी के सम्मान और उसके यूनीकोड के लिए किए गए महत्वपूर्ण कायरें की चर्चा की।

व्हाट्सएप पर भी पढ़ी जाती है कविताएं

हैदराबाद के डा.एम.वेंकटेश्वर ने उनकी रचनाओं में छुपे दर्शन का जिक्र करते हुए उनकी काव्य रचनाओं को चार्ली चैप्लिन की फिल्मों जैसा असर करने वाला बताया। पंकज प्रसून ने कहा कि व्हाट्सएप पर उनकी कविताओं की आवाजाही बताती है कि उनकी कविताओं में पठनीयता और श्रवणीयता अद्भुत है। कमेटी के महामंत्री अतहर नबी ने कमेटी के सफर की चर्चा की। संगोष्ठी में संदीप सक्सेना, संजीव जायसवाल संजय, अलंकार रस्तोगी, अरविंद झा, इंद्रजीत कौर व अन्य रचनाकारों ने विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी में क्षितिज उमेन्द्र, वत्सला पाण्डे, निषिता तिवारी, मुकुल महान, राजेन्द्र पण्डित, अभय निर्भीक, रोहित मीत आदि अनेक रचनाकार मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive