देहरादून: उत्तराखंड में मैदान से लेकर पहाड़ तक जंगल धधक रहे हैं. हाल यह है कि रात को जंगलों की आग और दिन में धुएं से लोगों का जीना मुहाल है. मौसम विभाग ने अभी भी कुछ दिनों तक पारे में लगातार उछाल के संकेत दिए हैं, ऐसे में जंगलों की आग और भीषण रूप ले सकती है. वेडनसडे को प्रदेशभर में 100 से भी ज्यादा स्थानों पर जंगलों में आग सुलग रही थी. आग के कारण मौसम की तपिश तो बढ़ ही रही है, केदारनाथ और हेमकुंड साबिह के लिए हेली सेवाएं भी बाधित हो रही हैं. इधर वन विभाग ने दावा किया कि वनाग्नि बुझाने के लिए 12 हजार कर्मचारियों की फौज तैनात है. बताया कि पिछले वर्ष के मुकाबले अब तक आग की घटनाएं और नुकसान काफी कम है.

ये लगे हैं आग बुझाने में

वन विभाग, राजस्व, पुलिस, होमगार्ड, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पीआरडी जवान.

आग की घटनाएं (अब तक )

पिछले वर्ष इस वर्ष

1943 1506

आग से नुकसान (अब तक )

पिछले वर्ष इस वर्ष

4171 हेक्टेयर 1966 हेक्टेयर

रिजर्व फॉरेस्ट में ज्यादा घटनाएं

प्रदेश में सबसे ज्यादा वनाग्नि की घटनाएं रिजर्व फॉरेस्ट्स में सामने आ रही हैं, जबकि सिविल सोयम वनों में आग की घटनाएं कम हुई हैं. रिजर्व फॉरेस्ट्स में इंसानों का दखल कम है, ऐसे में इन्हें ज्यादा सेफ समझा जाता था, लेकिन वनाग्नि के मामले में ऐसा देखने को नहीं मिला. हालांकि रिजर्व फॉरेस्ट्स का क्षेत्रफल भी ज्यादा है. लेकिन, रिजर्व फॉरेस्ट्स का धधकना चिंता का विषय है. इस वर्ष अब तक रिजर्व फॉरेस्ट्स में आग की 1156 घटनाएं हुई हैं, जबकि सिविल सोयम और वन पंचायतों में वनाग्नि की 350 घटनाएं आई हैं.

वनाग्नि को कंट्रोल करने के लिए फॉरेस्ट डिपार्टमेंट गंभीर है. 12 हजार कर्मचारियों की फौज वनाग्नि बुझाने में लगाई गई है. हालांकि, पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष वनाग्नि की घटनाएं कम हुई हैं और नुकसान भी कम है.

- जयराज, हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स.

Posted By: Ravi Pal