PATNA : बिहार विधानसभा में जेडीयू विधायक श्याम रजक ने बेटियों की घटती संख्या पर अपनी ही सरकार को घेरा था। इसी के साथ बीजेपी विधायक गायत्री देवी ने महिलाओं और बच्चों में बढ़ते कुष्ठ रोग पर सवाल उठाया था। विधानसभा में यह सवाल उठने के बाद कई चर्चित महिलाओं ने अपनी प्रतिक्रया दी है।

हजार-बारह सौ रुपए में काम कर रही महिलाएं: सरोज चौबे

एपवा राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे कहती हैं कि महिलाओं पर हिंसा बढ़ रही है। बेटों की चाहत में भ्रूण हत्या बढ़ रही है। बेटियों को बचाने की जिद के बजाय बेटों के लिए जिद दिखती है। इसके पीछे सामाजिक, आर्थिक कारण हैं। लाख बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के बावजूद समाज का तानाबाना वही है। बेटा रहेगा तो वंश बढ़ाएगा। अल्ट्रा साउंड सेन्टर पर सरकार की कोई कड़ी निगरानी नहीं हैं। चिंतन तोड़ने के लिए जागरण की कमी है। महिला दिवस पर खूब बात होगी लेकिन फ्भ् प्रतिशत आरक्षण का बिल पास नहीं होगा। राज्य सरकार ने नौकरी में आरक्षण दिया लेकिन सच ये है कि हजार-बारह सौ रुपए में महिलाएं काम कर रही हैं।

घर- बाहर दोनों जगह असुरक्षा: शारदा सिन्हा

सुप्रसिद्ध गायिका शारदा सिन्हा कहती हैं कि पहले की तुलना में अवेयरनेस बढ़ा है। इसके बावजूद लड़कियों की संख्या घटने का मूल कारण भ्रूण हत्या ही है। इसे रोकने के लिए नियम कानून जरूर हैं लेकिन वे ठीक से लागू नहीं हो पा रहे। समाज की सोच इसके लिए बहुत जिम्मेवार है। लोग सोचते हैं कि बेटियां ससुराल चली जाती हैं, शादी के समय काफी दहेज देना पड़ता है, जब तक घर में रहेंगी सुरक्षा देनी पड़ेगी। ये ऐसी सोच है जिससे लड़कियां भार समान हो जाती हैं। सच तो यह है कि कई घरों में ही लडि़कयां सुरक्षित नहीं हैं। सरकार आरक्षण भले दे रही हैं लेकिन आरक्षण का लाभ उठाने के लिए उनको बचाना सबसे जरूरी है।

कैसी शिक्षा दे रहे हैं महिलाओं को ये सोचिए: सुषमा साहु

राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य और पटना निवासी सुषमा साहु कहती हैं कि महिलाओं को शिक्षित करना सबसे ज्यादा जरूरी है। बिहार में जिस तरह से शिक्षकों की बहाली हुई है वह शिक्षा किस काम की है। दूसरी बात ये कि कई बार महिला की महिला का शत्रु हो जाती हैं। सास ही बहू पर दबाव बनाती है कि कोख में बेटी है तो उसकी भू्रण हत्या कर दे। महिलाओं को अपनी हक के लिए आवाज उठानी होगी। आरक्षण का लाभ तो दे दिया गया पर उसकी सुधि सरकार कितनी लेती है कि महिलाओं के अधिकार उन्हें ठीक से प्राप्त हो भी पा रहे हैं कि नहीं।

बेटी की मन्नत मांगे: प्रमिला

महिला हेल्पलाइन की प्रोजेक्ट मैनेजर प्रमिला कुमारी कहती हैं कि सिर्फ कारण को आप दोष नहीं दे सकते कि भ्रूण हत्या की वजह से ही यह स्थिति है। सवाल सिर्फ दान-दहेज का भी नहीं। देहात में अभी भी स्थिति यह है कि लोग अबॉसन नहीं कराते बेटियों की वजह से। सबसे जरूरी है महिलाओं का सोशल इंपावरमेंट किया जाए। वह इतनी मजबूत हो कि लोग मन्नत मांगें कि उन्हें बेटी ही हो। कई लोग हैं जो बेटी ही चाहते हैं।

हरियाणा वाली नौबत बिहार की ना हो जाए: सीमा सक्सेना

रालोसपा की राष्ट्रीय सचिव सीमा सक्सेना ने कहा कि बिहार मे प्रति हजार पुरूष पर महिला की संख्या घटते-घटते मात्र 9क्म् रह गई है। पूरे देश में कन्या भ्रूण हत्याओं पर रोक लगाने को लेकर कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जा रहा है। इस बदल रहे माहौल में अगर पुरुष-महिला लिंगानुपात की लिस्ट में बिहार ख्भ्वें स्थान पर है तो समझा सकता है कि यहां क्या जमीनी हकीकत है? कहा कि महागठबंधन सरकार के मुखिया ये भी नहीं कह सकते कि नई सरकार बने सिर्फ तीन महीने हुए हैं क्योंकि वो दस साल से मुख्यमंत्री हैं। कहा कि यही हाल रहा तो हरियाणा जैसे राज्य की तरह बिहार में भी युवकों को शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल पाएंगी।

Posted By: Inextlive