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PANA : यदि खाना में कोई टॉक्सिक एलीमेंट है तो इसकी जानकारी तुरंत मिल जाएगी। आईआईटी पटना के एक्स स्टूडेंट मयंक तिवारी ने एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है जो खाना खराब होने की सूचना देता है। इसकी खासियत है कि यह कम से कम मात्रा में टॉक्सिक एलीमेंट के प्रजेंस को भी बता देता है। इस उपलब्धि के लिए मयंक को इंस्टीट्यूट प्रोफिसिएंसी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है। मयंक ने आईआईटी पटना से केमिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी स्ट्रीम से बीटेक की पढ़ाई की है। वर्तमान में मयंक देश के प्रतिष्ठित संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बैंगलोर में असिस्टेंट के तौर पर कार्य कर रहे हैं। फिलहाल वे कैंसर की रोकथाम से संबंधित रिसर्च वर्क से जुडे हुए हैं।

नैनो एसेम्बली से बनी डिवाइस

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को मयंक ने बताया कि यह डिवाइस नैनो एसेम्बली है। इसके निर्माण में कई छोटे-छोटे कम्पोनेंट लगाए गए हैं। इसमें कार्बन डॉट नामक नैनो पार्टिकल और ग्रीन कलर का फ्लोरोसेन डाई यूज किया गया है। इस डिवाइस की क्षमता 59 ग्राम प्रति मिलीमीटर नैनो ग्राम है। डिवाइस में एक पॉलीमर चिप भी लगाया गया है। डिवाइस के अंदर ही एक माइक्रो फ्लूइड चैनल होता है। यह एक नालीनुमा पाइप है जिससे फूड के सैंपल को पास कराया जाता है।

ऐसे होती है जांच

सबसे पहले खाने के बारीक टुकड़े कर पानी में मिलाया जाता है। फिर फूड को छानकर उसके सैंपल को डिवाइस में डाला जाता है। इसे 15 मिनट तक छोड़ा जाता है। इसके बाद इसे नालीनुमा चैनल में फ्लो कराया जाता है। खाना खराब होने पर सेंसर की नीली लाइट जल जाती और अगर सही है तो ग्रीन लाइट जलती है।

एसईबी है बड़ा कारण

मयंक ने बताया कि फूड प्वॉइजनिंग के लिए सबसे बड़ा कारण एसईबी बैक्टीरिया होता है। किसी भी तरह के खाना के खराब होने में इसी बैक्टीरिया की उपस्थिति होती है। मयंक द्वारा बनाई गई फूड सेंसर डिवाइस इसी बैक्टीरिया की उपस्थिति का पता लगाती है।

गर्म किया खाना भी हो सकता है खराब

मयंक का कहना है कि लोगों की धारणा होती है कि खाना यदि ठंडा है और उसे खाने से पहले गर्म करें तो यह खराब हो सकता है। उन्होंने बताया कि यह खाने के प्रकार पर निर्भर करता है। लिक्विड खाना जल्दी खराब होता है। जबकि ठोस खाना रखा जा सकता है।

Posted By: Inextlive