Through his ‘revolutionary’ script in Delhi Belly Akshat Varma manages to finally get the deserved attention to scriptwriters. Here’s his story...


डेल्ही बेली की सबसे बड़ी डिस्कवरी खुद इसके राइटर अक्षत वर्मा हैं. उन्होंने कैलिफोर्निया में लम्बे वक्त तक पढ़ाई की, वहां डेल्ही बेली जैसी स्टोरी बुनी और इंडिया आकर आमिर खान जैसे टफ डायरेक्टर को अप्रोच किया इस स्टोरी पर फिल्म बनाने के लिए. और फिर न सिर्फ उन्होंने अपनी बोल्ड और बेधडक़ मूवी से ऑडिएंस को शॉक्ड कर दिया बल्कि वे खुद बन गए फिल्म के एसोसिएट डायरेक्टर.आप डेल्ही बेली के एसोसिएट डायरेक्टर क्यों बन गए?


मेरा झुकाव इंडियन स्टाइल फिल्ममेकिंग में है. मेरा इरादा फिल्म को लिखने और डायरेक्ट करने का था. मैंने कुछ शूटिंग यूएसए में की है लेकिन बॉलीवुड में इसका कोई फायदा नहीं. मैं बिल्कुल नहीं चाहता था कि सेट पर मैं सबसे कमजोर लिंक की तरह बैठूं. मैं प्रोडक्शन को टेंशन नहीं देना चाहता था क्योंकि डायरेक्टर जानता ही नहीं है कि फिल्म में क्या होना है. मुझे ऐसा लगा कि डेल्ही बेली वाकई एग्जिक्यूशन के लेवेल पर काफी डिफिकल्ट स्क्रिप्ट है.फिर आप असिस्टेंट डायरेक्टर के बोर्ड पर कैसे आए?

मैं नहीं चाहता था कि दूसरा मेरी स्क्रिप्ट की एनर्जी ले डाले. मैंने आमिर को बता दिया कि मैं वहां मौजूद रहना चाहता हूं और इसमें इन्वॉल्व होना चाहता हूं. हम बहुत लकी रहे कि हमारे साथ अभिनय देओ थे.

डायरेक्शन में आपका क्या कॉन्ट्रिब्यूशन रहा?मुझे स्क्रिप्ट के लिए जो सही लग रहा था, वहां मैं वो बताने के लिए था.तो आपने कहां तक कॉन्ट्रिब्यूट किया?मैं पूरे वक्त सेट्स पर रहा. कास्टिंग के वक्त और ऑडिशंस के दौरान भी मौजूद रहा.लोग आपकी फिल्म को गाए रिची के सिनेमा से कम्पेयर करते हैं?ये तो बड़ा कन्वीनिएंट रेफरेंस है. लेकिन ऐसी फिल्म इंडिया में ही बन सकती थी. फिल्म में इतनी क्रेजीनेस थी कि हमें कैमरा से प्ले करने की जरूरत नहीं पड़ी. गाए रिची की फिल्म में क्रेजीनेस के साथ कैमरा भी क्रेजी हो जाता है. ये तो कुछ भी नहीं मैं तो हैंगओवर से कम्पेरिजन सुन-सुनकर पागल हुआ जा रहा हूं.क्या आपको पता था कि ये लैंग्वेज ऑडिएंस हजम नहीं कर पाएगी?जब मैं फिल्म लिख रहा था तो ऑडिएंस के बारे में नहीं सोच रहा था. जब आप लिख रहे होते हैं तो आपको नहीं पता होता है कि इस पर फिल्म बनेगी भी या नहीं. लिखते वक्त मैं सिर्फ सीन्स के बारे में सोच रहा था, न कि किसी सीन पर लोग कैसे रिएक्ट करेंगे. क्या आपको लगता है कि अगर आमिर खान आपके प्रोड्यूसर न होते तो ये लैंग्वेज थिएटर सिनेमाहॉल तक न पहुंच पाती?


इन सबका तो मुझे नहीं पता. बस इतना जानता हूं कि जिस तरह से फिल्म बनी है वैसी सिर्फ उनकी वजह से ही बन सकती थी.आप डेल्ही अंडरबेली के बारे में इतने अच्छे तरीके से कैसे वाकिफ हैं जबकि आपने अपनी लाइफ के 18 साल कैलिफोर्निया में बिताए हैं?मुझे लगता है कि ये इस बात पर डिपेंड करता है कि आपने जिंदगी का कौन सा पार्ट दुनिया के कौन से पार्ट में बिताया है. मैंने अपनी लाइफ के डेवेलपमेंट वाले दिन दिल्ली में बिताए हैं.क्या आप मुम्बई शिफ्ट हो गए हैं?हां. अब मैं यहां फिल्में लिखने और डायरेक्ट करने के लिए हूं.आपने जो स्क्रिप्ट-राइटिंग रूल्स कैलिफोर्निया में सीखे हैं क्या उनमें से कोई भी बॉलीवुड पर एप्लिकेबल है?हां. लेकिन कुछ स्पेसिफिक एलिमेंट्स जिस पर ऑडिएंस रिएक्ट करती है मुझे लगता है कि कल्चर स्पेसिफिक है. ड्रामा तो यूनीवर्सल एक जैसा है लेकिन कॉमेडी  बहुत ही कल्चर स्पेसिफिक है. जो ह्यïूमर हमने दिल्ली से निकाला है वह इंडिया के बाहर रहने वालों को नहीं जोड़ सकता. दिल्ली के आपके एक्सपीरिएंसेज डेल्ही बेली में कहां तक काम आए?
बहुत. सच तो ये है कि मैंने बहुत से एक्सपीरिएंस अपने दोस्तों और उनके नामों से चुराए हैं. ये भी राइटर होने का हिस्सा है. आप दूसरे लोगों की जिंदगी से भी चुराते हैं. क्या आपका अगला कदम फिल्म डायरेक्शन होगा?हां, उम्मीद है ये भी डेल्ही बेली की तरह हटके होगा. मुझे क्वॉलिटी वर्क करने की उम्मीद है.लोग फिर से एब्यूजिव लैंग्वेज की उम्मीद करेंगे?जहां तक तो नहीं. अब मैं ऐसी सिचुएशन में नहीं पडऩा चाहता जहां वड्र्स शॉक की वजह हों. मैं अपनी अगली फिल्म लिखने और डायरेक्ट करने में उतना ही वक्त लूंगा जितना कि लगता है.

Posted By: Garima Shukla