जब गीत हवाओं ने गाए तुम याद आए जब खुशबू के बादल छाए तुम याद आए...


बात उन दिनों की है जब मैंने कम्प्यूटर क्लासेज ज्वाइन कर रखी थी. मेरे बैच में जितने भी ब्वॉयज़  थे वह सभी शरारती थे. सबने एक दूसरे के नाम बिगाड़ रखे थे. किसी ने किसी का कुछ नाम रखा था तो किसी का कुछ. हमारी क्लास में जो सबसे इंटेलिजेंट लड़का माना जाता था. उसे सब गुरूजी कह कर पुकारते थे क्योंकि सबकी कम्प्यूटर प्रॉब्लम वही सॉल्व करता था. एक दिन कम्प्यूटर प्रैक्टिल क्लास में मैं भी एक क्वेशचन में अटक गयी.


अपनी फ्रेंड से प्रॉब्लम सॉल्व करने को कहा, तो उसने बोला गुरूजी की हेल्प लो. मैंने कहा कौन गुरू जी! उसने इशारा करके उस लडक़े को बताया. मैं उसके पास गयी मैंने कहा गुरूजी यह क्वेशचन मुझे नहीं आ रहा है. क्या आप बतायेंगे. उसने बहुत ही मज़ाकिया लहजे में कहा बगल में बैठ जाओ शिष्या. बस उसी दिन से क्लास की बाकी लोगों ने मुझे शिष्या कह कर चिढ़ाना शुरू कर दिया. जब भी गुरू जी से कुछ पूछने जाती सब बोलते लो गुरू जी आपकी फेवरेट शिष्या आ गयी. बुरा तो बहुत लगता था लेकिन मैं फालतू बात पर ध्यान नहीं देती थी उससे वैसे ही बोलती थी जैसे बाकी फ्रेंड्स से.

एक दिन प्रैक्टिल लैब में हमेशा की तरह उसके बगल वाली सीट पर बैठी तो उसने कहा यहां मत बैठो मुझे समझ नहीं आया क्या बात हुई मैं आराम से वहीं बैठ गयी. उसने मुझे इग्नोर करना शुरू कर दिया मैं फिर भी नहीं समझ पायी. कोई कुछ भी पूछता गुरूजी से, तो वह सबको सब बता देते लेकिन मैं कुछ भी पूछती तो मुझे इग्नोर कर देते, गुस्से में आकर मैं वहां से उठ कर चली गयी. फिर मैंने उससे बात करना छोड़ दिया एक हफ्ते बीच गये.

एक दिन मैं कम्प्यूटर लैब में अकेले थी एक प्रोग्राम सॉल्व कर रही थी गुरू जी मेरे पास आए और कहा कि क्या प्रोग्राम रन नहीं कर रहा है मैंने कहा हां, उसने कहा चलो मैं बता देता हूं. मैंने मना कर दिया मैंने कहा मैं गैरों से हेल्प नहीं लेती. वो हंसने लगा कहने लगा तुम्हारे फास्ट फ्रेंड्स ही सब चिढ़ाते हैं मुझे कि मैं केवल एक ही शिष्या पर ध्यान देता हूं ,तुम्हें कोई कुछ ना बोल पाए इसलिए बोलना छोड़ दिया था मैंने बहुत ही इनोसेंटली कहा मुझे लगा कि तुम मुझसे चिढ़ते हो शायद इसलिए बात करना नहीं चाहते. हमारे बीच तो सिर्फ दोस्ती थी तब यह हाल है प्यार प्यार होता तो ना जाने क्या होता. उस दिन के बाद हम काफी अच्छे फ्रेंड बन गये कम्प्यूटर कोर्स खत्म होने बाद हम लोगों की आपस की बातचीत भी खत्म हो गयी. तब ना मोबाइल फोन था और ना ही एक दूसरे से एड्रेस लेने की हम लोगों ने कोशिश की.
एक दिन मुझे अपने कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट जाना पड़ा अचानक वहीं गुरूजी से मेरी मुलाकात हो गयी. मैं और मेरी फ्रेंड हम सब शॉक्ड थे कि अभी तो इसकी बात कर रहे थे यह हाजिर. मेरी फ्रेंड ने कहा बेटा भगवान से कभी कभी कुछ मांग लिया करे पूरा हो जाता है. गुरूजी ने हम लोगों को ट्रीट दी और घंटो हमने बात की और फिर बाय करके हम लोग चले गये.बिना यह सोचे कि फिर कब मुलाकात होगी. वो दिन आज का दिन मुझे आज भी उस लडक़े का चेहरा याद आता है उस दिन ना जाने क्यों वह बार बार हम लोगों से कह रहा था कि काश हम लोग हमेशा साथ रहते. उसकी इस बात का मतलब मुझे तब पता चला जब एक पुराने फ्रेंड से मुलाकात हुई उसने कहा कि वह तुमको पसंद करता था शायद तुम्हारा नम्बर उसे नहीं मिल पाया. आज मेरी शादी को पांच साल हो गये हैं लेकिन दिल के किसी कोने में आज भी वो पल जिंदा हैं.

Posted By: Surabhi Yadav