-17 जुलाई से शुरू होगा भगवान शिव की आराधना का पर्व सावन मास

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PRAYAGRAJ: इस बार गुरु पूर्णिमा और भगवान शिव की आराधना का सबसे पवित्र महीना सावन के बीच खग्रास चंद्रग्रहण पड़ रहा है। ऐसा संयोग करीब 150 वर्षो के बाद बन रहा है, जब ग्रहण का साया पूर्णिमा पर्व पर पड़ेगा। 16 जुलाई को गुरु-शिष्य परंपरा का पर्व गुरु पूर्णिमा मनाया जाएगा। उसी रात चंद्रग्रहण भी लगेगा। इसका असर पूरे देश के साथ ही प्रयागराज में भी होगा। ग्रहण का स्पर्श काल रात 1.31 बजे, मध्य 3.01 बजे व मोक्ष भोर में 4.30 बजे तक रहेगा। इस वजह से 17 जुलाई से शुरू होने वाले सावन मास में मंदिरों का कपाट भक्तों के दर्शन के लिए देर से खुलेगा।

सात घटे पहले बंद होगा कपाट

ग्रहण का स्पर्श काल सोलह जुलाई की मध्य रात्रि के बाद रात 1.31 बजे होगा। इसका सूतक काल सात घंटे पहले प्रारंभ हो जाएगा। यानी 16 जुलाई की शाम छह बजे के बाद मठ-मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। इस वजह से गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व सूतक काल लगने से पहले ही आयोजित होगा। ज्योतिषाचार्य पं। विद्याकांत पांडेय के मुताबिक सूतक काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं और मंदिरों में पूजा-पाठ नहीं किया जाता है। घर पर ही बैठकर धार्मिक ग्रंथों का पाठ किया जाना श्रेयस्कर होता है।

वर्जन

इस बार गुरु पूर्णिमा पर्व पर खग्रास चंद्रग्रहण का साया पड़ रहा है। सूतक काल में शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसलिए ग्रहण के सूतक काल से लेकर मोक्ष काल तक मठ-मंदिरों का कपाट बंद रहेगा।

-पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली, ज्योतिषाचार्य

ग्रहण के मोक्षकाल के बाद मंदिर का कपाट खोला जाएगा। 17 को ही भगवान शिव की आराधना का पर्व सावन माह शुरू हो रहा है। भगवान शिव की 21 पंडितों की अगुवाई में विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी और भस्म से भोलेनाथ का श्रृंगार किया जाएगा।

-विमलेश गिरी, पुजारी दशाश्वमेध मंदिर

Posted By: Inextlive