-बंदरों के आतंक से राज्य सहित दून का हर इलाका परेशान

-सालों से बंदरों को पकड़ने का किया जा रहा है प्रयास

-पकड़कर हरिद्वार में रेस्क्यू सेंटर में किया जा रहा शिफ्ट

देहरादून, समूचे राज्य सहित शहर के तमाम इलाके लंबे समय से बंदरों के आतंक से परेशान हैं। हालत यह है कि डीएफओ कार्यालय में सैकड़ों की तादात में विभिन्न इलाकों से बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए एप्लीकेशंस भी पहुंची हैं। लगातार आम लोगों के आक्रोश को देखते हुए मजबूर होकर अब वन विभाग ने बंदरों की पकड़ के लिए यूपी के मथुरा से स्पेशल टीम कुछ दिन पहले दून पहुंची चुकी है। अब टीम ने अपना एक्शन प्लान भी शुरू कर दिया, लेकिन टीम के कुछ मेंबर्स बीमार होने के अब मैदान में उतरेंगे।

शहर के हर इलाके में बंदर

सहारनपुर रोड, सोसायटी एरिया क्लेमेंटटाउन, जोगीवाला, मणिमाई मंदिर, मसूरी रोड, बसंत विहार जैसे दून शहर के तमाम इलाके हैं, जहां कई सालों से लोग बंदरों के आतंक से परेशान हैं। हालात यह है कि अब बंदर घरों से सामान तक उठा रहे हैं। आईएसबीटी स्थित व्यापारी अनिल जैन बताते हैं कि बंदर घरों के गेट, छत और बरामदे तक पहुंच रहे हैं, जिससे सुबह के वक्त बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो गया है। उनका खेलना-कूदना भी बंद हो चुका है। ऐसी ही शिकायतें शहर के तमाम इलाकों से डीएफओ ऑफिस तक पहुंच रही हैं। आखिर में वन विभाग के अधिकारियों ने लगातार आ रही शिकायतों के बाद यूपी से बंदर पकड़ने की एक्सप‌र्ट्स टीम को दून बुलाया है।

बंदरों की होगी नसबंदी

डीएफओ दून डिवीजन राजीव धीमान के मुताबिक सिंघम टीम 12 दिसंबर को दून पहुंच चुकी थी, लेकिन टीम के कुछ मेंबर्स के बीमार होने के कारण टीम का बंदरों को पकड़ने का रेस्क्यू शुरू नहीं हो पाया। दून डीएफओ ऑफिस ने हरिद्वार डीएफओ ऑफिस से संपर्क साधकर दून से बंदरों को हरिद्वार ले जाने और नसबंदी करने पर सहमति दी है। बताया गया कि बंदर पकड़ने वाली यह टीम एक घंटे में 100 से अधिक बंदरों को पकड़ लेती है।

एक बंदर की नसबंदी का खर्च 400 रुपये

सूबे में बंदरों की नसबंदी का काम की कुछ साल पहले से शुरू की गई। लेकिन फिर भी बंदरों की संख्या पर कंट्रोल नहीं हो पा रहा है। दून डीएफओ के मुताबिक एक बंदर की नसबंदी पर 350 से लेकर 400 रुपए तक का खर्च आता है।

विधानसभा में उठा था मामला

विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान भाजपा विधायक चंदन राम दास से सदन में बंदरों का मामला उठाया था। तब वन मंत्री डॉ। हरक सिंह रावत ने बताया था कि सूबे में करीब 1.50 लाख बंदर हैं। इसके लिए 25 डॉक्टरों की तैनाती प्रोसेस में है, जिनको वाइल्ड लाइफ ट्रेनिंग दी जाएगी। वन मंत्री ने पहली बार बंदरों के काटने पर मुआवजा देने की घोषणा भी की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि हर जनपद में सरकार की बंदर बाड़े बनाने की कोई योजना नहीं है।

Posted By: Inextlive