- पॉलीथीन का कोई फायदा नहीं, लेकिन हैं ढेरों साइड इफेक्ट्स

- इंसान और जानवर, दोनों के लिए ही जानलेवा

- वहीं जमीन की उर्वरा शक्ति को खत्म कर देती है पॉलीथीन

GORAKHPUR: पॉलीथीन बैन को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। नगर निगम ने कोरम पूरा करने के लिए कार्रवाई भी शुरू कर दी है। दुकानदार भी बची हुई पॉलीथीन चोरी-छिपे खपाने मे लग गए हैं। हम भी जान-अनजाने में ही सही, पॉलीथीन लेकर इस बैन का विरोध कर रहे हैं। लेकिन अगर इसके दूसरे पहलू पर नजर डालें और इसके साइड इफेक्ट को जाने, तो शायद हम खुद ही पॉलीथीन से दूरी बना लेंगे। एक छोटी सी पॉलीथीन और इसका धुआं इस कदर जानलेवा है कि रोजाना कई डिब्बे सिगरेट पीने वालों को भी ऐसा असर न होगा। इसका धुआं ऐसा खतरनाक है कि 500 सिगरेट पीने के बाद इतना नुकसान नहीं होगा, जितना महज 5 ग्राम पॉलीथीन को जलाने से निकलने वाले धुएं से हो जाएगा।

माइक्रोस्कोप से देखने बराबर भी छेद नहीं

प्लास्टिक की इलास्टिसिटी को बढ़ाने के लिए इसकी मैन्युफैक्चरर कंपनीज सभी घातक केमिकल का इस्तेमाल कर डालती हैं। यह इस कदर खतरनाक है कि जो भी चीज इसमें रखी जाएगी, उस पर इसका इफेक्ट पड़ना तय है और इससे कैंसर होने के चांस बढ़ते ही जाते हैं। सबसे बड़ा ड्रॉ बैक यह कि यह बायो डिग्रेडेबल होती है और इसमें इतनी भी जगह नहीं होती है कि माइक्रोस्कोप से इसका कोई छेद नजर आ जाए। यहां तक कि अगर इसको जलाकर एक फॉर्म से दूसरे फॉर्म में लाने की कोशिश की जाती है, तो इससे निकलने वाला कार्बन ऐसा खतरनाक है कि यह लोगों का दम घोटने के लिए काफी है।

जानवरों के लिए काफी खतरनाक

ऐसा अक्सर देखा गया है कि लोग कूड़ा फेंकते वक्त साथ में पॉलीथीन भी फेंक देते हैं। यह कूड़ा जानवर खाते हैं और यह पॉलीथीन कूड़े के साथ ही उनके पेट में भी एंटर कर जाती है। इससे उन्हें इंटेस्टाइनल ऑब्सट्रक्शन होते हैं, जिससे उनकी आंते भी फट जाने के केस सामने आते हैं। इससे जानवरों की मौत तक हो जाती है। इसका असर इतना खतरनाक है कि अगर इसको किसी हरे-भरे पेड़ के पास फेंक दिया जाए, तो इसकी वजह से यह हरा-भरा पेड़ सूख जाएगा। वहीं अगर इसमें फूड मैटेरियल्स बांध दिया जाए, तो जो फूड ओपन में रहेगा, वह जल्दी खराब नहीं होगा, जबकि जो पॉलीथीन में बंधा रहेगा, वह जल्दी खराब हो जाएगा।

यह हैं इफेक्ट्स -

-प्लास्टिक प्रॉडक्ट में इस्तेमाल होने वाले बिस्फेनॉल केमिकल ह्यूमन बॉडी में डायबिटीज व लीवर एंजाइम को करता है अफेक्ट।

- पॉलीथीन का कचरा जलाने पर कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड और डाई आक्सीन जैसी विषैली गैसें निकलती हैं।

- बढ़ जाते हैं सांस, स्किन की बीमारियां होने के चांस।

- एनवायर्नमेंट साइकिल को ब्रेक कर देता है पॉलीथीन।

- प्लास्टिक वेस्ट जमीन में दबने की वजह से वॉटर हार्वेस्टिंग होने में आती है प्रॉब्लम।

- पॉलीथीन एक पेट्रो केमिकल उत्पाद है, जिसमें टॉक्सिक एलीमेंट का इतस्ेमाल होता है।

- प्लास्टिक के थैलों को बनाने में कैडमियम व जस्ता जैसे खतरनाक केमिकल का होता है इस्तेमाल, जिसके टच में आने पर फूड आइटम्स भी होते हैं विषैले।

- पॉलीथीन की थैली में गर्म चाय, जूस ले जाने पर उसके केमिकल सीधे शरीर में पहुंचते हैं।

यह होती है बीमारियां

सांस

दमा

सीओपीडी

स्किन प्रॉब्लम

लंग कैंसर

फैक्ट फीगर

- गोरखपुर में पॉलीथीन प्रॉडक्शन - 1.5 टन प्रतिदिन।

- एक टन पैकेजिंग पॉलीथीन और आधा टन कैरीबैग।

- गोरखपुर में प्रतिदिन उपभोग 10 टन है।

- 6 टन पैकेजिंग और 4 टन कैरीबैग पॉलीथीन।

- 5 हजार लोगों को मिल रहा रोजगार

- शहर में 180 थोक विक्रेता

- 450 फुटकर विक्रेता

- 3000 हॉकर

प्लास्टिक में सारे खतरनाक केमिकल इस्तेमाल होते हैं, जो कैंसर का कारण बनते हैं। यह नॉन बायो डिग्रेडेबल हैं, जिसकी वजह से यह जल्द नष्ट नहीं होती और हजारों साल तक एक ही जगह रहते हैं, लेकिन नष्ट नहीं होते।

- डॉ। शीराज वजीह, एनवायर्नमेंटलिस्ट

पांच ग्राम की पॉलीथीन को जलाने से जितना धुआं निकलता है और वह लोगों के शरीर में जाता है, यह 500 सिगरेट पीने से बॉडी में जाने वाले धुएं से भी खतरनाक है। इससे कैंसर, सीवियर सीओपीडी और स्किन प्रॉब्लम हो जाती है। यही वजह है कि कई यूरोपियन कंट्री में काफी पहले से इस पर बैन है। यह सिर्फ अवेयरनेस के थ्रू ही रोकी जा सकती है।

- डॉ। संदीप श्रीवास्तव, फिजिशियन

Posted By: Inextlive