फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को टेरर फंडिंग लिस्‍ट में शामिल कर लिया है। इससे पाकिस्‍तान को जहां जोरदार झटका लगा है वहीं भारत और अमेरिका की मुहिम रंग ले आई। इससे पहले पाकिस्‍तान तीन महीने की मोहलत मिलने पर खुशी मना रहा था। चीन सउदी अरब और तुर्की ने भी पाकिस्‍तान का साथ दिया था लेकिन अमेरिका और भारत के आगे पाकिस्‍तान के तीनों दोस्‍त काम न आ सके। इससे पहले 2012 में भी पाकिस्‍तान को इस सूची में डाला जा चुका है।


डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद तुरंत फैसलापाकिस्तान को इस लिस्ट में डाले जाने का फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के बाद तुरंत सामने आया जिसमें उन्होंने कहा था कि वे आतंकियों पर पाकिस्तान की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं। पाकिस्तान ने आतंकियों पर शिकंजा कसने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए। व्हाइट हाउस ने यह भी कहा कि पाकिस्तान जा कर रहा है उसके लिए हम उसे जवाबदेह बना रहे हैं।अमेरिका ने रोकी 1625 करोड़ की मदद
पाकिस्तान को अमेरिका से दी जाने वाली 1625 करोड़ रुपये की सैन्य मदद पहले ही डोनाल्ड ट्रंप रोक चुके हैं। अमेरिका लश्कर-ए-तैय्यबा के चीफ आतंकी हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई न करने से काफी नाराज है। भारत और अमेरिका दोनों देश सईद को मुंबई हमलों के मास्टर माइंड मानते हैं। हाफिज सईद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करके उसके सिर एक करोड़ रुपये का ईनाम भी रखा गया है।क्या होगा पाकिस्तान पर असर


एक बार टेरर फंडिंग लिस्ट में शामिल हो जाने पर उस देश में निवेश को सुरक्षित नहीं माना जाता है। अब ऐसे देश को ग्लोबल लेंडिंग एजेंसियां लोन देने में आना-कानी करती हैं। साफ शब्दों में कहें तो मना कर देती हैं। वहां कोई देश निवेश करने से कतराता है। इससे टेरर फंडिंग लिस्ट में शामिल देश की आर्थिक हालत पर काफी असर पड़ता है। पाकिस्तान के इस लिस्ट में शामिल हो जाने पर उसे दुनियाभर के देशों से व्यापार करने और फंड जुटाने में दिक्कत आएगी।

Posted By: Satyendra Kumar Singh