- बच्चा वार्ड में एंट्री गेट पर गंदगी देख भड़के स्वास्थ्य मंत्री

-महिला वार्ड से मरीज शिफ्ट करने की बात पर जताई नाराजगी, बोले इसे बंद करो

BAREILLY :

डिस्ट्रिक्ट में बुखार ने अब पांच दर्जन से अधिक लोगों को अपना ग्रास बना लिया है। फिर भी, जिले के स्वास्थ्य अधिकारी लोगों की जान को लेकर सचेत नहीं हो पाए। ट्यूजडे को जब उनकी नौकरी पर बन आयी, तो अव्यवस्थाएं सुधारने में जरूर लग गए। उस वक्त मरीजों की जुबां से सिर्फ एक ही बात निकली। कॉश पहले ही अफसर सजग हो गए होते, तो बुखार इतनी जानें न ले पाता। हालांकि, निरीक्षण के दौरान स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ सिंह की नजरों से सीएमएस की खामियां छिप नहीं पाई। हॉस्पिटल पहुंचते ही उन्होंने बच्चा वार्ड, फीवर वार्ड और महिला हॉस्पिटल में बनाए गए फीवर वार्ड का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने हॉस्पिटल में मिली अव्यवस्थाओं को सुधारने के भी निर्देश दिए।

मंत्री की नजरों में झोंका धूल

चादरें और साफ-सफाई कराकर व्यवस्था चौकस करने का ढोंग रच रहे सीएमएस स्वास्थ्य मंत्री की नजरों में धूल झोंकने बाज नहीं आए। एक बेड पर दो-दो मरीज थे। ऐसे में आफत से बचने के लिए डॉक्टर्स ने बुखार से तप रहे कई मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया। डॉक्टर्स की यह करतूत उन मरीजों की जान पर भी बन सकती है।

बच्चा वार्ड के बाहर मिली गंदगी

हॉस्पिटल में एंट्री करते ही स्वास्थ्य मंत्री बच्चा वार्ड में पहुंचे, लेकिन इससे पहले उनकी नजर एंट्री करते गंदगी पर पड़ी। जिसके लिए उन्होंने सुधरने की नसीहत दी। इसके बाद वह बच्चा वार्ड में पहुंचे तो उन्होंने बच्चा वार्ड में एडमिट मरीजों के परिजनों से दवा इलाज और सुविधाओं के बारे में जानकारी ली, लेकिन जब स्वास्थ्य मंत्री ने पूछा कि इस बच्चे का इलाज कौन कर रहा है तो काफी देर बाद डॉक्टर पहुंचे, इसी बीच नर्स ने बताना चाहा तो उन्हें शांत रहने को कहा। बोले जो डॉक्टर इलाज कर रहे उन्हें बुलाओ आप क्या डॉक्टर है। इस पर नर्स चुप हो गई। इस तरह बच्चा वार्ड में उन्होंने कई मरीजों से बातचीत की और समस्याओं के बारे में पूछा।

इमरजेंसी वार्ड के बाहर से लौटे

बच्चा वार्ड के बाद स्वास्थ्य मंत्री और वित्तमंत्री इमरजेंसी की तरफ गए। लेकिन वह पहले ही इमरजेंसी वार्ड को छोड़कर इमरजेंसी के फ‌र्स्ट फ्लोर पर बने मेल और फीमेल वार्ड में पहुंचे। वहां पर भी एक बेड पर दो-दो मरीज लेटे हुए मिले। उन्होंने वहां पर भी मरीजों से बातचीत की और दवा मिल रही है या नहीं मिल रही है। इस बारे में बात की। जिसके बाद वह ग्राउड फ्लोर पर बनी इमरजेंसी की तरफ बढ़े लेकिन वापस हो गए।

