इसे भारत की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री में से एक माना जाता है. आरुषि तलवार और उनके घरेलू नौकर हेमराज की हत्या के साढ़े पाँच साल बाद सोमवार 25 नवंबर को सभी की निगाहें सीबीआई अदालत में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्याम लाल पर होंगी.


फ़ैसला सुनाए जाने से पहले बीबीसी से बातचीत में नूपुर तलवार का कहना था, "मैं खुद को मानसिक रूप से फ़ैसले के लिए तैयार कर रही हूँ. लेकिन जब तक दोषियों को सज़ा नहीं मिल जाती, तब तक हमारे लिए यह केस बंद नहीं होगा.”लेकिन आरुषि हत्या मामले में निगाहें अभियुक्त तलवार दंपत्ति पर ही हैं, जिन पर अपनी बेटी की हत्या करने, सुबूत मिटाने और जाँच को भटकाने के आरोप हैं.दिल्ली के हौज़ खास इलाक़े में बेसमेंट में स्थित अपने क्लीनिक के छोटे से कमरे में बैठीं नूपुर कुछ देर पहले ही अपने मरीज़ों का इलाज करके आई थीं. उनके चेहरे पर थकावट साफ़ थी.


उनके पास डॉक्टरों वाला सफेद कोट पहनकर बैठे राजेश तलवार ने एक बार नूपुर की ओर देखा और बोले, ''मुझे न्यायालय पर पूरा विश्वास है. जो व्यक्ति इस मुक़दमे की सुनवाई कर रहा है, वह पढ़ा-लिखा है. वह सही और गलत के बीच में फ़ैसला देगा, न कि इसे मीडिया में किस तरह से पेश किया गया है, उस आधार पर.”घटना

14 वर्ष की आरुषि की दिल्ली के पास स्थित नोएडा में हत्या कर दी गई थी. उनके सिर पर चोट थी और गले को रेता गया था. पहले हत्या का शक हेमराज पर गया था, लेकिन अगले दिन घर की छत पर हेमराज का शव पाया गया था. मीडिया के लिए आरुषि और हेमराज हत्याकांड एक बड़ी कहानी थी और पिछले साढ़े पाँच सालों में इस बारे में काफ़ी कुछ लिखा गया, लेकिन एक विचार ये भी है कि मीडिया में जिस तरह रिपोर्टिंग हुई उसमें संवेदनशीलता की काफ़ी ज़रूरत थी.23 मई 2008 को मामले की  जाँच कर रहे उस वक़्त के वरिष्ठ पुलिस अफ़सर गुरदर्शन सिंह ने एक प्रेसवार्ता में राजेश तलवार के एक डॉक्टर के साथ कथित अनैतिक संबंध की बात की थी. साथ ही उन्होंने आरुषि के हेमराज के साथ कथित संबंधों का आरोप लगाया था. कई हलक़ों में उनके बयानों का काफ़ी आलोचना हुई.टीवी, अख़बार हर जगह पुलिस के बयान चर्चा का विषय बने. गुरदर्शन सिंह अभी उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य हैं. अदालत के फ़ैसले के ठीक पहले उन्होंने बीबीसी से बातचीत में कुछ भी कहने से इंकार किया और कहा, “मैं इस बारे में कुछ भी बात नहीं करना चाहता. मैं ज़िंदगी में आगे बढ़ गया हूँ. मैं अब रिटायर हो गया हूँ.”

जाँच एजेंसियों के बदलते बयान और मीडिया में कथित संबंधों पर बार-बार लिखे जाने पर आरुषि का परिवार और उनके नज़दीकी लोग काफ़ी नाराज़ हैं.नूपुर तलवार के मुताबिक़ मीडिया के एक हिस्से ने उनके बारे में जो छवि बनाई उससे उनके केस को काफ़ी नुकसान पहुँचा है.वो कहती हैं, “शायद हमारा चेहरा, आरुषि का चेहरा बहुत बिकता है, इसलिए कई बार बिना प्रमाणों के बातें छापी गईं जिससे हमारे केस को नुकसान पहुँचा.”राजेश तलवार के अनुसार मीडिया ने 13 साल की बच्ची आरुषि का चरित्र हनन किया और इसके लिए किसी ने भी माफ़ी नहीं मांगी."अगर फ़ैसला हमारे पक्ष में जाता है तो मैं सभी से अनुरोध करूँगी कि आप हमें कुछ दिनों के लिए अकेला छोड़ दें ताकि मैं अपनी बच्ची के लिए दुख व्यक्त कर पाऊँ. अगर नहीं, तो ये लड़ाई जारी रहेगी."-अभियुक्त नूपुर तलवारतलवार दंपत्ति पर फैसले में बार-बार अदालती देरी के आरोपों की ज़िम्मेदारी भी राजेश तलवार मीडिया पर डालते हैं. उनके मुताबिक़ ऐसे गिने चुने ही मामले हैं जिनका इतनी तेज़ी से निपटारा हुआ और उनकी नेगेटिव छवि मीडिया की देन है.नाराज़गीराजेश के अनुसार वो दुकान पर एक टूथब्रश लेने भी नहीं जा पाते क्योंकि लोग उन्हें घूरना शुरू कर देते हैं.
मीडिया में आरुषि और हेमराज के संबंधों पर लिखे जाने पर फ़िज़ा, मासूमा और विदुषी भी बहुत नाराज़ हैं.विदुषी कहती हैं, “जिस तरह से पिछले साढ़े पाँच वर्षों में 13 साल की बच्ची आरु का चित्रण किया गया है, मैं उससे शर्मिंदा हूँ. उसके बाद इतनी गंदी बातें सुनकर मुझे बहुत बुरा लगता है. लोगों ने इस पर सवाल क्यों नहीं उठाए?”मीडिया की ऑनलाइन अंग्रेज़ी पत्रिका द हूट की संपादक सेवंती नाइनन मीडिया रिपोर्टों की समीक्षा की ज़िम्मेदारी संस्थाओं के वरिष्ठ लोगों पर डालती हैं.वो कहती हैं, “जिस तरह से ये चीज़ें लगातार हुईं, परिवार की निजता में हस्तक्षेप हुआ.”जांच एजेंसियों के लिए भी ये आसान केस नहीं था, ख़ासकर जिस तरह हत्या की जगह पर लोगों को आने-जाने दिया गया.लेकिन सोमवार 25 नवंबर इस  फ़ैसले का दिन है. तो फ़ैसला पक्ष या विपक्ष में जाने पर तलवार दंपत्ति की क्या प्रतिक्रिया होगी?नूपुर कहती हैं, “अगर फ़ैसला हमारे पक्ष में जाता है तो मैं सभी से अनुरोध करूँगी कि आप हमें कुछ दिनों के लिए अकेला छोड़ दें ताकि मैं अपनी बच्ची के लिए दुख व्यक्त कर पाऊँ. अगर नहीं, तो यह लड़ाई जारी रहेगी.”

Posted By: Subhesh Sharma