कैलाश-मानसरोवर यात्रियों का पहला जत्था चीन पहुंच चुका है। यात्रा को लेकर सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए है। सभी यात्री स्वस्थ्य व सुरक्षित हैं।


पिथौरागढ़ (पीटीआई)। कैलाश-मानसरोवर के लिए 58 तीर्थयात्रियों का पहला जत्था गुरुवार को लिपुलेख दर्रे से होते हुए चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में पहुंचा। यात्रा को लेकर नोडल एजेंसी, कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमएन) के महाप्रबंधक अशोक जोशी ने कहा कि सुबह 8.15 बजे कैलाश-मानसरोवर के रास्ते में 17,500 फीट की दूरी पर स्थित लिपुलेख दर्रे के जरिए से तीर्थयात्रियों ने चीनी क्षेत्र में प्रवेश किया। दो अन्य जत्थे भी लिपुलेख दर्रे के काफी करीब पहुंच चुके हैं


इस पहले जत्थे के सभी तीर्थयात्री सुरक्षित हैं। गुनजी में आईटीबीपी के डॉक्टरों द्वारा किए गए चेक-अप के दौरान भी यात्री मेडिकली फिट पाए गए हैं। यात्रियों का यह पहला दल तिब्बत में सात दिन बिताने के बाद वापस आएगा। इस दाैरान तीर्थयात्री कैलाश के दर्शन करने के साथ ही पवित्र मानसरोवर झील में स्नान आदि भी करेंगे। वहीं तीर्थयात्रियों के दो अन्य जत्थे भी लिपुलेख दर्रे के काफी करीब पहुंच गए हैं। कैलास मानसरोवर: शिव-शक्ति से मिलता है संतुलित जीवन का संदेशयहां पहुंचते ही सकारात्मक विचारों का आगमन होने लगता

कैलाश मानसरोवर हिंदुओं का पवित्र धाम है। शिव का यह धाम असीमित ऊर्जा का भंडार है और यहां वह शक्ति पार्वती संग रहते हैं। यही वजह है कि दुर्गम रास्तों को पारकर जब भक्त यहां पहुंचते हैं तब उनमें नकारात्मक विचारों का शमन तथा सकारात्मक विचारों का आगमन होने लगता है। यहां मानसरोवर और राकस नाम की दो झीले हैं। मानस का जल जहां शांत, शीतल और पीने योग्य है, वहीं राकस ताल का पीने योग्य नहीं माना जाता है।

Posted By: Shweta Mishra