महिला हॉस्पिटल के फीवर वार्ड में बेड खाली

इमरजेंसी वार्ड की तरफ से वह सीधे महिला हॉस्पिटल की नई बिल्डिंग में बनाए गए फीवर वार्ड पहुंचे। वहां पर उन्होंने बेड खाली देखे तो उन्होंने पुरुष हॉस्पिटल के सीएमएस डॉ। केएस गुप्ता और महिला सीएमएस डॉ। साधना सक्सेना को बुलाया और कारण पूछा। जिस पर उन्होने बताया कि यहां पर सभी बेड फुल थे, लेकिन उन्होंने आज ही नया वार्ड थर्ड फ्लोर पर बनाया है वहां पर कुछ मरीज शिफ्ट कर दिए गए हैं। जिस पर स्वास्थ्य मंत्री ने नाराजगी जताई और बोले यह क्या इधर के मरीज उधर करना। नए मरीज आएं उन्हें वहां भेजों यहां के मरीज यहीं रखो ताकि उन्हें भी प्रॉब्लम न हो। इसके साथ ही उन्होंने दोनों सीएमएस से जानकारी ली और पूछा के वार्ड एक ही जगह जगह बना लिए जाते क्यों नहीं बनाए। एक सेकंड फ्लोर और दूसरा थर्ड फ्लोर पर। जिस पर दोनों सीएम एक दूसरे पर अपना ठीकरा फोड़ने लगे। जिस पर उन्होनें दोनों सीएमएस को तालमेल से रहने की हिदायत दी। इसके साथ ही 24 घंटे में भी सुधरने के लिए कहा।

सीटी स्कैन चार्ज होगा बंद

इमरजेंसी की तरफ से जाते समय रास्ते में उन्होंने सीटी स्कैन कराने वालों को खड़े देखा तो उनसे भी पूछताछ की। जिस पर उन्होंने बताया कि सीटी स्कैन कराने के 500 रुपए फीस जाती है। जिस पर स्वास्थ्य मंत्री ने बोले इसे भी बंद होना चाहिए। मरीजों को सीटी स्कैन मुफ्त में होना चाहिए। इस पर विचार ि1कया जाएगा।

पहले रेफर, फिर किया एडमिट

बदायूं के सहसवान नवासी सिद्धार्थ सिंह ने बेटे नबाव सिंह 14 वर्षीय को डॉक्टर्स ने हॉयर सेंटर ले जाने के लिए रेफर कर दिया, लेकिन कोई एम्बुलेंस नहीं दी। जिस पर किशोर को पीठ पर लादकर गेट की तरफ चल दिया। सिद्धार्थ के साथ उनकी पत्नी भी थी। जैसे ही वह सीएमएस रूम के पास पहुंचा तो वहां पर जब रिपोर्टर ने पूछा कि क्या हुआ। तो सिद्धार्थ सिंह ने बताया कि बेटे को दौरा आने लगा तो 9 सितम्बर को इमरजेंसी वार्ड में एडमिट कराया था। ठीक से इलाज नहीं मिलने पर डॉक्टर से शिकायत की तो उन्होंने सुबह कहीं और ले जाने के लिए कहकर छुट्टी कर दी। एम्बुलेंस नहीं मिली तो पीठ पर लादकर जा रहा है। वह थक कर मंदिर पर बैठ गया तभी वहां पर मौजूद डॉक्टर्स को लगा कि कहीं स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत न कर दे इसीलिए डॉक्टर्स ने उसे स्ट्रेचर मंगवाकर फिर से इमरजेंसी में एडमिट करवा दिया।

फीवर मरीजों को लगानी पड़ी लाइन

हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों को सुबह से ही भीड़ बढ़नी शुरू हो गई थी। सुबह से आने वाले मरीजों को रजिस्ट्रेशन ओपीडी और इसके बाद पैथोलॉजी में भी लाइन लगानी पड़ी। जिसके बाद ही उन्हें दवा मिल सकी। लेकिन स्वास्थ्य मंत्री जब पहुंचे तब तक हॉस्पिटल की ओपीडी बंद हो चुकी थी। जिससे वह ओपीडी में आने वाली समस्या से रूबरू नहीं हो सके।

Posted By: Inextlive