- मानकों के विपरीत शहर में दौड़ रहे सैकड़ों स्कूली वाहन, आरटीओ की अनदेखी की वजह से हो रही दुर्घटनाएं

- आरटीओ का प्रवर्तन दल सिर्फ कागजी आंकड़े पूरे करने के लिए करता है काम

- शासन की आंखों में धूल झोंक रहा आरटीओ प्रशासन, बिना गाड़ी देखे फाइलों में फिटनेस हो जाती चेक

KANPUR। प्रदेश सरकार स्कूली वाहनों की फिटनेस व ओवरलोडिंग को लेकर भले ही गंभीर हो। लेकिन आरटीओ अपनी कार्यशैली से उनके इरादों पर पानी फेर रहा है। आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए आरटीओ अधिकारी काम करने की बजाय ऑफिस में बैठकर सिर्फ कागजी आंकड़े भर शासन की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। आए दिन स्कूली वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने से इस बात की पुष्टि हो जाती है कि आरटीओ स्कूली वाहनों की फिटनेस कितनी मुस्तैदी से करता है। साथ ही स्कूली वाहनों के ड्राइवरों के प्रति कितने गंभीर हैं। मंडे को घाटमपुर साढ़ स्थित अमौर इलाके में एक बार फिर स्कूली बस अनियंत्रित होकर पलट गई। जिसमें दर्जनों बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए। सोर्सेज के मुताबिक हर स्तर पर मानकों की धज्जियां उड़ाकर इस बस को चलाया जा रहा था।

मानकों को नजरअंदाज कर देते

अक्सर व्हीकल एक्ट व सुरक्षा मानकों को नजर अंदाज करते हैं बस मालिक और आरटीओ अधिकारी, लेकिन इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है वाहनों में सफर करने वाले मासूम बच्चों को। स्कूली वाहनों के फिटनेस के दौरान आरआई गंभीरता दिखाने के बजाय अपने कार्यालय में ही बैठे-बैठे फाइल में फिटनेस को फाइनल कर देते हैं। दरअसल फिटनेस के दौरान आरआई पैसों की चमक के आगे सुप्रीम कोर्ट के निर्धारित मानकों को भी अनदेखा कर देते हैं।

बसों में मिली खामी ही खामी

मंडे को अमौर में ही स्कूली बस दुर्घटना के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने कुछ स्कूली वाहनों की औचक जांच पड़ताल की। जिसमें कोई भी बस मानक के अनुरूप नहीं मिली। रेलबाजार स्थित एक स्कूल के बाहर खड़ी स्कूल बस का जब रिपोर्टर ने जायजा लिया तो उसमें न तो फ‌र्स्ट एड बॉक्स मिला और न ही उसमें अग्नि नियंत्रण किट मिली। इसके बावजूद वह स्कूल के बच्चों को ढो रही थी।

बिना फिटनेस के दौड़ते स्कूली वाहन

आउटर एरिया में चलने वाले स्कूली वाहनों का जायजा लिया गया तो पता चला की ग्रामीण क्षेत्रों में दर्जनों स्कूली वाहन मानक के वितरीत चल रहे है। स्कूल संचालक कमाई के चक्कर में बच्चों को ढोने के लिए खटारा वाहनों को लगाए हुए हैं। जिनका फिटनेस भी नहीं होता है। इसका मुख्य कारण है कि यह वाहन शहरी सीमा में नहीं आते हैं और आरटीओ की चेकिंग कभी भी शहर के आउटर में नहीं लगती है। जिससे ये कार्रवाई की जद से बचे रहते हैं।

आंकड़े

569 स्कूल बसें

336 मिनी स्कूल बसें

185 स्कूल ओमनी वैन

25 स्कूल मोटर कैब

11 स्कूल मोटर कार

69 बसों में एक माह पूर्व चेकिंग के दौरान मिली थी खामी

क्या हैं मानक

- वाहन का हर साल फिटनेस हो

- स्कूली वाहन पीले रंग के होने चाहिए

- अग्नि नियंत्रण किट व फ‌र्स्ट एड बॉक्स

- इमरजेंसी विंडो

- चालक का डीएल पांच वर्ष पुराना हो

- वाहन में स्कूल ऑन ड्यूटी लिखा हो

- स्कूल का नाम व प्रिंसिपल का फोन नंबर लिखा हो

- वाहन की खिड़की पर ग्रिल लगी हो

- बस में एक अटेंडेंट होना जरूरी

- स्पीड अलार्म अटेंडेंट के पास होना चाहिए

कोट

स्कूली वाहनों के फिटनेस के मामले में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मामले की जांच करा विभागीय कार्रवाई की जाएगी। शहर के सभी स्कूलों के वाहनों व ड्राइवरों के नाम व पते समेत लिस्ट तैयार की गई है।

- संजय सिंह, आरटीओ, कानपुर

Posted By: Inextlive