- जुमे की नमाज के खुत्बों में बतायी गयी रोजों की फजीलत

- हेल्पलाइन नंबरों पर लगी क्वेरी करने वालों की कतार

- कई साल बाद रमजान के महीने में पड़ रहा है पांच जुमा

LUCKNOW : रमजान का पहला रोजा वह भी जुमे के दिन। रोजेदारों के लिए इससे बढ़कर कोई फजीलत नहीं हो सकती। पहले रोजे पर रोजेदारों ने खूब इबादत की। पहले दिन ही जुमा होने की वजह से मस्जिदों नमाजियों की भीड़ थी। कई मस्जिदों में जगह कम पड़ जाने के कारण लोगों ने मस्जिदों के बहार कतार बनाकर नमाज अदा की। इस मौके पर अलग अलग मस्जिदों में इमामे जुमा ने खुत्बों में रोजे की अहमियत बतायी। उन चीजों के बारे में भी बताया गया जिनसे रोजा टूट सकता है या मकरूह हो सकता है। देर शाम इफ्तार पर लोगों ने तरह तरह के पकवान के साथ रोजे खोले। शहर की विभिन्न मस्जिदों में भी इफ्तार का इंतेजाम किया गया था जहां मगरिब की नमाज के बाद रोजा खोला गया।

हेल्पलाइन पर लोगों ने पूछे सवाल

रोजे से जुड़ी जानकारी के लिए हेल्पलाइन शुरू की गयी है। सुन्नी समुदाय के लिए इस्लामिक सेंटर आफ इंडिया की ओर से दारुल निजामियां फरंगी महल में रोजेदारों को दीनी और शरई मसलों के हल के लिए काल अटेंड की जाती है। रमजान के पहले दिन कालसेंटर पर वैसे तो दर्जनों काल आयीं। इस दौरान कुछ अहम सवाल भी पूछे गये। यासीन ने सवाल किया कि क्या रोजे की हालत में पेशाब के दौरान खून निकलने से रोजा टूट जाएगा? इस्लामिक सेंटर की ओर से जवाब दिया गया कि नहीं।

औरतों को मस्जिद में आकर नमाज पढ़ना जरूरी नहीं

दूसरा सवाल था कि क्या औरतों के लिए जमाअत के साथ तरावीह की नमाज है? जवाब आया कि औरतों के लिए भी तरावीह की नमाज सुन्नत है। उन्हें मस्जिदों में जाने की जरूरत नहीं। बल्कि वह घरों में ही तरावीह की नमाज अदा कर सकते हैं। रोजे में कसम खाकर तोड़ दी, क्या कफ्फारा अदा करना होगा? जवाब मिला कि हां कसम तोड़ने का कफ्फारा अदा करना होगा। यह कफ्फारा दस गरीबों को दोनों टाइम का खाना खिलाना या कपड़े पहनाना और अगर हैसियत ना हो तो तीन दिन बराबर रोजे रखने होंगे। एक और सवाल पूछा गया था कि क्या रोजे की हालत में हेयर डाई कराने पर रोजे पर कोई असर पड़ेगा? जवाब मिला कि नहीं कोई असर नहीं पड़ेगा।

रोजा छोड़ा तो देना होगा कफ्फारा

उधर, शिया समुदाय की ओर से भी आयतुल्लाह अल उजमा सैयद सादिक हुसैनी शीराजी के दफ्तर से जारी हेल्पलाइन नंबर पर भी सवाल पूछे गये। इसमें पहला सवाल था कि अगर कोई शख्स पूरे महीने के रोजे की नियत एक साथ कर ले तो सही होगा? और अगर पूरी नियत करने के बाद बीच में सफर करना पड़ता है, तो इसके लिए क्या हुक्म है? जवाब आया कि हां पूरे महीने की नियत एक साथ की जा सकती है। सफर पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अगला सवाल था कि अगर कोई शख्स किसी परेशानी की वजह से रोजा रखना मुमकिन ना हो तो उसके लिए दीन का क्या हुक्म है? जवाब मिला कि इसके बदले कफ्फारा देना होगा। यह कफ्फारा 750 ग्राम अनाज होता है। हेल्पलाइन पर अगला सवाल था कि क्या बगैर सहरी के रोजा रखा जा सकता है? जवाब मिला कि सहरी खाना सवाब का काम है और सहरी रोजे का पार्ट नहीं है।

यह है हेल्पलाइन नंबर

शिया- 9415580936, 9839097407

सुबह 10 बजे से 12 बजे तक

सुन्नी-9415023970, 9415102947, 9335929670 और 9236064987 पर रमजान और रोजे से जुड़े सवाल पूछ सकते हैं।

Posted By: Inextlive