आप भी देखिए, स्पेस में खिला पहला फूल
ऐसी है जानकारी
वैज्ञानिकों ने पहली बार पृथ्वी के बाहर फूल खिलाने में सफलता हासिल की है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (ISS) की टीम के वेजी लैब में पहली बार 'एडिबल जिनिया' नाम का पौधा उगाया गया है और इसमें जैसे ही फूल आए, अंतरिक्षयात्रियों ने उसकी तस्वीर ट्विटर के माध्यम से धरती पर भेजी है। नासा के अंतरिक्ष यात्री स्कॉट केली ने ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी। बता दें कि इससे पहले भी ISS की टीम यहां कुछ खाने योग्य पौधों को उगा चुकी है। वहीं ये उनकी ओर से वहां उगाया गया पहला फूल वाला पौधा है।
काफी दिनों से चल रहा था काम
वैज्ञानिक काफी दिनों से इस पर काम कर रहे थे और इन्हें अब सफलता मिल गई है। एस्टर-कली के एक फूल की फोटो ट्वीट करते हुए केली ने लिखा है कि अंतरिक्ष में पहला फूल खिल गया है। केली ने एक और ट्वीट करते हुए लिखा है कि हां, ब्रह्मांड में जीवन के अन्य रूप भी मौजूद हैं।
गोभी के बाद अब आगे उगाए जाएंगे टमाटर के भी पौधे
वैज्ञानिक परीक्षण में इस गोभी को लेकर यह बात साफ भी हो गई थी कि यह गोभी सेहत के लिए हानिकारक नहीं है। उसके बाद से नासा ने अंतरिक्ष पर ऐसे अन्य प्रयोग करने की भी अनुमति दे दी थी। 10 अगस्त 2015 को स्पेस स्टेशन के निवासियों ने पहली बार अंतरिक्ष में उगाई गई सब्जियों का स्वाद लिया था। ISS की टीम ने बताया कि इस पौधे के बाद उनकी टीम अब टमाटर जैसे पौधे भी उगा सकेगी। बता दें कि ये लैब मई, 2014 में बनाई गई थी।
एक चिंता की बात भी है
इस सफलता को लेकर जहां एक ओर सब खुश हैं, वहीं दूसरी ओर चिंता में डालने वाली एक खबर भी है। चिंता वाली खबर ये है कि स्मिथ और उनकी टीम ने ये नोटिस किया है कि जिनिया के पौधे की पत्तियों से लगातार पानी रिस रहा है। ऐसे में इस बात का खतरा बढ़ जाता है कि पानी रिसने से पौधे में कहीं फफूंद न लग जाए। अगर ऐसा होता है तो उनको डर है कि पौधे मर जाएंगे। ऐसे में वैज्ञानिकों ने पानी को सुखाने के लिए पंखे की भी मदद ली, लेकिन इससे दो पौधों में डीहाइड्रेशन की शिकायत हो गई और वो दोनों ही सूखकर खत्म हो गए।
खुद स्पेस में उगा लेंगे अपना खाना
वो बात और है कि बाकी बचे हुए पौधों में बराबर ग्रोथ होती रही। अब जिनमें ग्रोथ हुई वो बेहद प्यारे फूलों में तब्दील हो चुके हैं। इसके आगे के प्रोजेक्ट के बारे में बताया गया है कि 2018 में यहां टमाटर की खेती की जाएगी। वो भी जब संभव हो जाएगा, तो खुशखबरी ये है कि वैज्ञानिक अपना खाना यहां खुद उगा सकेंगे। इसके लिए उनको धरती पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।
Courtesy By Mail Online